Sunday, November 17, 2024
Homeराजनीतिअमेठी की मालविका में डूबे ₹366 करोड़, मनमोहन सिंह के जमाने में जान-बूझकर किया...

अमेठी की मालविका में डूबे ₹366 करोड़, मनमोहन सिंह के जमाने में जान-बूझकर किया गया था घाटे का सौदा

यूपीए के कार्यकाल के दौरान जब ये फैसला हुआ था, उस समय इस पर कई लोगों ने सवाल उठाया था। सेल हमेशा से कहती रही कि मालविका स्टील का अधिग्रहण उसके लिए व्यावहारिक नहीं है। अधिग्रहण के वक्त ही बंद पड़ी मालविका स्टील कबाड़ का रूप ले चुकी थी।

कॉन्ग्रेस सरकार के जमानों में सरकारी धन का किस तरह दुरुपयोग किया जाता रहा है, इसका सटीक नमूना अमेठी के मालविका स्टील का अधिग्रहण है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इसके अधिग्रहण के बाद से सार्वजनिक क्षेत्र की जानी-मानी कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) को करीब 366 करोड़ का नुकसान हो चुका है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान मालविका स्टील के अधिग्रहण के लिए सेल को मजबूर किया गया था।

उल्लेखनीय है कि अमेठी गॉंधी परिवार का गढ़ रहा। जिस जमाने में यह अधिग्रहण हुआ उस समय कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गॉंधी यहॉं से सांसद हुआ करते थे। हालॉंकि पिछले आम चुनाव में उन्हें अपने गढ़ में ही भाजपा की स्मृति ईरानी से मुॅंह की खानी पड़ी थी। मालविका स्टील में निवेश के लिए सेल को यूपीए सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल (2009-2014) में राजी किया था। उसके बाद से सेल को हुए नुकसान का खुलासा कैग की हालिया रिपोर्ट से हुआ है।

संसद में पेश भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि सेल द्वारा उत्तर प्रदेश की कंपनी मालविका स्टील का अधिग्रहण बेकार निवेश साबित हुआ है। बीमार कंपनी में जान फूँकने के लिए पीएसयू द्वारा किया गया 366 करोड़ रुपए का निवेश बेकार रहा है।

दैनिक जागरण के राष्ट्रीय संस्करण में प्रकाशित खबर

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूपीए के कार्यकाल के दौरान जब ये फैसला हुआ था, उस समय इस पर कई लोगों ने सवाल उठाया था। साथ ही मालविका स्टील में सुधार लाने के लिए सेल का इस्तेमाल करने को राजनीतिक फैसला भी कहा गया था। लेकिन उस समय इस अधिग्रहण को ऐसे पेश किया गया जैसे इससे बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा होंगे। साथ ही इससे इलाके में औद्योगिक विकास का रास्ता भी तैयार होगा।

हालाँकि, सेल हमेशा से कहती रही कि मालविका स्टील का अधिग्रहण उसके लिए व्यावहारिक नहीं है। अधिग्रहण के वक्त ही बंद पड़ी मालविका स्टील कबाड़ का रूप ले चुकी थी। दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार उस समय इस संपत्ति के इस्तेमाल का अध्ययन करने के लिए एक समिति भी गठित की गई थी। इस समिति ने 2015 में बताया था कि ज्यादातर उपकरणों का 17 साल से इस्तेमाल नहीं हुआ था और वे किसी काम के नहीं थे। बताया गया था कि इससे संयंत्र का रूप देना और उसे चालू करना संभव नहीं है।

कैग की रिपोर्ट में कहा गया कि सेल ने 2009 में 44.35 करोड़ रुपए में इस प्लांट का अधिग्रहण किया था। इसके बाद 94 करोड़ रुपए का निवेश इसमें और किया गया। अब तक सेल इस प्लांट पर करीब 366 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला है। दिलचस्प यह है कि 739.65 एकड़ में फैले मा​लविका स्टील का जमीन आज तक सेल के नाम पर ट्रांसफर नहीं हुआ है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

PM मोदी ने कार्यकर्ताओं से बातचीत में दिया जीत का ‘महामंत्र’, बताया कैसे फतह होगा महाराष्ट्र का किला: लोगों से संवाद से लेकर बूथ...

पीएम नरेन्द्र मोदी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश के कार्यकर्ताओं से बातचीत की और उनको चुनाव को लेकर निर्देश दिए हैं।

‘पिता का सिर तेजाब से जलाया, सदमे में आई माँ ने किया था आत्महत्या का प्रयास’: गोधरा दंगों के पीड़ित ने बताई आपबीती

गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाने और 59 हिंदू तीर्थयात्रियों के नरसंहार के 22 वर्षों बाद एक पीड़ित ने अपनी आपबीती कैमरे पर सुनाई है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -