Saturday, November 23, 2024
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आँखों के सामने बच्चों को खोने के बाद राजनीति से मोहभंग, RSS से लगाव: ऑटो चलाने से महाराष्ट्र के CM बनने तक शिंदे का सफर

शिवसेना के कद्दावर नेता आनंद दिघे के संपर्क में आने के बाद शिंदे 80 के दशक में शिवसेना में शामिल हो गए। उन्होंने 18 साल की उम्र में राजनीति की शुरुआत की। आगे चलकर वह ठाणे महानगरपालिका से पहली बार 1997 में वो पार्षद चुने गए। इसके बाद 2001 में निगम में विपक्ष के नेता भी बने।

महाराष्ट्र की राजनीति में बीते कई दिनों से छाए रहे शिवसेना (Shiv Sena) के बागी नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) को लेकर भाजपा (BJP) ने चौंकाने वाला फैसला लिया। भाजपा ने शिंदे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री (Maharashtra CM) बना दिया है।

वहीं, राज्य के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने पहले तो सरकार में शामिल होने से इनकार कर दिया, लेकिन बाद में उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP President JP Nadda) की सलाह पर उप मुख्यमंत्री (Deputy CM) पद को स्वीकार कर लिया।

शिवसेना (Shiv Sena) की जड़ों को काट कर रख देने वाले एकनाथ शिंदे का सियासी सफर भी जितना रोमांचक रहा है, उतनी ही उनकी व्यक्तिगत जिंदगी संघर्षों से भरी रही है। एक समय ऐसा भी आया, जब उन्होंने राजनीति छोड़ दी, लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था और वे आज महाराष्ट्र की राजनीति के चमके सितारे बन गए हैं।

कौन हैं एकनाथ शिंदे

मूलत: मराठी परिवार से ताल्लुक रखने वाले एकनाथ शिंदे सातारा जिले के जवाली तालुका के रहने वाले हैं। उनका जन्म 9 फरवरी 1964 को हुआ था। सातारा के होने के बावजूद उनका गहरा लगाव ठाणे से रहा। 11वीं तक पढ़ाई करने के बाद उन्होंने ऑटो रिक्शा चलाना शुरु कर दिया था।

उनके निजी सचिव (PA) रह चुके इम्तियाज शेख उर्फ ‘बच्चा’ का कहना है कि ऑटो चलाते वक्त ही वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के संपर्क में आए। शाखा में शामिल होने के बाद वो शाखा प्रमुख भी बने। यहीं से उनका हिन्दुत्व से गहरा जुड़ाव शुरू हुआ।

शिवसेना के कद्दावर नेता आनंद दिघे के संपर्क में आने के बाद शिंदे 80 के दशक में शिवसेना में शामिल हो गए। उन्होंने 18 साल की उम्र में राजनीति की शुरुआत की। आगे चलकर वह ठाणे महानगरपालिका से पहली बार 1997 में वो पार्षद चुने गए। इसके बाद 2001 में निगम में विपक्ष के नेता भी बने।

राजनीति में सफलता का कदम दर कदम चूमते हुए उन्होंने साल 2004 में पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा और जीत गए। वो ठाणे के कोपरी-पाचपाखाडी विधानसभा से पिछले 18 वर्षों से लगातार विधायक हैं और उन्होंने लगातार चौथी बार यहाँ से जीत दर्ज की है। उनके बेटे श्रीकांत शिंदे कल्याण से शिवसेना सांसद हैं।

राजनीति को छोड़ा

एकनाथ शिंदे 2 जून 2000 को अपने 11 साल के बेटे दीपेश और 7 साल की बेटी शुभदा के साथ सतारा गए थे। वहाँ पर बोटिंग करते हुए नाव पलटी और उनकी आँखों के सामने उनके बेटा और बेटी बह गए। उस वक्त शिंदे का तीसरा बच्चा श्रीकांत सिर्फ 14 साल का था।

इस घटना से आहत होने के बाद राजनीति से उनका मोहभंग हो गया। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, “ये मेरी जिंदगी का सबसे काला दिन था। मैं पूरी तरह टूट चुका था। मैंने सब कुछ छोड़ने का फैसला कर लिया। यहाँ तक कि राजनीति भी।”

हालाँकि, बाद में अपने राजनीतिक गुरु आनंद दिघे के कहने पर वो वापस राजनीति में लौट आए। 26 अगस्त 2001 को एक हादसे में दिघे की मौत हो गई। हालाँकि, इस हादसे को कई लोग आज भी हत्या मानते हैं। ऐसे में ठाणे से एक प्रमुख चेहरा के रूप में उनका नाम आगे किया गया।

आनंद दिघे के निधन के बाद 2001 में एकनाथ शिंदे को ठाणे म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन में सदन का नेता चुना गया। शिवसेना के कई कार्यक्रमों का आयोजन उनके ही जिम्मे होता था। राज ठाकरे और नारायण राणे के बगावत के बाद एकनाथ शिंदे ने ही शिवसेना से जनता को फिर से जोड़ा।

साल 2019 में एकनाथ शिंदे कई विधायकों को पार्टी में वापस लेकर आए। हालाँकि, अब 2022 में शिवसेना से बगावत कर अब वो बीजेपी के साथ आ गए और उद्धव ठाकरे को सत्ता से हटाकर वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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