अखिलेश यादव ने लोकसभा में राम मंदिर के लिए चंदा इकट्ठा करने वाले लोगों को ‘चंदाजीवी’ संगठन का सदस्य कहा था। सपा सुप्रीमो और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री की इस बयान को लेकर काफी आलोचना हो रही है। संत समाज ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
निर्मोही अखाड़े के महंत राजेन्द्र दास ने कहा कि गजनी ने हज़ारों-लाखों हिन्दुओं की हत्या करवाई थी। अखिलेश यादव उसके ही परिवार वालों में से एक हैं। जिन लोगों ने राम मंदिर आंदोलन के दौरान हज़ारों-लाखों को मरवा दिया था, ये सब गजनी के परिवार से हैं। इस तरह के लोगों को हिन्दू संस्कृति, राम मंदिर या चंदा के मुद्दे पर कुछ भी कहने का अधिकार नहीं है। इन नेताओं की वजह से सिर्फ हमारे धर्म को क्षति पहुँचती है।
काशी में अखिल भारतीय संत समिति के प्रवक्ता और पातालपुरी मठ के मुखिया महंत बालकदास ने भी अखिलेश यादव पर टिप्पणी की। महंत बालक दास ने कहा कि अखिलेश यादव और उनके पिता मलायम सिंह यादव ‘मियाँ की औलाद’ हैं। पिता-पुत्र दोनों का ही कोई अस्तित्व नहीं है, दोनों ही सनातन धर्म, हिन्दू संस्कृति, राम मंदिर और साधू-संतों के विरोधी हैं इसलिए इनके बयानों पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए। इसके अलावा महंत बालक दास ने अखिलेश यादव को अयोध्या में हुए गोलीकांड और काशी में हुई प्रतिकार यात्रा के दौरान साधु-संतों और बटुकों पर हुए लाठी चार्ज की याद दिलाई।
दरअसल मंगलवार (11 फरवरी 2021) को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान अखिलेश यादव ने कहा था, “हमारे देश को आंदोलन की वजह से आज़ादी मिली। आंदोलनों की वजह से देश के लोगों को कई अधिकार मिले, महिलाओं को वोट करने का अधिकार भी आंदोलन की वजह से ही मिला। अफ्रीका समेत देश और दुनिया में आंदोलन किया गया इसके बाद महात्मा गाँधी राष्ट्र पिता बने थे। उन आंदोलनों के बारे में क्या कहा जा रहा है? वो लोग आंदोलनजीवी हैं। मैं उन लोगों को क्या कहूँ जो लगातार चंदा लेने के लिए निकल जाते हैं। क्या वो चंदाजीवी संगठन के सदस्य नहीं हैं।”