आज गुरुवार (अगस्त 22, 2019) को दिल्ली के जंतर-मंतर पर विपक्षी नेताओं का जमावड़ा लगा। मौक़ा था डीएमके द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन का, जिसमें जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन और अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने वाले केंद्र सरकार के निर्णय के ख़िलाफ़ विपक्षी एकजुटता दिखाई गई। इस विरोध प्रदर्शन में कॉन्ग्रेस नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद और राजद नेता मनोज झा और सीपीएम नेता वृंदा करात सहित कई विपक्षी दलों के प्रतिनिधि वहाँ उपस्थित रहे। लेकिन, एक नाम चौंकाने वाला था।
जेएनयू की पूर्व छात्र नेता और जम्मू कश्मीर में राजनीतिक महत्वाकांक्षा रखने वाली शेहला रशीद भी मंच पर उपस्थित थी। शेहला ने हाल ही में ट्विटर पर बिना सबूत जम कर अफवाह फैलाया था और भारतीय सेना के फटकार के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने उनकी गिरफ़्तारी की भी माँग की थी। शेहला रशीद का विपक्षी मंच पर आना कई प्रश्नचिह्न खड़े कर गया। जब डीएमके से इस बारे में पूछा गया तो पार्टी ने कहा कि शेहला के आने से समस्या नहीं होनी चाहिए क्योंकि वह जम्मू कश्मीर की एक राजनीतिक पार्टी का प्रतिनिधित्व करती हैं।
डीएमके नेता टीकेएस इलानगोवन ने कहा, “हाँ वो मंच पर थीं लेकिन देखा आपने, हमनें उन्हें बोलने नहीं दिया। हमनें जिन्हें आमंत्रित किया था, केवल उन्हें ही बोलने का मौक़ा दिया गया। बाकी लोग बैठ कर समर्थन कर सकते हैं।” डीएमके की नाराज़गी मुख्य रूप से इस बात को लेकर है कि जम्मू कश्मीर के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया है। शेहला रशीद के बारे में बात करते हुए डीएमके नेता ने कहा कि कुछ लोग बिना बुलाए आ गए हैं तो अब भगाया तो नहीं जा सकता न।
‘Shehla represents a political party in Kashmir, We did not allow her to speak. We thought we will only allow people who were invited and the rest can just be there for the support’, DMK leader T. K. S. Elangovan on sharing stage with Shehla Rashid. | #OppositionWithTukdeLobby pic.twitter.com/RsIaOHDYrl
— TIMES NOW (@TimesNow) August 22, 2019
डीएमके नेता ने कहा कि सीपीआइ ने भी इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया लेकिन उसे भी नहीं बुलाया गया था। डीएमके नेता टीकेएस ने कहा कि पार्टी शेहला रशीद द्वारा ट्विटर पर दिए गए बयानों से कोई इत्तेफाक नहीं रखती और उससे उनकी कोई सहमति नहीं है। टाइम्स नाऊ से बात करते हुए उन्होंने कहा कि अगर शेहला को बोलने की अनुमति दे दी जाती तो फिर सीपीआई को भी बोलने की अनुमति देनी पड़ती।