Friday, May 23, 2025
Homeराजनीति21 जुलाई को देश को मिलेगा नया राष्ट्रपति, कुल 4809 वोटर: व्हिप जारी नहीं...

21 जुलाई को देश को मिलेगा नया राष्ट्रपति, कुल 4809 वोटर: व्हिप जारी नहीं कर सकेंगे राजनीतिक दल, जानिए पूरी प्रक्रिया

भारत के वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई 2022 को समाप्त हो जाएगा। इससे पहले देश के अगले और 15वें राष्ट्रपति को चुन लिया जाएगा।

चुनाव आयोग ने गुरुवार (9 जून 2022) को राष्ट्रपति चुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया। देश के सर्वोच्च पद के लिए 18 जुलाई को वोटिंग होगी। नतीजे 21 जुलाई को घोषित किए जाएँगे। राष्ट्रपति चुनाव के लिए अधिसूचना 15 जून को जारी की जाएगी। नामांकन की अंतिम तिथि 29 जून और नामांकन पत्रों की जाँच 30 जून को निर्धारित की गई है। उम्मीदवार अपना नामांकन दो जुलाई तक वापस ले सकते हैं।

चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पैसा या किसी भी प्रकार का लालच देने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कोई भी राजनीतिक दल व्हिप जारी नहीं कर सकता है। वोटरों को एक, दो, तीन लिखकर अपनी पसंद बतानी होगी। वोट देने के लिए सभी को विशेष इंक वाला पेन दिया जाएगा। आयोग ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के कुल वोटरों की संख्या 4809 है। इसमें लोकसभा के सांसद और सभी राज्यों के विधानसभा के विधायक शामिल हैं।

भारत के वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई 2022 को समाप्त हो जाएगा। इससे पहले देश के अगले और 15वें राष्ट्रपति को चुन लिया जाएगा। आइए जानते हैं भारत में कैसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव, कौन इसके लिए वोट करते हैं और कैसे इन वोट की वैल्यू निर्धारित होती है।

कैसे होता है राष्ट्रपति चुनाव

भारत में राष्ट्रपति का चुनाव आम चुनाव से बेहद अलग होता है। इस चुनाव में भारत के नागरिक अप्रत्यक्ष रूप से हिस्सा लेते हैं। अर्थात, इस चुनाव में जनता द्वारा चुने गए विधायक और सांसद हिस्सा लेते हैं। वोट में हिस्सा लेने वाले विधायक और सांसद के वोट का वेटेज अलग-अलग होता है। संविधान के अनुच्छेद-54 के अनुसार, राष्ट्रपति का चुनाव एक इलेक्टोरल कॉलेज करता है। इसके सदस्यों का प्रतिनिधित्व आनुपातिक होता है। यानी, उनका सिंगल वोट ट्रांसफर होता है, पर उनकी दूसरी पसंद की भी गिनती होती है।

इनको है वोट देने का अधिकार

इस चुनाव में सभी प्रदेशों की विधानसभाओं के चुने हुए सदस्य, लोकसभा और राज्यसभा में चुनकर आए सांसद वोट डालते हैं। राष्ट्रपति की ओर से राज्य सभा में मनोनीत 12 सदस्य वोट नहीं डाल सकते ​हैं। इसके अलावा राज्यों की विधान परिषदों के सदस्यों को भी वोटिंग का अधिकार नहीं है, क्योंकि उन्हें जनता ने नहीं चुना होता है।

सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम क्या है

राष्ट्रपति चुनाव में एक खास तरीके से वोटिंग होती है। इस प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले सदस्य तमाम उम्मीदवारों में से पहले अपने पसंदीदा उम्मीदवार को वोट डालते है। अर्थात बैलट पेपर में सदस्य बता देते हैं कि राष्ट्रपति पद के लिए उनकी पहली, दूसरी और तीसरी पसंद क्या है। यदि पहली पसंद वाले वोटों से विजेता का फैसला नहीं हो सका, तो उम्मीदवार के खाते में वोटर की दूसरी पसंद को नए सिंगल वोट की तरह ट्रांसफर किया जाता है। इसलिए इसे सिंगल ट्रांसफरेबल वोट कहा जाता है।

राष्ट्रपति चुनाव में वोट की वैल्यू का निर्धारण

जैसा पहले ही बता चुके है कि चुनाव प्रक्रिया में विधायक और सांसद वोट की वैल्यू अलग-अलग होती है। यह हर एक विधायक के लिए अलग हो सकता है और इसका निर्धारण उसके राज्य की जनसंख्या और विधानसभा क्षेत्र की संख्या पर निर्भर करता है। वोट का वेटेज निकलने के लिए उस प्रदेश की जनसंख्या को चुने गए विधायकों की संख्या से भाग दिया जाता है, इसके बाद जो नंबर आता है, उसे 1000 से भाग दिया जाता है। इस तरह यह उस राज्य के विधायक के एक वोट का वेटेज होता है। यदि भाग देने के बाद प्राप्त संख्या 500 से ज्यादा है तो इसमें 1 जोड़ दिया जाता है।

सांसद के वोट की वैल्यू

सांसदों के वोटों का वेटेज अलग है। इसमें सबसे पहले सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुने सदस्यों के वोटों का वेटेज जोड़ा जाता है। अब इस सामूहिक वेटेज को राज्यसभा और लोकसभा के चुने सदस्यों की कुल संख्या से भाग किया जाता है। इस तरह जो नंबर मिलता है, वह एक सांसद के वोट का वेटेज होता है। अगर इस तरह भाग देने पर शेष 0.5 से ज्यादा बचता हो तो वेटेज में एक का इजाफा हो जाता है।

आपको बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव की एक और सबसे खास बात यह है कि इस चुनाव में सबसे ज्यादा वोट हासिल करने से ही जीत तय नहीं होती है। राष्ट्रपति वही बनता है, जो सांसदों और विधायकों के वोटों के कुल वेटेज का आधा से ज्यादा हिस्सा हासिल करे। मान लीजिए राष्ट्रपति चुनाव के लिए जो इलेक्टोरल कॉलेज है, उसके सदस्यों के वोटों का कुल वेटेज 10,98,882 है। ऐसे में जीत के लिए राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को 5,49,442 वोट हासिल करने होंगे। जो प्रत्याशी सबसे पहले यह कोटा हासिल करता है, उसे राष्ट्रपति चुन लिया जाता है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

'द वायर' जैसे राष्ट्रवादी विचारधारा के विरोधी वेबसाइट्स को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘मोहसिन सर आए… दबाने लगे सीना-जाँघ…’: निशानेबाजी सिखाने के बहाने इंदौर में लड़कियों का कर रहा था शिकार, हिंदू संगठन बोले- 100+ का किया...

इंदौर में शूटिंग के नाम पर यौन शोषण करने वाले मोहसिन खान के फोन से कई लड़कियों के साथ अश्लील हरकतें करते हुए वीडियो मिले हैं।

कितनी सरकारें आईं, गईं, अबूझमाड़ में खत्म नहीं कर सकी नक्सली हुकूमत… पर मोदी सरकार ने यह भी कर दिखाया: जानिए कैसे 4000 वर्ग...

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ इलाके से मोदी सरकार ने नक्सलियों को भागने पर मजबूर कर दिया है। यहाँ इससे पहले वह समानांतर सरकार चलाते थे।
- विज्ञापन -