Sunday, December 22, 2024
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हर बड़े मौके पर ‘रणछोड़दास’ साबित हुए राहुल गाँधी: जानिए कब, किस मौके पर पार्टी को मझधार में छोड़ गए ‘युवराज’

इस विदेश यात्रा की खबर आते ही सोशल मीडिया पर राहुल के राजनीति को लेकर गंभीर न होने की चर्चा शुरू हो गई। पार्टी आंतरिक कलह से जूझ रही है और उसके पास स्‍थाई अध्‍यक्ष तक नहीं है। राहुल की विदेश यात्राओं की टाइमिंग पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं।

मौका चाहे नए साल का हो, संसद सत्र का हो, चुनाव का हो या फिर राहुल गाँधी के जन्मदिन का… वो हर बड़े मौके पर विदेश की यात्रा पर होते हैं। मौका कॉन्ग्रेस स्थापना दिवस का है, लेकिन राहुल गाँधी इस मौके पर विदेश चले गए हैं। अब कॉन्ग्रेस पार्टी ने भी इस बात की पुष्टि कर दी है कि राहुल गाँधी विदेश दौरे पर इटली गए हैं। कॉन्ग्रेस के कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट के प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल एक छोटे से ट्रिप पर विदेश गए हैं। वहीं अब पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी कहा है कि राहुल गाँधी अपनी नानी को देखने इटली गए हैं

इस विदेश यात्रा की खबर आते ही सोशल मीडिया पर राहुल के राजनीति को लेकर गंभीर न होने की चर्चा शुरू हो गई। पार्टी आंतरिक कलह से जूझ रही है और उसके पास स्‍थाई अध्‍यक्ष तक नहीं है। राहुल की विदेश यात्राओं की टाइमिंग पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। आइए जानते हैं कि हाल के दिनों में ऐसा कब-कब हुआ।

कोरोना काल में इटली से आए थे राहुल

कॉन्ग्रेस के युवराज राहुल गाँधी इसी वर्ष फरवरी में भी विदेश दौरे पर थे। उस वक्त भाजपा ने राहुल को खूब टारगेट किया था। उसी वक्त इटली दुनिया में कोरोना का हॉटस्‍पॉट बन गया था। जिसके बाद भाजपा नेताओं ने राहुल गाँधी की जाँच कराने की माँग की थी। सांसद हनुमान बेनीवाल ने तो इस मुद्दे को संसद में भी उठा दिया था। जिसके बाद कॉन्ग्रेस ने इस बात की जानकारी दी थी कि राहुल की स्‍क्रीनिंग हुई थी और उन्हें कोरोना नहीं हुआ है।

जन्‍मदिन विदेश में मनाते रहे हैं राहुल गाँधी

एक तरफ जहाँ नरेंद्र मोदी अपना जन्‍मदिन ‘सेवा दिवस’ के रूप में मनाते हैं, राहुल विदेश में बर्थडे सेलिब्रेट करते हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस के सिर्फ 44 सीटों पर सिमटने के बाद राहुल, जून 2014 में विदेश चले गए थे। 2015 की शुरुआत में राहुल करीब दो महीने तक देश से बाहर रहे। वह वियतनाम, कम्‍बोडिया, थाइलैंड के अलावा म्‍यांमार भी गए थे। अप्रैल 2015 में लौटे राहुल ने 19 जून 2015 को अपना बर्थडे दिल्‍ली में मनाया था। मगर अगले ही दिन वो माँ सोनिया गाँधी और बहन प्रियंका गाँधी के साथ विदेश चले गए। सभी 10 दिन बाद लौटकर आए। जून 2016 में राहुल ने अपना जन्‍मदिन तुर्की में मनाया। 2017 में इटली जाकर नानी संग बर्थडे मनाया।

महाराष्‍ट्र, हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले राहुल की फॉरेन ट्रिप

पिछले साल महाराष्‍ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव थे। राहुल मतदान से कुछ समय पहले विदेश दौरे पर रवाना हो गए थे। बीजेपी ने इसे लेकर राहुल पर खूब हमला बोला था। जिसके बाद पार्टी के प्रवक्‍ता अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्विटर पर लिखा था कि किसी के निजी जीवन को सार्वजनिक जीवन के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए।

हालाँकि, इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई थी कि वो कहाँ गए थे। राहुल गाँधी 2014 से 2018 तक एक्सटर्नल अफैयर्स की स्टैंडिंग कमिटी के कुल 76 में से मात्र 9 मीटिंग में शामिल हुए। सितंबर 2019 से मार्च 2020 तक की सारी मीटिंग में वो अनुपस्थित रहे। स्टैंडिंग कमिटी ऑन डिफेंस में इस साल एक में गए भी तो काफी लेट। यहाँ पर भी वो मुद्दे से इतर ही बोलते नजर आए। 

सितंबर 2020 में पूरा मानसून सत्र गायब रहे

संसद का मानसून सत्र 14 सितंबर 2020 को शुरू हुआ और 1 अक्टूबर को समाप्त हुआ। इस पूरे सत्र के दौरान राहुल गाँधी नदारद रहे। सत्र शुरू होने से ठीक पहले कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी मेडिकल टेस्ट के लिए अमेरिका रवाना हो गईं। सोनिया गाँधी के साथ उनके बेटे राहुल गाँधी भी गए। सोनिया-राहुल गाँधी के विदेश यात्रा पर जाने से लोगों ने सवाल भी उठाए कि क्या संसद के मानसून सत्र में चीन के खिलाफ बोलने से बचने के लिए सोनिया- राहुल अमेरिका निकल गए हैं? 

