Sunday, September 29, 2024
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पंजाब से 0 सीटें, फिर भी हारे हुए नेता को मंत्री बना PM ने दिया प्रतिनिधित्व: करतारपुर से लेकर हेमकुंट साहिब तक, सिख धर्म को सम्मान देने में आगे हैं मोदी

48 साल के रवनीत सिंह बिट्टू पंजाब के बड़े नेताओं में से एक हैं। वह पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते हैं। बेअंत सिंह की खालिस्तानी आतंकवादियों ने 1995 में हत्या कर दी थी। रवनीत सिंह बिट्टू 2009 से 2024 तक कॉन्ग्रेस से लुधियाना और आनंदपुर साहिब से सांसद रहे हैं।

लोकसभा चुनाव 2024 में स्पष्ट बहुमत के बाद NDA सरकार का रविवार (9 जून, 2024) को गठन होने जा रहा है। नई NDA सरकार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भाजपा के अलावा JDU, TDP, शिवसेना समेत अन्य सहयोगियों को जगह दी है। इस सरकार में ऐसे भी एक व्यक्ति को जगह दी जा रही है, जो कि लोकसभा चुनाव हार गया है लेकिन उसका केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में एक राज्य और एक समुदाय के प्रतिनिधित्व को मजबूत करने के साथ ही बड़े संदेश भी देगा।

प्रधानमंत्री आवास पर रविवार की सुबह कई बड़े भाजपा नेताओं की चाय पार्टी हुई। इसमें वह लोग भी शामिल थे जिन्होंने मंत्रिपद की शपथ ली। इनमें एक चेहरा पंजाब से आने वाले रवनीत सिंह बिट्टू का भी था। रवनीत सिंह बिट्टू लुधियाना सीट से 2024 का लोकसभा चुनाव भाजपा के टिकट से लड़े थे और उन्हें कॉन्ग्रेस के अमरिंदर राजा वारिंग के हाथों हार झेलनी पड़ी। इसके बाद भी उनको केन्द्रीय मंत्री बनाया गया।

कौन हैं रवनीत सिंह बिट्टू

48 साल के रवनीत सिंह बिट्टू पंजाब के बड़े नेताओं में से एक हैं। वह पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते हैं। बेअंत सिंह की खालिस्तानी आतंकवादियों ने 1995 में हत्या कर दी थी। रवनीत सिंह बिट्टू 2009 से 2024 तक कॉन्ग्रेस से लुधियाना और आनंदपुर साहिब से सांसद रहे हैं। रवनीत सिंह बिट्टू को पंजाब में खालिस्तान का खुले तौर पर विरोध करने वाला नेता जाना जाता रहा है। वह खालिस्तान और उसके समर्थकों को लेकर लगातार विरोध करते रहे हैं। इसके लिए उन्हें जान से मारे जाने की धमकियाँ तक मिल चुकी हैं।

खालिस्तानियों पर मुखर रहने वाले बिट्टू 2007 में राजनीति में आए थे। वह अपना पहला चुनाव हार गए थे। बिट्टू पंजाब में यूथ कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं। 2024 लोकसभा चुनाव के पहले रवनीत बिट्टू कॉन्ग्रेस को छोड़ कर भाजपा में आए थे। उन्हें भाजपा ने लुधियाना से 2024 लोकसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी बनाया था। वह पंजाब के कॉन्ग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर राजा वारिंग से लगभग 20,000 वोटों के अंतर से चुनाव हारे।

रवनीत बिट्टू को मंत्रिमंडल में जगह: प्रतिनिधित्व का सवाल

किसी भी सरकार का एक ऐसे हुए व्यक्ति को मंत्रिमडल में शामिल किया जाना प्रदर्शित करता है कि वह व्यक्ति कितना महत्वपूर्ण है। रवनीत सिंह बिट्टू को केन्द्रीय मंत्री बनाना में लेना, मोदी सरकार की पंजाब और सिखों के प्रति नीतियों को प्रदर्शित करता है। मोदी सरकार ने पंजाब में 8 सिख उम्मीदवारों को टिकट दिया था। इनमें से कोई भी जीत हासिल करने में सफल नहीं रहे। भाजपा की पंजाब में शून्य सीटें हैं। भाजपा के किसी सहयोगी के जीतने वालों सांसदों में भी सिख प्रत्याशी नहीं है।

ऐसे में भाजपा ने सिखों और पंजाब को केंद्र सरकार में उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए यह निर्णय लिया। भाजपा ने रवनीत सिंह बिट्टू को मंत्री बना कर मात्र पंजाब और सिखों को ही नहीं साधा है बल्कि इससे एक और बड़ा सन्देश दिया है। मोदी सरकार 2.0 में हरदीप सिंह पुरी के रूप में पहले ही सिख चेहरे शामिल रहे हैं। लेकिन रवनीत सिंह बिट्टू को केंद्र में जगह देकर भाजपा ने खालिस्तान के विरुद्ध अपने स्टैंड को स्पष्ट कर दिया है। भाजपा ने ऐसे व्यक्ति को मौक़ा दिया है जिसके दादा को खालिस्तानियों ने मारा और जो खालिस्तान का प्रबल विरोधी रहा है।

यह दिखाता है कि भाजपा उन लोगों के साथ खड़ी रहेगी जो कि देश को तोड़ने की बात करते हैं। साथ ही वह पंजाब की ऐसी आवाजों को बढ़ाने में मदद करेंगे जो देश की एकता के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके लिए भाजपा कॉन्ग्रेस के साथ दशकों का इतिहास रखने वालों को भी मौका देने से नहीं गुरेज करेगी।

पंजाब को बड़े सन्देश देते रहे हैं पीएम मोदी

रवनीत सिंह बिट्टू को केद्रीय मंत्रिमंडल में जगह देकर पीएम मोदी और भाजपा ने एक संदेश देने की कोशिश की है। हालाँकि, यह पहला मौक़ा नहीं है जब उन्होंने ऐसा किया हो। प्रधानमंत्री मोदी बार-बार सिख धर्म के प्रति अपनी आस्था जताते रहे हैं। लोकसभा चुनाव 2024 प्रचार के दौरान ही इसका एक उदाहरण देखने को मिला जब प्रधानमंत्री मोदी ने सर पर पगड़ी बाँध कर पटना साहिब गुरूद्वारे में सेवा की। इसकी तस्वीरें भी सामने आईं।

इससे पहले पीएम मोदी 26 दिसम्बर को वीर बाल दिवस घोषित कर चुके हैं। यह दिन दो साहिबजादों की शहीदी को याद करने के लिए है। पीएम मोदी ने भारत ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान से आने वाले शरणार्थी सिखों के लिए तक काम किया है। भारत और पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर का खोलना हो या फिर हेमकुन्ट साहिब तक पहुँचने का रास्ता आसान करना, यह सभी दिखाते हैं कि पंजाब और सिख समुदाय के लिए लगातर पीएम मोदी और भाजपा बड़े सन्देश देती रही है।

रवनीत बिट्टू को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने से दशकों पहले तक भाजपा ने अपने चुनावी नुकसान को भी सह कर पंजाब में हिन्दू-सिख एकता को लेकर काम किया है। भाजपा ने दशकों तक शिरोमणि अकाली दल के साथ मिलकर काम किया है और हमेशा पंजाब में छोटे भाई की भूमिका में रही है। उसने चुनावों में अकेले जाकर अपना मत प्रतिशत बढ़ाने के बजाय शिअद को ड्राइविंग सीट पर रखा है। इसका उद्देश्य भी पंजाब में सिख और हिन्दू एकता को बढ़ाना ही रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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