पूर्वोत्तर राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड के विधानसभा चुनावों को लेकर रुझान सामने आ गए हैं। इन रुझानों के अनुसार, भाजपा एक बार फिर त्रिपुरा और नागालैंड में सरकार बनाती दिख रही है। वहीं, नागालैंड में भी भाजपा की स्थिति में सुधार हुआ है। अब तक सामने आए परिणामों को कॉन्ग्रेस अपने लिए झटका मान रही है। हालाँकि यह भी कहना है कि यह भाजपा के प्रचार के जीत है। इन नतीजों को पूरा देश का रुझान मानना गलत होगा।
दरअसल, कॉन्ग्रेस नेता आखिलेश प्रताप सिंह ने कहा है कि पूर्वोत्तर के तीनों राज्यों के चुनाव परिणाम उनकी उम्मीदें से अलग हैं। यह कॉन्ग्रेस के लिए बड़ा झटका है। वहीं, कॉन्ग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत का कहना है कि इन चुनाव परिणामों को पूरे देश के नजरिए से देखना गलत होगा। इसे पूरे देश का रुझान कहना सही नहीं है। यह जीत भाजपा की नहीं बल्कि उनके प्रचार की जीत है। श्रीनेत ने यह भी कहा है कि पूर्वोत्तर राज्यों के चुनाव परिणाम इस बात पर तय करते हैं कि केंद्र में किसकी सरकार है।
बेशक कॉन्ग्रेस नेता भाजपा की इस जीत को उनके प्रचार की जीत बता रहे हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या कॉन्ग्रेस ने इन तीनों राज्यों में चुनाव प्रचार नहीं किया। यदि प्रचार नहीं किया है तो फिर चुनाव मैदान में उतरने का क्या मतलब था। यदि प्रचार किया है तो फिर हार और जीत के बीच की कड़ी को प्रचार बताकर कॉन्ग्रेस अपनी ही खामियों को उजागर कर रही है।
दरअसल, कॉन्ग्रेस के चुनाव प्रचार को लेकर कई राजनीतिक विश्लेषक भी सवाल उठा चुके हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आखिर राहुल गाँधी ने इन राज्यों में प्रचार क्यों नहीं किया। क्या कॉन्ग्रेस राहुल गाँधी को इस लायक नहीं मानती या फिर राहुल के लिए चुनावों में हार जीत से कहीं अधिक महत्वपूर्ण उनकी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ थी।
हालाँकि राहुल गाँधी ने मेघालय में एक रैली जरूर की थी। लेकिन त्रिपुरा जैसे राजनीतिक और रणनीतिक रूप से अहम राज्य से कॉन्ग्रेस के दिग्गज नेता गायब थे। वास्तव में न केवल राहुल गाँधी बल्कि कॉन्ग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रियंका गाँधी भी त्रिपुरा से नदारद रहीं। दिलस्चप बात यह है कि इस दौरान भाजपा अपने दिग्गज नेताओं को उतारकर लगातार चुनाव प्रचार कर रही थी। वहीं, प्रियंका और राहुल गुलमर्ग में बर्फबारी का मजा ले रहे थे। यह हालत तब थी जब राहुल, खड़गे और प्रियंका गाँधी का नाम स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल था।
वहीं, दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी का प्रचार करने के लिए न केवल पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू समेत कई बड़े चेहरे इन चुनावों के दौरान रैली करते नजर आए।
पूर्वोत्तर राज्यों को लेकर भारतीय जनता पार्टी द्वारा किए गए प्रयासों को देखें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2017 के बाद से 47 दौरे किए हैं। यह एक ऐसा आँकड़ा है जो पूर्वोत्तर के इतिहास में सबसे अधिक प्रभावित करने वाला है। दरअसल, आजादी के बाद से किसी भी प्रधानमंत्री ने इतने दौरे नहीं किए जितने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 5 सालों में किए हैं। चुनाव से पहले भी पीएम मोदी ने त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में 3 बड़ी रैलियाँ की हैं।
बता दें कि तीनों राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में अब तक भाजपा सत्ता में थी। अब तक सामने आए रुझानों में त्रिपुरा और नागालैंड में भाजपा फिर से सत्ता में वापसी करती दिख रही है। वहीं, मेघालय में भाजपा और एनपीपी ने चुनाव से पहले गठबंधन तोड़ दिया था। हालाँकि अब यदि बीजेपी-एनपीपी गठबंधन बनता है तो तीनों राज्यों में भाजपा एक बार फिर सत्ता में होगी।