Sunday, November 17, 2024
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‘…ये हैं राजनीति के पप्पू’: राहुल ने कहा- महात्मा गाँधी की तरह मोहन भागवत के पास नहीं होती औरतें, लोगों ने याद दिलाए ‘गाँधी के प्रयोग’

राहुल गाँधी ने कहा, "जब आप महात्मा गाँधी को देखते हैं तो आपको इर्द-गिर्द 2-3 महिलाएँ दिखती हैं। क्या आपने मोहन भागवत के आसपास किसी महिला को देखा? ऐसा इसलिए है क्योंकि वो महिलाओं को दबाते हैं और..."

कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने बुधवार (सितंबर 15, 2021) को राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का नाम गलत संदर्भ के साथ लेकर एक और विवाद खड़ा कर दिया। मंशा तो उनकी संघ प्रमुख मोहन भागवत को घेरने की थी, लेकिन सोशल मीडिया पर यूजर्स उन्हें ही लताड़ने लगे।

ऑल इंडिया महिला कॉन्ग्रेस द्वारा आयोजित एक मीट में राहुल गाँधी ने कहा, “जब आप महात्मा गाँधी को देखते हैं तो आपको इर्द-गिर्द 2-3 महिलाएँ दिखती हैं। क्या आपने मोहन भागवत के आसपास किसी महिला को देखा? ऐसा इसलिए है क्योंकि वो महिलाओं को दबाते हैं और हमारा संगठन उन्हें मंच देता है।”

राहुल गाँधी अपनी ऐसी टिप्पणियों से चाहते थे कि वो दिखा सकें कि उनकी पार्टी महिलाओं के सशक्तिकरण पर कितना काम करती है जबकि आरएसएस में ये स्थिति उलट है। लेकिन सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे गलत समझ लिया और राष्ट्रपिता के लिए ऐसी टिप्पणी करने पर हैरानी जताने लगे कि महात्मा गाँधी दो-तीन महिलाओं की कंपनी में रहते थे।

एक ट्विटर यूजर पूछता है कि आखिर राहुल गाँधी ऐसी बातें कहकर महात्मा गाँधी की सराहना कर रहे हैं या फिर मोहन भागवत की?

दूसरे यूजर ने राहुल गाँधी की टिप्पणी पर पूछा कि क्या गाँधी व्यभिचारी थे जो हमेशा महिलाओं से घिरे रहते थे।

संघ से जुड़े रतन शारदा कहते हैं,”भगवान का शुक्र है कि मोहन भागवत ऐसे नहीं दिखे।”

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव विजय राहतकर इस पर प्रतिक्रिया देते हैं। वह कहते हैं, “आरएसएस का अंधा विरोध करने में ये आदमी राष्ट्रपिता पर सेक्सिस्ट टिप्पणी कर रहा है। ये भूल रहा है कि मोदी सरकार में 11 महिला मंत्री, 4 महिला राज्यपाल, 50+ सांसद और 100 से ज्यादा विधायाक हैं। इसके अलावा मोदी सरकार की नीतियाँ नारी शक्ति के इर्द-गिर्द होती हैं।”

कुछ अज्ञात यूजर्स सोशल मीडिया पर राहुल गाँधी की ऐसी बातों को सुन कर कह रहे हैं, “इसीलिए इनको राजनीति का पप्पू कहा जाता है।”

दिलचस्प बात यह है कि महात्मा गाँधी के बारे में राहुल गाँधी की ऐसी टिप्पणी ने उस चर्चा को केंद्र में ला दिया है जिस पर बहुत कम दफा बात हुई है। ये मुद्दा ‘गाँधी का जीवन: ब्रह्मचर्य के साथ उनके प्रयोग’ से जुड़ा है। दरअसल, गाँधी की शादी 13 साल की उम्र में कस्तूरबा गाँधी से हुई और दोनों ने सामान्य जीवन जिया। दोनों के 4 बच्चे भी हुए। अपनी जीवनी में गाँधी ने बताया कि कैसे वह स्कूल में भी कस्तूरबा गाँधी के बारे में सोचते थे और रात होने का ख्याल और दोनों की मुलाकात उन्हें सताती थी। वह अपनी पत्नी को पढ़ाना चाहते थे लेकिन प्रेम करने में उनको समय नहीं मिला। कुछ समय बाद उनकी सेक्स को लेकर धारणा बदल गई। वह अपनी पत्नी के साथ बिताए उन पलों पर खेद प्रकट करने लगे।

उन्होंने कई प्रयोग किए जो आज स्वीकारे भी न जाएँ। उन्होंने सत्य के प्रयोग के आश्रम बनाए और शुद्धता बनाए रखने पर जोर दिया। अगर ऐसा नहीं होता या वह कुछ यौन संबंधी बातें करते तो उन्हें सजा होती। आश्रम के इन नियमों ने शादीशुदा लोगों को भी एक साथ सोने की अनुमति नहीं थी। गाँधी की सलाह थी कि पतियों को अपनी पत्नियों के साथ अकेला नहीं रहना चाहिए। जब भी वह उत्तेजित महसूस करें तो ठंडे पानी से नहा लें।

एक ओर जहाँ सबके लिए नियम कुछ अलग थे वहीं गाँधी ने खुद को चुनौती देने के लिए अपने इर्द-गिर्द महिलाओं को इकट्ठा किया हुआ था। 1920 में वह युवा महिलाओं की कंधे पर हाथ रखकर सैर पर जाते और उन लड़कियों को अपनी छड़ी बताते। आभा और मनु उनकी छड़ी थीं। इसके बाद हर रोज नहाने के समय मसाज का चलन शुरू हो गया और धीरे-धीरे समय के साथ गाँधी के प्रयोगों में भी विस्तार हुआ। इसमें महिलाएँ उनके साथ सोतीं। ये सब उनके प्रयोग का हिस्सा था। जिसमें संयम आँका जाता था।

अब इन प्रयोगों के बारे में जानने के बाद ये असंभव है कि कोई राहुल गाँधी की बातों में आकर वैसे ही महिलाओं से इर्द-गिर्द होना चाहे लेकिन अब का दौर इसकी स्वीकृति नहीं देता।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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