उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली की पुलिस ने वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता शशि थरूर पर फेक न्यूज़ फैलाने के लिए मामला दर्ज कर लिया है। लेकिन तमाम एफ़आईआर के बाद भी कॉन्ग्रेस नेता को दंगाई नवरीत सिंह की ऑटोप्सी (autopsy) को लेकर दावे करने से नहीं रोक पाई।
31 जनवरी को शशि थरूर ने अपने ट्वीट में लिखा कि नवरीत की ऑटोप्सी रिपोर्ट के मुताबिक़ उसकी ठुड्डी और कान की हड्डियों में छेद था। इसके बाद थरूर ने सवाल उठाया कि क्या डॉक्टर्स को चुप कराया गया है।
कॉन्ग्रेस नेता ने अपने ट्वीट में वामपंथी प्रचार पुरोधा ‘द वायर’ की रिपोर्ट का हवाला दिया। यह और बात है कि इसी वजह से द वायर के एडिटर सिद्धार्थ वरदराजन पर एफ़आईआर हुई है। अपने दूसरे ट्वीट में थरूर ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें गोली (bullet) के घाव का आरोप लगाया गया था।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट में सीएमओ (चीफ मेडिकल ऑफिसर) मनोज शुक्ला का बयान मौजूद है। इसमें उन्होंने कहा था कि ज़मीन पर तेज गति से टकराने की वजह से घाव बने होंगे, और दंगाई नवरीत की मौत तब हुई थी, जब वह पुलिस बैरीकेडिंग तोड़ने के लिए ट्रैक्टर चला रहा था और वह पलट गया।
TOI की रिपोर्ट में आगे नवरीत के परिजनों की बात दोहराई गई है, जिनका कहना था कि ऑटोप्सी करने वाले ‘डॉक्टर्स में से एक’ को गोली का घाव नज़र आया था। फ़िलहाल डॉक्टर्स ने मीडिया या किसी भी अन्य व्यक्ति से बात करने के लिए साफ़ मना कर दिया है।
हास्यास्पद यह है कि जिन लिबरल मीडिया संस्थानों की रिपोर्ट के आधार पर ये लोग फेक न्यूज वाली लिंक शेयर कर रहे हैं, उसी मीडिया संस्थान के संपादकों पर न सिर्फ FIR हो रही है बल्कि उनके सोशल मीडिया अकाउंट भी रोके जा रहे हैं।
शशि थरूर पर एफ़आईआर
जैसे ही थरूर, सरदेसाई समेत कई वामपंथी और लिबरल्स ने दावा किया कि गणतंत्र दिवस पर दंगाई नवरीत की मौत गोली लगने की वजह से हुई है, वैसे ही उत्तर प्रदेश पुलिस ने इन सभी पर सीआरपीसी (कोड ऑफ़ क्रिमिनल प्रोसीजर) की धारा 154 के तहत एफ़आईआर दर्ज कर ली।
इस एफ़आईआर में शशि थरूर, इंडिया टुडे के राजदीप सरदेसाई, नेशनल हेराल्ड के सीनियर कंसल्टिंग एडिटर मृणाल पांडेय, कौमी आवाज़ के एडिटर ज़फर आगा, कारवाँ मैगज़ीन के एडिटर और संस्थापक परेश नाथ, कारवाँ के एडिटर अनंत नाथ और इसके एग्जीक्यूटिव एडिटर विनोद के जोस और एक अज्ञात शामिल हैं।
दिल्ली पुलिस ने शशि थरूर और राजदीप सरदेसाई पर आईपी इस्टेट पुलिस थाने में आईपीसी (इंडियन पेनल कोड) की धारा 120बी (आपराधिक षड्यंत्र), 153 (दंगे भड़काना), 504 (शांति भंग करने के लिए जानबूझ कर अपमानित करना) और 505-1 बी (जनता में भय पैदा करने का उद्देश्य) के तहत एफ़आईआर दर्ज की है। इस एफ़आईआर में परेश नाथ, अनंत नाथ, विनोद के जोस, मृणाल पांडेय और ज़फ़र आगा का नाम शामिल है।
मध्य प्रदेश पुलिस ने भी शशि थरूर और 6 अन्य लोगों पर दंगाई की मौत के मामले में फेक न्यूज़ फैलाने के लिए एफ़आईआर दर्ज की है।