प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने शनिवार (11 दिसंबर 2021 ) को उत्तर प्रदेश (Uttar pradesh) के बलरामपुर में सरयू नदी नहर परियोजना (saryu river canal project) का लोकार्पण किया। इस दौरान उन्होंने हेलीकॉप्टर क्रैश में वीरगति को प्राप्त हुए भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत को याद किया।
पीएम ने कहा, “जनरल बिपिन रावत जी का जाना हर भारतप्रेमी के लिए, हर राष्ट्रभक्त के लिए बहुत बड़ी क्षति है। जनरल बिपिन रावत जी जितने जांबाज थे, देश की सेनाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जितनी मेहनत कर रहे थे, पूरा देश उसका साक्षी रहा है। जनरल बिपिन रावत आने वाले दिनों में अपने भारत को नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ते हुए देखेंगे।”
पीएम मोदी ने आगे कहा, “देश की सीमाओं की सुरक्षा बढ़ाने का काम, बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने का काम, देश की सेनाओं को आत्मनिर्भर बनाने का अभियान और तीनों सेनाओं में तालमेल सुदृढ़ करने का अभियान तेजी से आगे बढ़ता रहेगा। भारत दुख में है, लेकिन दर्द सहते हुए भी हम ना अपनी गति रोकते हैं और ना प्रगति। भारत रुकेगा नहीं, भारत थमेगा नहीं।”
बलरामपुर को धरती को नमन करते हुए पीएम मोदी ने इस धरती को क्रांतिकारियों की धरती बताया। उन्होंने कहा कि जब भी भगवान श्रीराम के मंदिर की बात होगी तो यहाँ के राजा पाटेश्वरी प्रसाद (Pateshwari prasad) का जिक्र अवश्य होगा।
पीएम ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि जब 50 साल पहले इस नहर परियोजना का शिलान्यास किया गया था उस दौरान इसकी लागत 100 करोड़ रुपए से भी कम थी, लेकिन आज इसे करीब 10,000 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जा सका। आपकी मेहनत और रुपए को बर्बाद करने वालों को इसकी सजा जरूर मिलनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर इस नहर का पानी 20-30 साल पहले ही इस देश को मिल जाता तो देश का खजाना भरा होता।
सरयू परियोजना को लेकर पीएम ने कहा कि देश की नदियों के जल का सदुपयोग हो और किसानों के खेत तक पर्याप्त पानी पहुँचे, सरकार की यही प्राथमिकता है। प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘सरकारी पैसा है तो मुझे क्या’ यही सोच देश के संतुलित और संपूर्ण विकास में सबसे बड़ी बाधा थी। इस परियोजना को इसी सोच ने लटकाने और भटकाने का काम किया है।
देश की नदियों के जल के सदुपयोग हो, किसानों के खेत तक पर्याप्त पानी पहुंचे, ये सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है।
— PMO India (@PMOIndia) December 11, 2021
सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना का पूरा होना इस बात का सबूत है कि जब सोच ईमानदार होती है, तो काम भी दमदार होता है: PM @narendramodi
प्रधानमंत्री ने कहा, “सरयू नहर परियोजना में जितना काम 5 दशक में हो पाया था, उससे ज्यादा काम हमने 5 साल में पहले करके दिखाया है। यही डबल इंजन की सरकार है। यही डबल इंजन की सरकार के काम की रफ्तार है।”
सरयू नहर परियोजना में जितना काम 5 दशक में हो पाया था, उससे ज्यादा काम हमने 5 साल से पहले करके दिखाया है।
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यही डबल इंजन की सरकार है।
यही डबल इंजन की सरकार के काम की रफ्तार है: PM @narendramodi
योगी सरकार को सराहा
उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था (law & order) और राज्य सरकार के काम करने के तरीके की पीएम मोदी ने खूब सराहना की। उन्होंने कहा कि पहले जो सरकार में थे वो यहाँ जमीनों पर अवैध कब्जे करवाते थे और बाहुबलियों को बढ़ावा देते थे। आज ऐसे माफियाओं पर जुर्माना लग रहा है, बुलडोजर चल रहा है। उन्होंने कहा कि आज योगी सरकार (Yogi Government) माफियाओं की सफाई में जुटी है और गरीब, दलित, पिछड़े, आदिवासियों को मजबूत बना रही है।
पहले जो सरकार में थे, वो यहां जमीनों पर अवैध कब्जे करवाते थे।
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आज ऐसे माफियाओं पर जुर्माना लग रहा है, बुलडोजर चल रहा है।
तभी तो यूपी के लोग कहते हैं- फर्क साफ है: PM @narendramodi
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर कटाक्ष करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कुछ लोगों का काम सिर्फ फीता काटना होता है। हो सकता है कि उन्होंने इसका फीता भी बचपन में ही काट दिया हो। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार का काम फीता काटना नहीं, प्रोजेक्ट को सही समय पर पूरा करना है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के बलरामपुर दौरे पर पहुँचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लोकार्पित सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना से यूपी के 9 जिलों के करीब 30 लाख किसानों को फायदा होगा। लगभग 318 किलोमीटर लंबी यह नहर परियोजना बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, कुशीनगर, श्रावस्ती, महाराजगंज, गोंडा और बलरामपुर से गोरखपुर तक पहुँचती है। इससे पूर्वांचल में बाढ़ और सूखे की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी।
साल 1978 में इस परियोजना को शुरू किया गया था, लेकिन बजट आवंटन और निगरानी के अभाव में हुई देरी के कारण इसे करीब 4 दशक बाद पूरा किया जा सका है। साल 2016 में इस परियोजना को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में शामिल किया गया था। परियोजना में घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा और रोहिणी नदियों को आपस में जोड़ा गया है।