कॉन्ग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी 7 सितंबर, 2022 से ही भारत जोड़ो यात्रा पर हैं और उन्होंने पिछले 4 महीनों में लंबी यात्रा की है। मीडिया में फिर से उनके लॉन्चिंग की खबरें चलाई जाने लगीं, हालाँकि उनके अजीबोगरीब बयान बता रहे हैं कि वायनाड के सांसद अब भी ‘कुछ भी’ बोलते रहना छोड़ने के मूड में नहीं हैं। आइए, यहाँ हम उनके इसी तरह के एक से बढ़ कर एक बयानों का जिक्र करते हैं। ये बयान वो उस भाषा में देते हैं, जिसे शायद सिर्फ वही समझते हैं।
राहुल गाँधी कभी आटे को लीटर में तो कभी जनसंख्या को रुपए में गिनने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कह दिया कि भारत की आबादी 140 करोड़ ‘रुपए’ है। उनका आलू से सोना बनाने वाला बयान भी खासा मजाक का विषय बना था। उन्होंने ‘नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान’ वाला बयान दिया, उसके बाद सेल्फी लेने वाले एक व्यक्ति का हाथ झटक दिया। वो मंच पर लड़खड़ाते दिखे। उन्होंने ‘भारतीय सैनिकों की पिटाई’ वाला बयान देकर हमारे जवानों का अपमान किया।
ये देश पुजारियों का नहीं, तपस्वियों का है: राहुल गाँधी
राहुल गाँधी के इस बयान से ये स्पष्ट ही नहीं होता है कि वो भला कहना क्या चाह रहे हैं। तपस्या करने वाले को तपस्वी कहते हैं और पूजा करने वाले को पुजारी। दोनों सनातन धर्म के अलग-अलग कर्म हैं। फिर भी, राहुल गाँधी ने कह दिया कि ये देश पुजारियों का नहीं, तपस्वियों का है। बता दें कि भारत में हजारों मंदिर हैं और लगभग सभी में कोई न कोई एक पुजारी होते हैं। बड़े मंदिरों में कई पुजारी होते हैं। उन्हें शास्त्र का ज्ञान होता है और वो पूजा-पाठ करते व कराते हैं।
अब इनको पुजारियों से भी तकलीफ़ है… pic.twitter.com/zcWnNrVx1Y
— Amit Malviya (@amitmalviya) January 8, 2023
गाँवों के मंदिरों के पुजारी गरीब होते हैं, जिनके परिवार का पालन-पोषण उन्हें मिलने वाली दक्षिणा पर निर्भर करता है। कई राज्यों में मस्जिदों के इमामों को वेतन मिलता है, लेकिन पुजारियों को कोई नहीं पूछता। अगर पुजारी न रहें तो मंदिर की देखभाल और प्रबंधन से लेकर समय-समय पर पूजा-आरती कैसे होगी? हालाँकि, इस बयान के बाद उन पर न सिर्फ ब्राह्मणों के प्रति नफरत फैलाने के आरोप भी लगे। अब भला राहुल गाँधी ही समझा सकते हैं कि कैसे ये देश पुजारियों का नहीं है।
महभारत पर भी बाँचा उलटा-पुलटा ज्ञान
अब भगवद्गीता और महाभारत पर राहुल गाँधी का ज्ञान सुनिए, “जब अर्जुन मछली की आँख में तीर मार रहा था, तो क्या उसने कहा कि इसके बाद मैं क्या करूँगा? कहा था क्या? नहीं कहा था न? उस कहानी का मतलब गीता में भी है – काम करो, फल की चिंता मत करो।” बता दें कि ‘मत्स्य भेदन’ की प्रतियोगिता की द्रौपदी के स्वयंवर और शादी के लिए हुई थी। अर्जुन को पता था कि लक्ष्य पर निशाना लगाने के बाद क्या होने वाला है।
मूर्खों गीता तुम्हारी बुद्धि से परे है। गीता निःस्पृह भाव से लक्ष्य की प्राप्ति के लिये उद्योग सिखाती है, युद्ध का उपदेश देती है। बिना लक्ष्य के काम करना राहुल गांधी ही कर सकते हैं, अर्जुन के लिये यह असंभव था। https://t.co/mTQIsClWHI
