उत्तर प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में भी मदरसों का सर्वे कराया जाएगा। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चिंता जताते हुए कहा है कि मदरसों को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही हैं, इसलिए अब इन पर कड़ी नजर रखते हुए सर्वे करवाया जाएगा।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री मंगलवार (13 सितंबर, 2022) को सचिवालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा उत्तराखंड में मदरसों की गतिविधियों और काम को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि इन सभी शिकायतों को गंभीरता से लिया जा रहा है और इसके लिए सभी मदरसों की जाँच की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि मदरसों का सर्वे जरूरी हो गया है और इसके लिए जाँच प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यह बयान तब आया है जब, एक दिन पहले ही सोमवार (12 सितंबर, 2022) को राज्य के नए वक्फ बोर्ड अध्यक्ष शम्स ने कहा था कि राज्य सरकार को उत्तर प्रदेश की तर्ज पर मदरसों का सर्वे कराना चाहिए।
शम्स ने कहा था, “यूपी सरकार से सीख लेते हुए हम उत्तराखंड में चल रहे मदरसों का एक सर्वे कराएँगे। इसमें वो मदरसे शामिल होंगे जो यूएमबी या वक्फ बोर्ड से संबद्ध हैं। वो भी शामिल होंगे जो दोनों सरकारी संस्थाओं में से किसी के साथ रजिस्टर्ड नहीं हैं।”
उत्तराखण्ड में मदरसों के कामकाज, गतिविधियों को लेकर लगातार शिकायतें आ रही हैं, इन शिकायतों को राज्य सरकार द्वारा गंभीरता से लिया जा रहा है, जिसके दृष्टिगत प्रदेश के सभी मदरसों का सर्वे किया जाएगा। pic.twitter.com/519sKt23ad
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) September 13, 2022
उन्होंने यह भी कहा था, “किसी गैर-पंजीकृत मदरसे को उत्तराखंड में काम नहीं करने दिया जाएगा, चाहे कुछ भी हो जाए। मैंने सीएम से बात की है। सर्वे के लिए उन्हें जल्द ही एक औपचारिक प्रस्ताव भेजा जाएगा। राज्य की मस्जिदों और मदरसों में सुरक्षा कैमरे लगाए जाएँगे, ताकि यदि कोई अवैध गतिविधियां होती हैं तो उन पर रोक लग सके।”
उत्तर प्रदेश में आज से शुरू हो रहा है मदरसों का सर्वे
बता दें, 31 अगस्त को उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने आदेश दिया था कि राज्य के सभी मदरसों का सर्वे किया जाए और उनकी रिपोर्ट प्रशासन को सौंपी जाए। यूपी सरकार राज्य की शिक्षा व्यवस्था के कायाकल्प की दिशा में प्रयास कर रही है। मदरसों के सर्वे को लेकर सभी जिलों के डीएम को आदेश दिया गया है। यह सर्वे मंगलवार (13 सितंबर) से शुरू हो रहा है और इसके लिए 5 अक्टूबर, 2022 तक की समयसीमा तय की गई है। इसमें उन सभी मदरसों का सर्वे होगा, जो गैर-मान्यता प्राप्त हैं।
इस सम्बन्ध में एक बैठक भी हुई थी। उसमें स्पष्ट कर दिया गया कि सर्वे में SDM, BSA (बेसिक शिक्षा अधिकारी) और जिला अल्पसंख्यक अधिकारी मौजूद रहेंगे। ये रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी जाएगी, जिसे वो आगे सरकार को बढ़ाएँगे। दरअसल, इसका उद्देश्य मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर और आधुनिक बनाना है। किस जिले में कितने गैर-मान्यता प्राप्त मदरसे हैं और उनमें कितने छात्र तालीम ले रहे हैं, इसकी जानकारी भी प्राप्त होगी।
इन मदरसों में जिनका संचालन ठीक से हो रहा होगा, उन्हें मान्यता के दायरे में भी लाया जाएगा। किन मदरसों को कहाँ से फंडिंग मिल रही है, इसकी भी जाँच की जाएगी। ‘उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड’ से उन मदरसों को मान्यता दिलाई जाएगी, जो इसके योग्य होंगे। इतना ही नहीं, सरकार को ये जानकारी भी हासिल करनी है कि इन मदरसों में पढ़ा रहे शिक्षक कौन हैं और वो क्या पढ़ा रहे हैं। मदरसों का सिलेबस क्या है, रिपोर्ट में ये भी जुटाया जाएगा।