केंद्रीय क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट के जजों को केंद्र सरकार के लिए कड़वे शब्दों का इस्तेमाल न करने की नसीहत दी है। आधार संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान उन्होंने ये बातें कहीं। कॉन्ग्रेस की आधार योजना को निराधार बताते हुए प्रसाद ने कहा कि सांसद को अदालत न बनाया जाए। उन्होंने कहा कि देश की जनता ने दोनों सदनों को क़ानून बनाने का सार्वभौम अधिकार दिया है। रविशंकर प्रसाद ने याद दिलाया कि वो न्यायालय का सम्मान करते हैं लेकिन जवाबदेही देश की जनता के प्रति है। उन्होंने कहा, “मैं सदन के सभी सदस्यों को याद दिलाना चाहता हूँ कि दोनों सदनों के पास यह अधिकार है कि किसी भी जजमेंट को पलट सकें।“
केंद्रीय मंत्री सुप्रीम कोर्ट द्वारा आधार पर दिए गए निर्णय के सम्बन्ध में बोल रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने आधार ऑर्डिनेंस को लेकर केंद्र सरकार से जवाब माँगा है। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हर-हमेशा सुप्रीम कोर्ट का पूरा सम्मान किया गया है। उन्होंने आँकड़े गिनाते हुए कहा कि 15 करोड़ राशन कार्ड में से लगभग 3 करोड़ फ़र्ज़ी पाए गए थे, जिन्हें आधार की वजह से पकड़ा जा सका। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को अपने निर्णय में ‘संवैधानिक धोखाधड़ी’ जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, “जैसे हम सुप्रीम कोर्ट के जजों का सम्मान करते हैं, वैसे ही वो भी हमारा सम्मान करें।“
उन्होंने आधार जजमेंट में निर्णय करने वाले सुप्रीम कोर्ट जज की उस टिप्पणी को याद किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत के संविधान को बनाने वाले यह जानते थे कि बहुमत की सरकार तानाशाह होती है। प्रसाद ने कहा कि उन्होंने क़ानून दिवस के दिन सार्वजनिक रूप से ऐसा कहने वाले जज को नसीहत दी कि इस तरह के कमेंट्स से बचा जाना चाहिए। उन्होंने पूछा कि वो जज आख़िर इस तरह की बातें कहाँ से लेकर आए?
इस दौरान रविशंकर प्रसाद ने आधार की उपयोगिताएँ गिनाईं और कहा कि इससे किसी की भी प्राइवेसी का हनन नहीं होता। उन्होंने संसद में अपना आधार कार्ड निकाल कर उस पर अंकित चीजों को समझाते हुए कहा कि मनुष्य की उँगलियों के निशान और पुतलियों को ‘कोर बायोमेट्रिक्स’ कहा गया है, जिसे बदला नहीं जा सकता।