प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में विपक्षी नेताओं ने शुक्रवार (23 जून 2023) को पटना में बैठक की थी। बैठक के अभी दो ही दिन बीते कि आपस में आरोप-प्रत्यारोप लगने लगे।
दरअसल, बैठक के दौरान ही आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कॉन्ग्रेस से सवाल पूछा था कि अगर विपक्षी एकता की बात की जा रही है तो उसे केंद्र के दिल्ली सेवा अध्यादेश का विरोध करना चाहिए। हालाँकि, कॉन्ग्रेस ने इस पर कोई आश्वासन नहीं दिया।
इसके बाद बैठक को पलीता लगाते हुए केजरीवाल बैठक के बाद संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिंसा नहीं लिए। आम आदमी पार्टी ने तो ये भी साफ दिया कि अब वो उसी बैठक में हिस्सा लेगी, जिसका हिस्सा कॉन्ग्रेस नहीं रहेगी। इसका ये मतलब हुआ कि शिमला बैठक में भी अरविंद केजरीवाल केजरीवाल रहने वाले हैं।
उधर, पटना में बैठक के दौरान जब वामपंथी नेता अपनी बात करने लगे, तब बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बैठक के बीच से ही उठकर चली गई। बंगाल में भी कॉन्ग्रेस द्वारा TMC को चोरों की पार्टी कहने से नाराज हो गई थीं। उन्होंने साफ कहा दिया अब कॉन्ग्रेस को ऐसे आरोप लगाने से बचना चाहिए और TMC के खिलाफ बंगाल में धरना बंद करना चाहिए।
इससे जाहिर होता है कि विपक्षी एकजुटता के नाम पर सभी दल साथ तो दिख रहे हैं, लेकिन उनका दिल नहीं मिल रहा है। हालाँकि, समन्वय बनाने के एक संयोजक चुनने का भी निर्णय लिया गया है। इस संबंध में अगली बैठक हिमाचल प्रदेश के शिमला में 12 जुलाई 2023 को होगी।
इधर बैठक होने और अगली बैठक की तारीख तय होने के बाद भी आम आदमी पार्टी और कॉन्ग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी है। आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने अध्यादेश को लेकर यहाँ तक कह दिया कि कॉन्ग्रेस मुहब्बत की दुकान चला रही है तो उसे बड़ा दिल दिखाना चाहिए।
इसके बाद तो जैसे कॉन्ग्रेस बिफर गई। कॉन्ग्रेस नेता अजय माकन ने कहा कि अरविंद केजरीवाल जेल नहीं जाना चाहते हैं, इसलिए विपक्षी एकता को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। अजय माकन ने कहा कि एक तरफ AAP कॉन्ग्रेस से समर्थन माँग रही है और दूसरी तरफ उसके नेता पार्टी के खिलाफ बोल रहे हैं।
AAP की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने तो यहाँ तक माँग कर डाली कि विपक्षी दलों को राहुल गाँधी को नेता के रूप में नहीं प्रोजेक्ट करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राहुल गाँधी को तीसरी बार नेता के तौर पर प्रोजेक्ट करने से संविधान बचाना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस को आगे बढ़कर घोषणा करनी चाहिए कि वह अब राहुल पर दाँव ना लगाकर विपक्ष को करेगी।
बताते चलें कि पटना की हुई बैठक में 15 दलों के प्रमुख नेता शामिल हुए थे। उस दौरान जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने उन्हें टोका था। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जब कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया था, तब तो आपकी पार्टी ने हमारा समर्थन नहीं किया था और संसद में सरकार का साथ दिया था। हालाँकि, केजरीवाल के रूख में कोई परिवर्तन नहीं आया है।
बताते चलें कि साल 2018 में भी आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने इसी तरह की विपक्षी एकता बनाने की कोशिश की थी। नायडू ने तो इससे ज्यादा दलों के नेताओं को एक मंच पर खड़ा कर दिया था। उस दौरान सभी नेता एक-दूसरे का हाथ थामे भी नजर आए थे। हालाँकि, उस एकता का क्या परिणाम हुआ, ये पूरा देश देख रहा है।