नई दिल्ली के अकबर रोड स्थित कॉन्ग्रेस मुख्यालय में कैशियर द्वारा 106 करोड़ रुपए की बेहिसाब नकदी प्राप्त करने की बात सामने आ रही है। टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार 2016 से 2019 के बीच ये पैसे भेजे गए थे और अब आयकर विभाग इसके स्त्रोत की जाँच कर रहा है।
न्यूज चैनल का दावा है कि उसके पास आयकर विभाग का 408 पन्नों का डोजियर है। इससे पता चलता है कि यह बेहिसाब नकदी बारी-बारी से कई किश्तों में पार्टी मुख्यालय पहुँचाई गई। अकबर रोड स्थित मुख्यालय में कैशियर ने द्वारा इसे प्राप्त किया गया। रिपोर्ट में बताया गया है;
- 13 फरवरी 2019 से 4 अक्टूबर 2019 के बीच 74,62,00,000 राशि दी गई।
- अगस्त 2016 से सितंबर 2016 के बीच पार्टी के अकबर रोड कार्यालय में कैशियर ने 26,50,00,000 रुपए प्राप्त किए।
- अप्रैल 2017 से सितंबर 2019 के बीच कॉन्ग्रेस मुख्यालय को 5,22,00,000 राशि दी गई।
#Exclusive | @INCIndia HQ under I-T probe lens.
— TIMES NOW (@TimesNow) November 23, 2020
TIMES NOW accesses 408-page dossier of I-T dept that reveals Rs 106 crore unaccounted cash delivered at Akbar Road.
Take a look at the different tranches.
Rahul Shivshankar & Navika Kumar with details. | #CongUnaccountedCashFile pic.twitter.com/7y6kzohKgj
इन लेन-देन की कुछ बारीकियों से पता चलता है कि 27 फरवरी, 2019 को 5.4 करोड़ रुपए सौंपे गए थे। 28 फरवरी, 2019 को 3.75 करोड़ रुपए दिए गए। वहीं 20 अप्रैल, 2019 को, एआईसीसी कार्यालय में 6.40 करोड़ रुपए की राशि सौंपी गई। इसके बाद 24 अप्रैल, 2019 को 5.45 करोड़ रुपए की एक और किश्त दी गई। दिलचस्प बात यह है कि इस राशि के कुछ हिस्से 2019 के आम चुनावों से ठीक पहले भेजे गए थे।
#Breaking on EXPLOSIVE #EXCLUSIVE | Moments after TIMES NOW newsbreak on ‘#CongUnaccountedCashFile’, @BJP4India’s @amitmalviya hits out at Gandhis saying, ‘Sonia Gandhi & @RahulGandhi must answer’.
— TIMES NOW (@TimesNow) November 23, 2020
Mohit Bhatt with details. pic.twitter.com/oHpIjoNivd
इस खुलासे के बाद बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कॉन्ग्रेस को निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा कि 2016 में जब नोटबंदी लागू किया गया था तो कॉन्ग्रेस पार्टी ने लगातार इसकी आलोचना की। अब कॉन्ग्रेस पार्टी को मुख्यालय में आए इस धन का जवाब देना होगा। अमित मालवीय ने कहा, “यह गाँधी परिवार के पैसे के प्रति लालच और भूख की ओर इशारा करता है। दस्तावेजों और आईटी के कार्रवाई के बारे में बताने की जरूरत है और यह किसी और को नहीं बल्कि सोनिया गाँधी को बताना चाहिए, क्योंकि अभी वही पार्टी प्रमुख हैं।”