चुनाव परिणाम आने के बाद लगभग सभी राजनैतिक दलों की स्थितियाँ साफ़ हो चुकी हैं। एक ओर जहाँ लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा ने प्रचंड बहुमत के साथ जीत दर्ज की है वहीं कुछ राजनैतिक पार्टियाँ ऐसी भी हैं जो खाता तक नहीं खोल पाईं। बिहार में तेजस्वी यादव की नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनता दल का कुछ यही हाल हुआ है। 17वें लोकसभा चुनाव में आरजेडी के हिस्से में एक भी सीट नहीं आई।
बिहार में आरजेडी कॉन्ग्रेस के साथ गठबंधन करके मैदान में उतरी थी। पार्टी ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन एक भी सीट पर जीत नहीं दर्ज कर पाई जबकि कॉन्ग्रेस 9 सीटों पर मैदान में उतरी थी और पार्टी को बिहार में 1 सीट मिली।
Lok Sabha polls: In a first, RJD draws a blank in Bihar
— ANI Digital (@ani_digital) May 24, 2019
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आरजेडी का गठन 1997 में हुआ था। पार्टी ने पहला चुनाव 1998 में लड़ा था तब बिहार में उन्हें 17 सीट मिली थी। इसके बाद 2014 में पार्टी को बिहार में 27 सीटें मिलीं लेकिन 2019 में आरजेडी शून्य पर ही सिमटी रह गई। कॉन्ग्रेस और आरेजेडी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने वाली राष्ट्रीय लोक समता दल और हिंदू आवाम मोर्चा भी अपना खाता नहीं खोल पाई।
वहीं दूसरी ओर भाजपा-जेडीयू-एलजीपी के गठबंधन ने बिहार में ऐतिहासिक जीत हासिल की। भाजपा को बिहार में 17 सीटें मिलीं, जेडीयू को 16 सीटें और राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति दल को 6 सीटें मिली हैं। इस गठबंधन ने बिहार में 37 सीटें जीती हैं।