अब जब कोरोना वायरस की दूसरी लहर आ रही है और वैक्सीन को लेकर सुगबुगाहट तेज हो रही है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 राज्यों के मुख्यमंत्रियों से इससे जुड़ी तैयारियों को लेकर बैठक की और उसके बाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्बोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि भारत में रिकवरी दर ज्यादा है और मृत्यु दर कम है, जिससे पता चलता है कि हमारा देश इस दिशा में ठीक तरीके से आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि जिस तरह से टेस्टिंग से लेकर इलाज तक एक बड़े नेटवर्क को लगाया गया और उसका सफलतापूर्वक संचालन किया गया, अब भी उस नेटवर्क को बढ़ाने की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने जानकारी दी कि पीएम केयर्स के माध्यम से भी कोरोना के खिलाफ लड़ाई में योगदान दिया जा रहा है। अच्छे इलाज के लिए अस्पतालों को हजारों नए वेंटिलेटर्स मुहैया कराए गए और इसके लिए 2000 करोड़ रुपए की रकम खर्च की गई।
पीएम मोदी ने कहा कि जहाँ कोरोना वायरस का पहला चरण डर के साए में बीता, दूसरे चरण में ढेर सारे संशय हैं, संदेह हैं और सामाजिक अलगाव की भावना भी थी। वहीं अब तीसरे चरण में लोगों ने सही कदम उठाने शुरू कर दिए हैं, साथ ही वो इस बीमारी को लेकर ज्यादा सतर्क और सावधान हैं। उन्होंने कहा कि चौथे चरण में लोगों के मन में ये भावनाएँ आने लगी हैं कि अब तो वैक्सीन आ ही जाएगी, वायरस कमजोर हो गया है और अब इसका प्रभाव नहीं बचा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता को सचेत किया कि इसी सोच के कारण मन में असावधानी का भाव आता है और लोग सतर्कता खो रहे हैं। उन्होंने वायरस के संक्रमण को कम करने पर जोर देते हुए कहा कि टेस्टिंग, पुष्टि, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और उसके आँकड़ों को सबसे ज्यादा प्राथमिकता तो दी ही जानी चाहिए, साथ ही पाजिटिविटी रेट को भी हमें कम से कम 5% के पास लाना होगा। उन्होंने RT-PCR टेस्टिंग की संख्या भी बढ़ाने को कहा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आइसोलेट किए गए मरीजों की देखभाल और बेहतर तरीके से की जानी चाहिए और उनके स्वास्थ्य की लगातार निगरानी होनी चाहिए, ताकि उन्हें बेहतर इलाज मिले। उन्होंने कम्युनिटी हेल्थ सेंटर्स और ग्रामीण हेल्थ सेंटर्स को उपकरणों से लैस कर बेहतर बनाने पर जोर दिया। पीएम ने अपील की कि हम सभी को पहले से भी अधिक जागरूक रहने की और ट्रांसमिशन को कम करने के लिए आने प्रयासों को और गति देने की जरूरत है।
उन्होंने बताया कि भारत सरकार की टीम कोरोना वैक्सीन बनाने और विकसित कर रही संस्थाओं से सीधे जुड़ी हुई है। साथ ही अन्य देशों की सरकारों, वैश्विक नियामकों, बहुराष्ट्रीय संस्थाओं और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से भी लगातार संपर्क बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन को लेकर भारत के पास जैसा अनुभव है, वो दुनिया के बड़े बड़े देशों के पास भी नहीं है। हमारे लिए जितनी जरूरी स्पीड है, उतनी ही सेफ्टी भी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना की लड़ाई की शुरुआत से ही हमने एक-एक देशवासी का जीवन बचाने को प्राथमिकता दी है और अब वैक्सीन आने के बाद भी हमारी प्राथमिकता होगी कि सभी तक वैक्सीन पहुँचे। उन्होंने जनता को आश्वासन दिया कि भारत जो भी वैक्सीन अपने नागरिकों को देगा, वो हर वैज्ञानिक कसौटी पर खरी होगी, और जहाँ तक वैक्सीन के वितरण की बात है, तो उसकी तैयारी भी सभी राज्यों के साथ मिलकर की जा रही है।
The number of RT-PCR tests must increase and monitoring of isolated patients must get better to ensure they get better treatment.
— BJP (@BJP4India) November 24, 2020
Community Health Centres and health centres in rural India must also be better-equipped.
– PM @narendramodi #IndiaFightsCorona pic.twitter.com/SJQpwjbemr
उन्होंने सभी राज्य सरकारों को सलाह दी कि वो अब स्टोरेज कैपेसिटी को बढ़ाने में लग जाएँ। उन्होंने बताया कि वैक्सीन को लेकर विस्तृत योजना पर जल्द ही विचार-विमर्श होगा। उन्होंने राज्य, जिला और प्रखंड स्तर तक पर टास्क फोर्स के गठन की सलाह दी। पीएम ने कहा कि वैक्सीन प्राथमिकता के आधार पर किसे लगाई जाएगी, ये भी राज्यों के साथ मिलकर तय किया जाएगा। हर राज्य के सुझाव का इसमें बहुत महत्व होगा।
उन्होंने कहा कि आखिरकार राज्य सरकारों को ही इसका अंदाजा है कि उनके राज्यों में ये कैसे होगा। उन्होंने कहा कि कोरोना वैक्सीन से जुड़ा भारत का अभियान अपने हर देशवासी के लिए एक तरह से नेशनल कमिटमेंट की तरह है। देश में इतना बड़ा टीकाकरण अभियान ठीक से हो, सिस्टेमेटिक और सही प्रकार से चलने वाला हो, ये केंद्र और राज्य सरकार सभी की जिम्मेदारी है। पीएम मोदी ने बताया कि कोरोना से निपटने हेतु वैक्सीन का निर्माण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय, दोनों स्तर पर फाइनल स्टेज में है।
Developments on COVID vaccines are in final stages at international & national level. However, we still don’t have certain answers to some questions.
— BJP (@BJP4India) November 24, 2020
However, we are fully ready for all possibilities. The final roll out decision will be taken in consultation with the States. pic.twitter.com/43PhLVh3OV
बता दें कि किसी भी दवा/वैक्सीन के क्लीनिकल रिसर्च के बाद भी यह दावा नहीं किया जा सकता कि उसकी सभी क्षमताओं अथवा संभावित हानिकारक तत्वों के बारे में पूर्ण जानकारी हासिल की जा चुकी है। इसका एक मुख्य कारण है कि क्लीनिकल रिसर्च एक सीमित जनसंख्या, सीमित प्रकार के लोगों और सीमित समय में संचालित की जाती हैं। मार्केटिंग की इजाजत मिलने के बाद भी किसी दवा/वैक्सीन की हमेशा ही (दवा की मार्केटिंग के बाद आजीवन) कुशल मेडिकल प्रोफेशनल्स द्वारा दवा के अन्य किसी भी हानिकारक प्रभाव को जाँचने और रोकने के प्रयास किए जाते हैं।