Sunday, November 17, 2024
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कोरोना से जंग जीतने वालों से PM मोदी की मन की बात, कहा- लॉकडाउन तोड़ने वाले जीवन से कर रहे खिलवाड़

"मैं जानता हूँ कि कोई कानून नहीं तोड़ना चाहता है, लेकिन कई लोग कानून तोड़ रहे हैं। स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं, लॉकडाउन को तोड़ेंगे तो कोरोना वायरस से नहीं बच पाएँगे। नियम तोड़ने वाले अपने जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में कोरोना वायरस से जुड़े ख़तरों पर बात की और देश में चल रहे लॉकडाउन को लेकर जनता से अपनी बात साझा की। इस दौरान उन्होंने कुछ ऐसे लोगों से भी बातचीत की, जो कोरोना वायरस से अभी-अभी उबरे हैं। उन्होंने डॉक्टर नीतीश गुप्ता से बातचीत की, जिन्होंने बताया कि उनके अस्पताल में कोरोना के 16 मरीज ठीक होकर जा चुके हैं। डॉक्टर गुप्ता ने कहा कि मरीज कोरोना के बारे में सुनकर डर जाते हैं, इसलिए उनकी काउंसलिंग भी करनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि हमारा एक ही कर्तव्य है, सभी लोगों को ठीक कर के घर भेजने के प्रयास में लगे रहना।

कोरोना के संक्रमण से हल ही में उबरे अशोक कपूर ने पीएम मोदी से बातचीत के दौरान बताया कि वो और उनके परिवार के 6 लोग पीड़ित थे। उन्हें आगरा से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल भेजा गया। उन्होंने बताया कि पूरे परिवार को 14 दिन अस्पताल में रखा गया। उन्होंने डॉक्टरों व अन्य मेडिकल कर्मचारियों का धन्यवाद किया और कहा कि उन्होंने काफ़ी अच्छे से सबका ख्याल रखा। वहीं कोरोना से ठीक हुए रामगम्पा तेजा ने बताया कि वो काम की वजह से दुबई गए थे, लेकिन संक्रमित हो गए। उन्होंने कहा कि शुरुआत में उन्हें डर लग रहा था लेकिन बाद में डॉक्टरों और नर्सों ने उनका हौसला बढ़ाया। पीएम मोदी ने पीड़ितों की बात सुनने के बाद अपनी बात रखते हुए कहा:

मैं जानता हूँ कि कोई कानून नहीं तोड़ना चाहता है, लेकिन कई लोग कानून तोड़ रहे हैं। स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं, लॉकडाउन को तोड़ेंगे तो कोरोना वायरस से नहीं बच पाएँगे। नियम तोड़ने वाले अपने जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। आपको होने वाली असुविधा और कठिनाई के लिए मैं क्षमा माँगता हूँ। बीमारी और उसके प्रकोप से शुरुआत में ही निपटना पड़ता है, नहीं तो बाद में यह असाध्य हो जाता है। भारत आज यही कर रहा है। भारत जैसे 130 करोड़ लोगों के देश में कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए कोई और रास्ता नहीं था, कठोर कदम उठाना जरूरी था।

पीएम मोदी ने कहा कि अन्य देशों का उदाहरण देखें तो कोरोना के मामलों में मरीजों की संख्या अचानक से बढ़ जाती है। भारत में ऐसी स्थिति ना हो, इसका हमें ध्यान रखना है। उन्होंने माना कि लॉकडाउन की वजह से लोगों को काफ़ी परेशानी का सामना करना पड़ा है। साथ ही इस क़दम को ज़रूरी भी बताया। प्रधानमंत्री ने संकट की घड़ी में गरीबों, भूखे लोगों की मदद करने का आह्वान किया। उन्होंने कोरोना के पीड़ितों और संदिग्धों के साथ भेदभाव न करने की सलाह देते हुए कहा कि ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ रखना है, ‘इमोशनल डिस्टेंसिंग’ नहीं।

पीएम ने कहा कि आज के कठिन समय में दुकानदार, ड्राइवर्स, वर्कर्स, बैंकिग क्षेत्र के लोग जोखिम उठाकर काम कर रहे हैं। ई-कॉमर्स कंपनियों के लोग भी ऐसे वक्त डिलिवरी के काम में लगे हैं। फोन और इंटरनेट आदि सेवाओं में भी कई लोग लगे हैं। उन्होंने इन सभी लोगों को धन्यवाद दिया। पीएम ने डॉक्टरों के त्याग व समर्पण को देखते हुए आचार्य चरक की इन पंक्तियों की उद्धृत किया:

धन और किसी खास कामना के लिए नहीं, बल्कि मरीज की सेवा के लिए दयाभाव रखकर काम करता है, वही सर्वश्रेष्ठ चिकित्सक होता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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