राजस्थान की राजधानी जयपुर में पुलवामा के बलिदानियों की विधवाओं का धरना प्रदर्शन 10 दिनों से जारी है। राजस्थान के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी उनसे मुलाकात की है। फरवरी 2019 में जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में 40 CRPF जवान बलिदान हुए थे। राज्य के सैनिक कल्याण मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के साथ-साथ उद्योग मंत्री शकुंतला रावत भी इन महिलाओं से मिलीं। मंत्रियों का कहना है कि माँगों पर सहमति बन गई है।
पुलवामा के बलिदानियों की विधवाओं का कहना है कि गाँधी परिवार से कोई व्यक्ति आकर मिले और उनकी बात सुने, तब जाकर राजस्थान सरकार उनकी माँगों पर ध्यान देगी। जयपुर में राजस्थान कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट के घर के बाहर ये धरना प्रदर्शन चल रहा है। उनका कहना है कि सचिन पायलट ने उन्हें गाँधी परिवार के किसी नेता से मिलाने का वादा किया था, लेकिन फिर वो दिल्ली चले गए। होली के दिन भी महिलाएँ वहाँ डटी रहीं।
इन ‘वीरांगनाओं’ के साथ-साथ भाजपा के राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा भी धरना स्थल पर डटे रहे। खाचरियावास का दावा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद इस मामले पर नजर रखे हुए हैं। उन्होंने कहा कि मुद्दा कब और कैसे जटिल हो गया, पता ही नहीं चला। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने होली का त्योहार शुरू किया और उन्होंने भगवद्गीता में कहा है कि जो वो चाहेंगे वही होगा, ऐसे में हमारे हाथ में क्या है? उन्होंने कहा कि सब भगवान करते हैं।
We'll remain on Dharna till we meet Gandhi family. Sachin Pilot had assured us to meet Gandhi family, but he went to Delhi. If not today then tomorrow, or day after, he'll come to Jaipur & we'll stay here until our hearing is done: Manju Devi, wife of slain soldier Rohitash Lamba pic.twitter.com/ssvkMCvqSs
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) March 7, 2023
उन्होंने आगे ‘प्रवचन’ की शैली में कहा कि इस बारे में कोई दो राय नहीं होनी चाहिए कि इस देश को कोई सरकार चला रही है, बल्कि ये ईश्वर की कृपा से चल रहा है। वहीं मंत्री शकुंतला रावत ने दावा किया कि राज्य की कॉन्ग्रेस सरकार ने बलिदानियों के परिजनों को सबसे ज्यादा पैकेज दिया है। सचिन पायलट पहले ही वीरांगनाओं के खिलाफ बल-प्रयोग करने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की माँग कर चुके हैं। नौकरी और मुआवजा के अलावा बलिदानियों की प्रतिमाएँ बनवाना और उनके नाम पर गाँवों के नाम रखना इन महिलाओं की प्रमुख माँगें हैं।