2019 लोकसभा चुनाव क़रीब आने के साथ ही भाजपा और कॉन्ग्रेस दोनों ने अधिकांश निर्वाचन क्षेत्रों के लिए अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है। हालाँकि, अमेठी की चुनावी लड़ाई में कॉन्ग्रेस को अभी से अपनी हार नज़र आ रही है। बीजेपी ने घोषणा की है कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, गाँधी के गढ़ माने जाने वाले अमेठी से चुनाव लड़ेंगी। इस घोषणा के बाद से ही कॉन्ग्रेसी खेमे में हड़कंप सा मच गया है। इसके परिणामस्वरूप ही कॉन्ग्रेस में राहुल गाँधी की जीत सुनिश्चित करने की छटपटाहट भी देखने को मिल रही है।
ऐसे में राहुल गाँधी को पत्र लिखकर उनसे अमेठी से लड़ने के साथ-साथ केरल की वायनाड सीट से चुनाव लड़ने का आग्रह किया गया है। ऐसा करने के पीछे मक़सद केवल राहुल गाँधी की जीत सुनिश्चित करना है। राहुल के दो जगह से चुनाव लड़ने के फ़ैसले को स्मृति ईरानी का डर न कहा जाए तो भला और क्या कहा जाए। इससे कॉन्ग्रेस की हताशा और निराशा दोनों की तस्वीर एकदम साफ़ नज़र आ रही है।
अब, अफ़वाहें सामने आई हैं कि राहुल गाँधी का मुक़ाबला करने के लिए भाजपा वायनाड निर्वाचन क्षेत्र से स्मृति ईरानी को मैदान में उतार सकती है।
Matrubhumi.com ने बताया कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने ऐसा संकेत दिया है। रिपोर्ट के अनुसार राहुल गाँधी, जो कि फिलहाल एक सुरक्षित सीट की तलाश में हैं, का मुकाबला करने के लिए स्मृति ईरानी को वायनाड निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारा जा सकता है।
हालाँकि, इस मामले को लेकर OpIndia.com ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से संपर्क किया। इस मामले पर स्मृति ईरानी ने इन अफ़वाहों का स्पष्ट रूप से खंडन कर दिया है।
स्मृति ईरानी ने Opindia.com से बात करते हुए कहा, “राहुल गांधी अमेठी से भाग रहे हैं, मैं नहीं। मैं यहीं पर हूँ और लोगों के लिए लड़ रही हूँ। यह ख़बर पूरी तरह से ग़लत और महज़ एक अफ़वाह है।”
स्मृति ईरानी ने आगे कहा कि यह स्पष्ट हो चुका है कि कॉन्ग्रेस अफ़वाहों की खान बन चुकी है, शायद ही ऐसा कोई होगा, जो राहुल गाँधी जैसा नेता पाकर शर्मिंदा नहीं होगा।
हाल ही में, कॉन्ग्रेस पार्टी द्वारा राहुल गाँधी के लिए एक सुरक्षित सीट खोजने की एक कोशिश सामने आई है। हमने पहले ही बताया है कि कैसे कर्नाटक और तमिलनाडु राज्य ईकाई राहुल गाँधी को पत्र लिखकर केरल के वायनाड से चुनाव लड़ने का आग्रह कर चुके हैं। आज अमेठी ईकाई ने भी राहुल गाँधी को पत्र लिखकर अमेठी और वायनाड दोनों सीट से लड़ने की सिफ़ारिश करते हुए कहा कि वो भविष्य के प्रधानमंत्री हैं और इंदिरा गाँधी और सोनिया गाँधी की तरह, उन्हें भी उत्तर भारत और दक्षिण भारत दोनों जगह से लड़ना चाहिए। कॉन्ग्रेस के रणदीप सुरजेवाला ने भी कहा है कि वायनाड को ‘सकारात्मक’ माना जाए।
बता दें कि कर्नाटक, तमिलनाडु और अमेठी के अलावा अखिल भारतीय किसान कॉन्ग्रेस ने भी राहुल गाँधी से अमेठी के साथ-साथ वायनाड से चुनाव लड़ने का निवेदन किया था।
नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ़ इंडिया ने भी राहुल गाँधी से अमेठी और वायनाड दोनों से चुनाव लड़ने का आग्रह किया था। राहुल गाँधी को इसी तरह के पत्र ज़िला कॉन्ग्रेस समितियों द्वारा भी लिखे गए हैं।
2014 में, राहुल गाँधी को ज़बरदस्त जीत नहीं प्राप्त हुई थी, उसका कारण स्मृति ईरानी ही थीं। हार के बावजूद स्मृति ने अमेठी पर अपनी पैनी नज़र बनाए रखी। इस दौरान उन्होंने अमेठी के विकास और लचर व्यवस्था को अनेकों बार उजागर किया। अमेठी में राहुल गाँधी के द्वारा पिछले 10 वर्षों में किए गए कार्य और स्मृति ईरानी के पिछले 4 वर्षों में किए गए कार्यों की तुलना कीजिए – सब स्पष्ट हो जाएगा। स्पष्ट यह भी हो जाएगा कि 2019 लोकसभा चुनाव में राहुल गाँधी पीछे चल रहे हैं जबकि स्मृति ईरानी लीड ले रही हैं।
कॉन्ग्रेस इस बात को अब अच्छी तरह से जान चुकी है कि अमेठी में इस बार स्मृति ईरानी को हराना आसान काम नहीं होगा। साथ ही कॉन्ग्रेस का यह भ्रम भी टूट गया कि अमेठी सीट उसका गढ़ है। राहुल गाँधी की जीत सुनिश्चित करने में जुटी कॉन्ग्रेस को फ़िलहाल कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है। शायद इसीलिए जल्दबाज़ी में राहुल को केरल की वायनाड सीट से चुनाव लड़ाने का निर्णय लिया गया।