Sunday, December 22, 2024
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शिवसेना पर कब्जे के लिए फिर से सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर उद्धव ठाकरे: कहा- शिंदे गुट का ‘धनुष-बाण’ इस्तेमाल करना अवैध, EC को नहीं फैसले का अधिकार

उद्धव ठाकरे के वकील अमित आनंद तिवारी को शिंदे गुट द्वारा दाखिल किए गए हलफनामे पर जवाब देने की भी अनुमति दे दी। ज्ञात हो कि उद्धव ठाकरे ने अपनी याचिका दाखिल करते हुए सुप्रीम कोर्ट से तत्काल सुनवाई करने की माँग की थी।

शिवसेना का नाम और चिन्ह को लेकर मची लड़ाई एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुँच गई है। चुनाव आयोग ने पार्टी का नाम और चिन्ह शिंदे गुट को दे दिया था। इस फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। सुनवाई 31 जुलाई 2023 को होगी।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उद्धव ठाकरे की याचिका को देखते हुए सोमवार (10 जुलाई 2023) को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायाधीश पीएस नरसिम्हा की बेंच सुनवाई के लिए तैयार हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि यह मामला लिस्ट करते हुए 31 जुलाई को सुनवाई की जाएगी। 

इसके अलावा कोर्ट ने उद्धव ठाकरे के वकील अमित आनंद तिवारी को शिंदे गुट द्वारा दाखिल किए गए हलफनामे पर जवाब देने की भी अनुमति दे दी। ज्ञात हो कि उद्धव ठाकरे ने अपनी याचिका दाखिल करते हुए सुप्रीम कोर्ट से तत्काल सुनवाई करने की माँग की थी। उद्धव ने अपनी याचिका में शिंदे गुट पर शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह अवैध रूप से उपयोग करने का आरोप लगाया है और ईसी के फैसले को भी चुनौती दी।

दरअसल, उद्धव ठाकरे गुट से अलग होने के बाद शिंदे गुट ने चुनाव आयोग जाकर पार्टी के नाम और चिन्ह पर अपना दावा ठोंका था। इसके बाद चुनाव आयोग ने 17 फरवरी 2023 को उद्धव ठाकरे गुट को बड़ा झटका देते हुए शिंदे गुट को आधिकारिक शिवसेना बताया था। साथ ही पार्टी का नाम और चिन्ह (धनुष-बाण) शिंदे गुट को दे दिया था।

आयोग ने कहा था कि साल 2018 में शिवसेना के संविधान में संशोधन कर इसकी जानकारी चुनाव आयोग को नहीं दी गई। इसके अलावा अलोकतांत्रिक तरीके से किए गए संविधान संशोधन से पार्टी जागीर बनकर रह गई थी।नचुनाव आयोग ने यह भी कहा था कि साल 2019 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना के 55 जीते हुए प्रत्याशियों में से एकनाथ शिंदे का समर्थन करने वाले विधायकों को करीब 76 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं उद्धव गुट के जीते हुए प्रत्याशियों को महज 23.5 प्रतिशत वोट ही मिले थे। इसलिए पार्टी पर शिंदे गुट का अधिकार है। चुनाव आयोग के इसी फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 

इससे पहले फरवरी 2023 में भी यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा था। तब चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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