ये सवाल इसलिए भी उठे क्योंकि गलवान में चीन से साथ झड़प के बाद से ही राहुल गाँधी और कॉन्ग्रेस के सभी नेता काफी जोर-शोर से मोदी सरकार के खिलाफ अभियान चला रहे थे। चीन मामले पर तकरीबन रोज कुछ ना कुछ ट्वीट कर रहे थे। लेकिन ठीक सत्र शुरू होने से पहले देश से बाहर जाने पर लोगों ने सवाल उठाए। लोगों का कहना था कि सत्र से दौरान चीन के खिलाफ कुछ बोलना ना पड़े या उसकी आलोचना ना करनी पड़े, इसलिए अमेरिका चले गए। 

किसान आंदोलन को समर्थन देने वाले स्वयं गायब हैं

कॉन्ग्रेस नेता और सांसद राहुल गाँधी ने देश में जारी किसान आंदोलन का एक बार फिर से शनिवार (दिसंबर 26, 2020) को एक ट्वीट करते हुए किसानों को अपना समर्थन दिया। कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी ने शनिवार को कहा कि सरकार को नए कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसानों की बात सुननी होगी। राहुल गाँधी ने किसानों के विरोध का एक वीडियो पोस्ट किया और लिखा- “मिट्टी का कण-कण गूँज रहा है, सरकार को सुनना पड़ेगा, सरकार को (किसानों को) सुनना होगा।” किसानों का समर्थन करने वाले राहुल गाँधी अब खुद गायब हैं। वो छुट्टियाँ मनाने विदेश दौरे पर निकल गए हैं।

2019 में शीतकालीन सत्र में अनुपस्थित

राहुल गाँधी ने 18 नवंबर 2019 से शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र में एक दिन भी हिस्सा नहीं लिया। विपक्ष खासतौर से कॉन्ग्रेस ने सत्र के दौरान 370 हटाए जाने के बाद के कश्मीर के हालात, नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद फारूक अब्दुल्ला की रिहाई, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और गाँधी परिवार की एसपीजी सुरक्षा में कटौती और इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond) जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश की, लेकिन कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी इस सत्र में एक बार भी संसद नहीं आए।

2018 की होली इटली में मनाई

02 मार्च को देश में होली मनाई जा रही थी और 03 मार्च को त्रिपुरा, नागालैंड व मेघालय के परिणाम आए, जिसमें कॉन्ग्रेस को करारी शिकस्त मिली। तब वह अपनी नानी को ‘सरप्राइज’ देने गए थे। उन्‍होंने ट्विटर पर ऐलान करते हुए लिखा था कि उनकी नानी 93 साल की हैं और वे होली पर उन्‍हें सरप्राइज देने जा रहे हैं। राहुल ने लिखा था कि वे अपनी नानी को गले लगाने के लिए बेताब हैं। इसके बाद उन्‍होंने मलेशिया और सिंगापुर की यात्रा भी की थी।

2017 में ओस्लो, नार्वे की यात्रा

जब 27 अगस्त को बिहार में विपक्षी दलों की एकता दिखाने के लिए लालू प्रसाद रैली कर रहे थे और चीन के साथ डोकलाम विवाद भी चल रहा था, तब भी राहुल गाँधी विदेश दौरे पर थे। पटना में लालू यादव की अगुवाई में आयोजित विपक्ष की एकता रैली में उनकी नामौजूदगी को लेकर भी सवाल उठाए गए थे। उस समय मंदसौर में कॉन्ग्रेस का किसानों को लेकर आंदोलन चल रहा था और राष्ट्रपति पद के लिए कॉन्ग्रेस की ओर से मीरा कुमार को नामाकंन करना था।

2016 के विधानसभा चुनाव अधर में छोड़ गए थे राहुल गाँधी

दिसंबर 2016 में राहुल गाँधी नए साल का जश्‍न मनाने विदेश गए थे। उस वक्‍त अमरिंदर सिंह दिल्‍ली में डेरा डाले हुए थे ताकि राहुल लौटें और टिकट वितरण को अंतिम रूप दें। इसी समय नोटबंदी भी हुई थी और कॉन्ग्रेस पार्टी नोटबंदी को लेकर विरोध कार्यक्रमों की धार तेज कर रही थी। विदेश से लौटने के बाद वह अगले चार साल बाद तक इस मुद्दे पर बोलते रहे। इसी समय पंजाब के अलावा गोवा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में चुनाव होने वाले थे। राहुल दिसंबर-जनवरी के बीच 10 दिन तक विदेश में रहे।

दिसंबर 2015 में किया यूरोप का दौरा

अप्रैल 2016 में असम के विधानसभा चुनाव होने वाले थे। राहुल दिसंबर 2015 में यूरोप गए थे। उन्होंने यूरोप में ही नया साल मनाया था। असम चुनाव की तैयारियों को दरकिनार कर विदेश जाने पर खूब सवाल उठे थे। राहुल हर साल 2-3 बार छुट्टियों पर जाते रहे हैं। 2015 में ही बजट सत्र के दौरान अचानक 57 दिनों के लिए देश से बाहर चले गए। कहाँ गए थे, इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई।

पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा गया था, “राहुल गाँधी को आत्मचिंतन, आत्ममंथन के लिए समय दिया गया है।” वह सप्ताह के अंत तक दिल्ली से बाहर रहेंगे और बजट के दौरान उपस्थित नहीं हो पाएँगे।” कॉन्ग्रेस की ओर से आए बयान के मुताबिक राहुल गाँधी ने चुनावों में पार्टी को मिली करारी हार पर आत्मचिंतन और पार्टी की भविष्य की योजनाओं पर विचार करने के लिए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गाँधी से छुट्टी ली थी। कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने राहुल की अनुपस्थिति के सवाल पर कहा था कि राहुल को कुछ वक्त चाहिए। राहुल कुछ हफ्तों में वापस आएँगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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