प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पुराने संसद भवन में कार्यवाही के अंतिम दिन लोकसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि हम भले ही नए भवन में जा रहे हैं, लेकिन पुराना भवन पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा। उन्होंने इस पुराने भवन के निर्माण के सम्बन्ध में कहा कि इसको बनाने का निर्णय विदेशियों का था लेकिन इसको बनाने में लगा परिश्रम, पसीना और पैसा भारत के लोगों का था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता से पूरा भारत ही नहीं बल्कि विश्व अभिभूत है। उन्होंने सदन के माध्यम से देश के वैज्ञानिकों और उनके साथियों को बधाई दी और उनका अभिनन्दन किया। प्रधानमंत्री मोदी ने गुटनिरपेक्षता आंदोलन समिट के बाद सर्वसम्मति से प्रशंसा प्रस्ताव पास होने की याद दिलाते हुए उसे G-20 से जोड़ा।
प्रधानमंत्री ने इसकी सफलता को देश को समर्पित किया और कहा कि यह कोई एक व्यक्ति या पार्टी की सफलता नहीं है। उन्होंने पूरे देश में होने वाले आयोजन को गौरव बढ़ाने वाला बताया। उन्होंने अफ्रीकन यूनियन के G20 में शामिल होने को लेकर भी बात की। प्रधानमंत्री ने विपक्ष और विदेशी आलोचकों पर हमला बोलते हुए कहा कि भारत के प्रति शक करने का स्वभाव बहुत से लोगों का बना हुआ है और वह कह रहे थे कि कोई घोषणा पत्र नहीं आएगा लेकिन भारत के नेतृत्व में यह सम्भव हुआ है।
उन्होंने कहा कि भारत में पूरा विश्व अपना मित्र खोज रहा है यह हमारे संस्कारों का परिणाम है जो कि हमें विवेकानंद और वेदों से मिला है। उन्होंने पुराने संसद भवन को छोड़ने वाले पल को काफी भावुक करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि यहाँ हमारे खट्टे-मीठे अनुभव रहे हैं। उन्होंने कहा कि संघर्ष और गौरव का माहौल रहा है जो कि हमारी साझी विरासत है।
वर्ष 2014 में संसद को प्रणाम करके उसमें प्रवेश करने वाले पल को भी प्रधानमंत्री ने याद किया। उन्होंने कहा कि यह देश के सामान्य मानव की लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा है कि एक चाय बेचने वाला बच्चा पार्लियामेंट पहुँच गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि सदन की संरचना समय के साथ बदली है और इसमें सभी वर्गों के लोग आज शामिल हैं और यहाँ पूर्ण रूप से समावेशी वातावरण है।
प्रधानमंत्री ने महिला सदस्यों के योगदान को गिनाया। उन्होंने लोकसभा के सबसे बुजुर्ग सदस्य शफीकुर्रहमान बर्क और सबसे कम उम्र की सदस्य चंद्रानी मुर्मू का जिक्र भी किया। उन्होंने कोरोना के दौरान सांसदों की मेहनत का उल्लेख भी किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद भारत के प्रति जताई गई आशंकाओं को गलत सिद्ध करने का कार्य इस संसद भवन ने किया है। उन्होंने इसी संसद भवन के भीतर संविधान निर्माण का उल्लेख भी किया। प्रधानमंत्री ने संसद के स्टाफ की प्रशंसा भी की। संसद भवन पर वर्ष 2001 में हुए आतंकी हमले को प्रधानमंत्री ने लोकतंत्र और देश की आत्मा पर हमला करार दिया, उन्होंने इस हमले में बलिदान हुए जवानों को भी याद किया और श्रद्धांजलि दी।