नेशनल कॉन्ग्रेस पार्टी (NCP) के सुप्रीमो शरद पवार अभी से 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों की तैयारी में जुट गए हैं। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से मुलाकात होने के बाद उन्होंने 22 जून को दोपहर 4 बजे राष्ट्र मंच की बैठक बुलाई। इस मंच की नींव मोदी सरकार की नीतियों के विरुद्ध यशवंत सिन्हा ने साल 2018 में रखी थी।
राष्ट्र मंच की बैठक में NCP प्रमुख पहली बार हिस्सा लेने वाले हैं। ये बैठक आमने-सामने बैठ कर होगी, जिसमें 15 नेता शामिल हो सकते हैं। इनमें संभवत: यशवंत सिन्हा, AAP नेता संजय सिंह, पवन वर्मा, एनसीपी नेता मजीद मेनन, समाजवादी पार्टी के नेता घनश्याम तिवारी और कई अन्य नेता शामिल होंगे।
A meeting of Rashtra Manch,a political action group,launched by TMC leader Yashwant Sinha to be held at Nationalist Congress Party leader Sharad Pawar’s residence tomorrow. NCP’s Majeed Menon,Samajwadi Party’s Ghanshyam Tiwari& other leaders to participate in the meeting: Sources
— ANI (@ANI) June 21, 2021
इस बैठक को बुलाने से पहले एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार 15 दिन में प्रशांत किशोर से 2 बार मिल चुके हैं। एक मीटिंग 11 जून को पवार के मुंबई स्थित आवास पर हुई थी और दूसरी बैठक सोमवार को हुई। दोनों ही बैठकों में आधे घंटे चर्चा हुईं। मीडिया में कयास लग रहे हैं कि ये चर्चा 2024 में पीएम मोदी के ख़िलाफ़ विपक्ष को इकट्ठा करने का एक प्रयास है।
बता दें कि साल 2018 में यशवंत सिन्हा ने देश की आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक स्थिति पर चर्चा के लिये राष्ट्र मंच शुरू किया था। इसमें विपक्षी दलों के विभिन्न नेताओं के अलावा गैर राजनीतिक लोग भी हिस्सा लेते रहे है। राष्ट्र मंच का मकसद केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाना रहा है।
हालाँकि, अभी तक राष्ट्र मंच कोई राजनीतिक मोर्चा नहीं है लेकिन भविष्य में इसके तीसरे मोर्चा बनने की संभावना से इंकार नहीं कर सकते। शरद पवार के इस तरह बैठक बुलाने और उसमें शामिल होने की बात से माना जा रहा है कि इसे तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है जिसमें मोर्चे के संयोजक के रूप में शरद पवार नजर आएँगे। यही वजह है कि इस बैठक से कॉन्ग्रेस नेताओं ने दूरी बनाई हैं।
वहीं राष्ट्र मंच की स्थापना करने वाले यशवंत सिन्हा अब टीएमसी के उपाध्यक्ष हैं, जो कल बैठक में मौजूद होंगे। ऐसे में जाहिर है कि वह टीएमसी का प्रतिनिधित्व करेंगे। वैसे भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तो पहले ही इस मंच को अपनी मंजूरी दे चुकी हैं। उन्होंने पहले भी ये कहा था कि अगर विपक्षी पार्टियाँ एक होकर लड़ें तो 2024 में मोदी सरकार को हराया जा सकता है।