उत्तर प्रदेश के रामपुर से सांसद आजम खान ने सोमवार (अक्टूबर 1, 2019) को अपने ऊपर चल रहे कई मामलों को एक के बाद एक निबटाने की जद्दोजहद की। वे अपने ख़िलाफ़ दर्ज मुकदमों की जाँच के लिए एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) के सामने पेश हुए। उनके साथ इस दौरान उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटा अब्दुल आजम भी मौजूद रहे। आजम और उनके परिजन आधे घंटे के करीब महिला थाना में रहे। उन्होंने अफसरों से कहा कि उनके ख़िलाफ़ चल रहे सभी मुकदमे झूठे है। वहीं, जाँच अधिकारियों ने आजम से 90 सवालों के जवाब माँगे हैं।
बताया जा रहा है कि सोमवार को आजम खान काफी दिनों बाद रामपुर में सार्वजनिक रूप से दिखे। उन्होंने पहले सुबह रामपुर विधानसभा सीट से सपा की उम्मीदवार और अपनी पत्नी तंजीन फाातिमा का नामांकन करवाया, फिर कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित किया। उन्होंने लोगों से तंजीन को जिताने की अपील की। बाद में, वह उनके ख़िलाफ़ 84 मामलों की जाँच कर रही एसआइटी टीम के सामने पेश होने महिला थाने पहुँचे।
#Exclusive #Breaking | SIT questions SP leader Azam Khan & family over allegations of land grabbing.
— TIMES NOW (@TimesNow) September 30, 2019
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थाने में आजम खान एसआईटी के सीओ सत्यजीत गुप्ता से मिले। उन्होंने सीओ से कहा कि उनका राजनीतिक जीवन बेदाग है। सरकार आती-जाती रहती है। अफसर बिना किसी भय, पक्षपात के निष्पक्ष होकर जाँच करें।
पेशी के दौरान सीओ ने आजम खान से एक दो नहीं बल्कि 90 सवालों के जवाब की तलब की। उन्होंने आजम खान से जवाब देने का आग्रह किया। आजम खान ने बाताया कि उनके ख़िलाफ़ सभी मुकदमे झूठे हैं, उन्हें जानबूझकर परेशान किया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस दौरान आजम खान के समर्थक दलीलें देते रहे, लेकिन अधिकारियों पर कोई असर नहीं पड़ा।
रामपुर लोकसभा से एसपी सांसद आजम खान स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम के सामने पेश हुए#AzamKhan @samajwadiparty https://t.co/loSCZWibgy
— News24 India (@news24tvchannel) September 30, 2019
यहाँ उल्लेखनीय है कि आलियागंज के किसानों की जमीन हड़पने के मामले में दर्ज 27 मुकदमों में बयान लेने के लिए पुलिस ने सपा सांसद को नोटिस दिया था। जौहर विश्वविद्यालय को लेकर उनका (सपा सांसद आजम खान) कहना था कि इस विश्वविद्यालय का निर्माण उनका सपना था और उसे पूरा करने के लिए ही उन्होंने लोगों से चंदे माँगे। उनके मुताबिक उन्होंने किसी की जमीन नहीं हड़पी है। जो किसान आज अपने आप को पीड़ित बता रहे हैं और उनपर केस कर रहे हैं, उनकी सहमति से ही जमीनें ली गई थीं।