— Sanjay Dixit ಸಂಜಯ್ ದೀಕ್ಷಿತ್ संजय दीक्षित (@Sanjay_Dixit) January 8, 2023
श्रीमद्भगवद्गीता में कर्म करने और फल की चिंता न करने के सन्देश का अर्थ ये है कि अगर आपको अपेक्षित परिणाम नहीं मिलते हैं फिर भी अपना कार्य जारी रखना चाहिए और निराश नहीं होना चाहिए। लेकिन, राहुल गाँधी ने बिना कुछ अध्ययन किए कह डाला कि अर्जुन ने मछली की आँख पर निशाना लगाया, लेकिन उसे मालूम नहीं था कि इसके बाद क्या होने वाला है। जबकि स्पष्ट है कि जो स्वयंवर में विजयी होता, उसे द्रौपदी को वरमाला डालने का अधिकार मिलता।
‘आप सर्दी से डरते हो’: कड़ाके की ठंड में भी स्वेटर पहनने पर राहुल गाँधी
‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान, राहुल गाँधी ज्यादातर समय टीशर्ट में ही दिखे हैं। यहाँ तक कि ठंड के दौरान भी वह टीशर्ट पहने हुए दिखाई दिए। पहले कॉन्ग्रेस वालों ने इसके लिए उन्हें ‘महामानव’ प्रदर्शित किया, उसके बाद जब पत्रकारों ने सवाल पूछा तो वायनाड के सांसद ने उलटे पूछ दिया कि आने स्वेटर क्यों पहनी है? जब पत्रकार ने ठंड को कारण बताया तो राहुल गाँधी बोले, “नहीं, इसका कारण यह नहीं है कि सर्दी है। इसका कारण यह है कि आप सर्दी से डरते हो। मैं सर्दी से डरता नहीं हूँ।”
तपस्वी राहुल गांधी जी कपिल शर्मा के पेट पर लात मार कर ही दम लेगे!
— Vaishali Poddar (@PoddarVaishali) December 31, 2022
आप लोग भी सुनिये……!
“आपने स्वेटर इसलिए पहना है क्योंकि आप सर्दी से डरते हो, इसलिए नहीं क्योंकि सर्दी है” pic.twitter.com/Fbo3nQEsIS
अब आप सोचिए, कोई ठंड से डरे या ना डरे, अगर तापमान में गिरावट हो रही है तो उसे ठंड लगेगी ही ना? इसमें व्यक्ति का तो कोई दोष नहीं। ठंड में बच्चे बीमार पड़ जाते हैं और बुजुर्गों को भी इससे बच कर रहने की सलाह दी जाती है, ऐसे में राहुल गाँधी क्या मेडिकल विज्ञान की भी धज्जियाँ नहीं उड़ा रहे? उन्हें तो लोगों को ये सलाह देनी चाहिए कि वो ठंड से बच कर रहे और स्वास्थ्य पर ध्यान दें। लेकिन, वो अजीबोगरीब ज्ञान देकर और भरम फैला रहे हैं।
‘राहुल गाँधी आपके दिमाग में है’: बड़े से बड़े विद्वान भी न कर पाएँ इसकी व्याख्या
एक पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए राहुल गाँधी ने कहा, “राहुल गाँधी आपके दिमाग में है, मैंने मार दिया उसको, वो है ही नहीं, मेरे माइंड में है ही नहीं। गया वो, जिस व्यक्ति को आप देख रहे हो वो राहुल गाँधी नहीं है, वो आपको दिख रहा है। बात नहीं समझे आप। हिंदू धर्म को पढ़ो जरा, शिवजी को पढ़ो जरा – बात समझ में आ जाएगी। ऐसे हैरान मत होओ। राहुल गाँधी आपके दिमाग में है, मेरे दिमाग में है ही नहीं। राहुल गाँधी, बीजेपी के दिमाग में है, मेरे दिमाग में है ही नहीं।
‘पुराने राहुल गांधी आपके दिमाग में हैं, मैंने मार दिया उसको’: @RahulGandhi #BharatJodaYatra | #RahulGandhi pic.twitter.com/OT5Qf5KvqL
— TV9 Bharatvarsh (@TV9Bharatvarsh) January 9, 2023
इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि इमेज का उन्हें कोई लेना देना नहीं है, जो इमेज आप रखना चाहते हो रख दो। उन्होंने कहा कि अच्छी रखनी है रख, खराब रखनी है रख दो वो आपका व्यू है। बकौल राहुल गाँधी, इन सबसे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है। अब कौन से राहुल गाँधी को किस राहुल गाँधी ने मार डाला, पत्रकारों के दिमाग में क्या है, भाजपा के दिमाग में क्या है, हिन्दू धर्म में इसके बारे में क्या लिखा है, और भगवान शिव का इससे क्या लेनादेना है – इसका जवाब किसी के पास हो तो बताएँ।
राहुल गाँधी का अजीबोगरीब ‘एनर्जी व्यायाम’ और भाजपा से ऊर्जा लेने वाली बात
राहुल गाँधी ने एक ‘सूत्र’ बताते हुए कहा कि वो इसी तरीके से ‘भाजपा की नकारात्मक ऊर्जा’ से निपटते हैं और पॉजिटिव एनर्जी प्राप्त करते हैं। उन्होंने अपना फॉर्मूला देते हुए बताया कि जब भाजपा और RSS उन पर हमले करती है तो वो उसे अपनी ऊर्जा बना लेते हैं। इसके बाद उन्होंने अपने समर्थकों को एक दूसरे के पीछे बिठा दिया और धक्का देने के लिए कहा। ये कौन सा व्यायाम था, इसका उल्लेख शायद ही किसी किताब में मिले।
How do you use the power of those who is fighting you? pic.twitter.com/R1lEoLwsYE
— Anshuman Sail (@AnshumanSail) November 26, 2022
लेकिन हाँ, लोगों को इससे हँसी भरपूर आई। वो ‘Push-Push’ की आवाज़ लगाते रहे और अपने ‘एनर्जी वाला फॉर्मूला’ का डेमो उन समर्थकों के जरिए दिखाते रहे। उन्होंने लोगों को दोनों पाँव फैला कर सामने की तरफ धक्का देने के लिए कहा। लोगों ने कहा कि इस वीडियो से पता चलता है कि राहुल गाँधी को लोग ‘पप्पू’ क्यों कहते हैं। कइयों ने ये भी पूछ डाला कि किस किताब में अथवा किस वैज्ञानिक ने इस ‘फॉर्मूले’ का प्रतिपादन किया है?
‘कुत्ते आए, भैंस आई और सूअर भी आया…’: राहुल गाँधी
राहुल गाँधी के इस बयान को देखिए, “इस यात्रा में हिंसा दिखी… नहीं। किसी ने किसी नहीं मारा… नहीं। किसी ने किसी को गाली दी… नहीं। आपने नफरत देखी… बिल्कुल नहीं। इसमें किसी ने ये पूछा कि भइया तुम्हारा धर्म क्या है? किसी ने पूछा कि तुम हिंदू हो, मुस्लिम हो, सिख हो, ईसाई हो, क्या हो? नहीं। किसी ने ये पूछा कि तुम स्त्री हो या पुरुष हो… नहीं। किसी ने पूछा कि तुम्हारी क्या जाति है… बिल्कुल नहीं।” इसका अर्थ आप समझा सकते हैं?
#WATCH | In Bharat Jodo Yatra, dogs also came but no one harmed them. Cow, buffaloes, pigs, all animals came. This Yatra is like our India, no hatred, no violence: Congress MP Rahul Gandhi in Delhi pic.twitter.com/2eGIujo8jJ
— ANI (@ANI) December 24, 2022
राहुल गाँधी ने आगे कहा, “किसी ने कपड़े भी नहीं पूछे। इस यात्रा में कुत्ते भी आए, लेकिन उन्हें किसी ने नहीं मारा। इसमें गाय भी आई… भैंस भी आई… सूअर भी आए। मैंने देखा। सब जानवर आए। सब लोग आए। लेकिन, यहाँ पर कोई नफरत नहीं दिखी। जैसा हमारा हिंदुस्तान है, वैसे ही ये यात्रा है। कोई नफरत नहीं, कोई हिंसा नहीं, कोई गलत सवाल नहीं।” क्या ये जानवरों की यात्रा थी? भला कुत्ते-बिल्ली और सूअरों के लिए राजनीतिक यात्रा कोई करेगा कोई?