इन दिनों एक ओर लोकसभा चुनाव के कारण पूरे देश का माहौल गरमाया हुआ है तो वहीं दूसरी ओर भोपाल की लोकसभा सीट पर साध्वी प्रज्ञा सिंह को टिकट मिलने से विपक्ष में भी काफ़ी हलचल है। साध्वी प्रज्ञा के मालेगाँव ब्लास्ट में आरोपित होने का उलाहना देकर विरोधी लगातार भाजपा को घेरने का प्रयास कर रहे हैं।
बार-बार इस बात को उठाया जा रहा है कि जिन साध्वी प्रज्ञा ने अपनी बिगड़ी तबियत के कारण जमानत ली थी, वो आज चुनाव प्रचार में इतनी सक्रिय कैसे हैं? प्रज्ञा के विरोध में उठने वाली ये आवाज़ दिन पर दिन बुलंद हो रही हैं। जबकि विपक्ष के कुछ नेता ऐसे हैं जिनका नाम बड़े-बड़े घोटालों में शामिल होने के बाद भी वो न केवल चुनाव लड़ रहे हैं बल्कि ‘राष्ट्रीय पार्टी’ के अध्यक्ष या फिर सबसे बड़ा चेहरा बने बैठे हैं।
1. सोनिया गाँधी
इस सूची में सबसे पहला नाम यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गाँधी का है जो इस बार भी रायबरेली से चुनाव लड़ेंगी। सोनिया को टक्कर देने के लिए भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह (निरहुआ) भाजपा की ओर से मैदान में उतरे हैं। सोनिया गाँधी के ख़िलाफ़ नेशनल हेरॉल्ड केस में मामला दर्ज है। ये एक ऐसा केस है जिसमें गाँधी परिवार के किसी शख्स का नाम प्रत्यक्ष रूप से शामिल है। इस केस को साल 2012 में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी अदालत ले गए थे। इसी मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत ने 19 दिसंबर 2015 को सोनिया और राहुल को जमानत दी थी।
2. राहुल गाँधी
यूपीए अध्यक्ष सोनिया गाँधी के बेटे और कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने भी नेशनल हेराल्ड केस के कारण खूब आलोचनाएँ झेली हैं। 2019 में राहुल वायनाड और अमेठी से चुनाव लड़ रहे हैं। अमेठी में उनके ख़िलाफ़ भाजपा ने स्मृति इरानी और वायनाड में एनडीए ने तुषार वेल्लापुली को उतारा है। राहुल गाँधी भी अदालत से जमानती कैंडिडेट हैं।
3.शशि थरूर
कॉन्ग्रेस के कद्दावर नेता शशि थरूर पर सुनंदा पुष्कर की हत्या के मामले में केस दर्ज है। घटना 2014 की है, जब शशि थरूर की पत्नी सुनंदा दिल्ली के लीला पैलेस (5 सितारा होटल) में मृत पाई गई थीं। शुरूआत में इसे स्वाभाविक मौत माना जा रहा था, लेकिन बाद में एम्स की रिपोर्ट ने खुलासा किया कि उन्हें ज़हर देकर मारा गया है। इस मामले में थरूर से पूछताछ शुरू हुई। साल 2018 में दिल्ली पुलिस ने उनकी न्यायिक हिरासत की माँग की, जिस पर थरूर ने अग्रिम जमानत की माँग की थी। इसके बाद दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा उन्हें 5 जुलाई 2018 को जमानत दे दी गई थी। साथ ही थरूर के विदेश जाने पर भी रोक लगा दी गई थी। इस बार थरूर तिरूवनंतपुरम की लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ेंगे। पिछले दो बार से वो यहाँ जीत दर्ज कराते आ रहे हैं।
4. कन्हैया कुमार
जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर साल 2016 में देशविरोधी नारेबाजी करने का आरोप है। 11 फरवरी 2016 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की शिकायत पर कन्हैया और उसके साथियों पर देशद्रोह का केस दर्ज हुआ था। 12 फरवरी 2016 इस मामले में कन्हैया गिरफ्तार हुए और 26 अगस्त को कन्हैया को जमानत मिली।
मामले के तीन साल बाद साल 2019 में फिर दिल्ली पुलिस ने केस में चार्जशीट दायर की है। जिसके मद्देनज़र कोर्ट ने दिल्ली सरकार को 23 जुलाई से पहले फैसला लेने को कहा है। कन्हैया के सुर्खियों में आने के बाद से ही अंदाजा लगाया जा रहा था कि वे साल 2019 में चुनाव लड़ सकते हैं जो कि सच हुआ। 32 साल के कन्हैया पहली बार सीपीआई की ओर से बेगुसराय सीट पर चुनाव लड़ेंगे। कन्हैया के ख़िलाफ़ भाजपा ने गिरिराज सिंह को उतारा है और आरजेडी ने तनवीर हसन को।
5. पप्पू यादव
पप्पू यादव जन अधिकार पार्टी की ओर बिहार की मधेपुर लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ेंगे। उनके विपक्षी आरजेडी से शरद यादव और जेडीयू से दिनेश चंद्र यादव होंगे। यूं तो आपराधिक रिकॉर्डों के मामले में पप्पू का इतिहास पुराना है लेकिन हाल ही में उन्हें दो मामलों में ज़मानत दी गई है। पहली 25 साल पुराने पुलिस से बदसलूकी के मामले में और दूसरी आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में।