मध्य प्रदेश में पिछले दिनों हुए सियासी घटनाक्रम और सरकार गठन के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (अप्रैल 13, 2020) को अहम फैसला सुनाया है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि राज्यपाल के फ्लोर टेस्ट का फैसला सही था और यह जरूरी भी था क्योंकि सरकार बहुमत खो चुकी थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हालात के मुताबिक राज्यपाल की ओर से फ्लोर टेस्ट का फैसला लिया जाना बिल्कुल सही कदम था और राज्यपाल के पास ये संवैधानिक अधिकार है कि वो चलते हुए सत्र में फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दे सकते हैं।
पीठ ने कहा कि राज्यपाल खुद कोई फैसला नहीं ले रहे थे बल्कि केवल फ्लोर टेस्ट करने को कह रहे थे। अदालत ने कॉन्ग्रेस की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी के इस तर्क को खारिज कर दिया कि अगर सदन चल रहा हो तो राज्यपाल आदेश पारित नहीं कर सकते। पीठ ने कहा कि एक विधानसभा में दो तौर-तरीके होते हैं- अविश्वास प्रस्ताव या फ्लोर टेस्ट। इसमें राज्यपाल ने अनुच्छेद 356 के तहत शक्ति का प्रयोग किया है। अदालत ने इस दौरान राज्यपाल के अधिकारों को लेकर एक विस्तृत आदेश भी जारी किया।
सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान कहा कि राज्यपाल को फ्लोर टेस्ट जैसी माँग करने का पूरा हक है और वे ये कभी भी करवा सकते हैं। इसके साथ ही न्यायालय ने कहा कि राज्यपाल ऐसा विधानसभा के सत्र के दौरान भी आदेश दे सकते हैं और फ्लोर टेस्ट करने के लिए सरकार को बाध्य कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में 68 पेज के फैसले में अब अदालत ने स्थितियों को और साफ कर दिया है।
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सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कॉन्ग्रेस नेता कमलनाथ की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका में कहा गया था कि राज्यपाल ज्यादा से ज्यादा विधानसभा के सत्र को बुला सकते हैं, लेकिन वह फ्लोर टेस्ट का आदेश नहीं दे सकते हैं। बता दें कि कमलनाथ सरकार के अल्पमत में आने के बाद राज्यपाल लालजी टंडन ने फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के साथ यह भी स्पष्ट हो गया कि राज्यपाल भी फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दे सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि ये याचिका शिवराज सिंह चौहान पिछली कमलनाथ सरकार के समय फ्लोर टेस्ट, विधायकों की खरीद-फरोख्त को लेकर दायर की थी। दरअसल, मार्च के महीने में जब मध्य प्रदेश की सियासत में भूचाल आया हुआ था और पूर्व की कमलनाथ की कॉन्ग्रेस सरकार पर संकट मंडरा रहा था, तब भारतीय जनता पार्टी के नेता शिवराज सिंह चौहान की ओर से तुरंत फ्लोर टेस्ट करवाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। सुप्रीम कोर्ट ने तब फ्लोर टेस्ट तुरंत करवाने का आदेश दिया था, जिसके बाद कमलनाथ सरकार को इस्तीफा देना पड़ा था।