Friday, April 19, 2024
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‘राजीव गाँधी के कातिलों को छोड़ना है, जनता की है यही माँग… राज्यपाल को भेज दिया है प्रस्ताव’

तमिलनाडु के कैबिनेट ने पिछले सितंबर में ही इस मामले में जेल में बंद सात आतंकियों मुरुगन, संतन, पेरारिवालन, जयकुमार, रविचंद्रन, रॉबर्ट पायस और नलिनी को रिहा करने के लिए प्रस्ताव पारित कर दिया था।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानिस्वामी ने राजीव गाँधी के कत्ल के आरोप में उम्रकैद की सजा काट रहे कातिलों को रिहा करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। साथ ही यह भी कहा है कि यही तमिलनाडु की जनता की माँग है, और उन्होंने इसके लिए राज्यपाल को प्रस्ताव भेज दिया है। अब गेंद राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के पाले में ही है और दहशतगर्दों की आजादी में केवल वही अंतिम रुकावट हैं।

तमिल जनता का एक बड़ा धड़ा, विपक्ष भी साथ

पलानिस्वामी का यह बयान बयान उस समय आया है जब विपक्ष के अलावा तमिलनाडु की जनता का एक बड़ा धड़ा भी इस माँग के समर्थन में है। 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री और पूर्व कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राजीव गाँधी की आत्मघाती हमलावर ने मानव बम का इस्तेमाल कर हत्या कर दी थी। हमले में श्री गाँधी और हमलावर तेनमोली राजरत्नम के अतिरिक्त 13 और लोगों की भी मृत्यु हो गई थी। उस समय वह तमिलनाडु के ही श्रीपेरुम्बुदुर में लोकसभा निर्वाचन के लिए प्रचार कर रहे थे।

मामले के षड्यंत्रकारियों के खिलाफ टाडा एक्ट के तहत मुकदमा चला था। सभी 26 आरोपियों को चेन्नै की टाडा अदालत ने 1998 में मृत्युदंड दिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट में केवल चार मुख्य आरोपियों को मृत्युदंड कायम रखा गया। उनमें से भी नलिनी नामक महिला आरोपी को कॉन्ग्रेस की पूर्व अध्यक्षा और राजीव गाँधी की विधवा श्रीमती सोनिया गाँधी की पैरवी पर मृत्युदंड की बजाय उम्रकैद की सजा सुना दी गई। बाकी तीन आरोपियों के मृत्युदंड पर 2011 में मद्रास हाईकोर्ट ने आठ हफ़्तों की रोक लगा दी

पिछले सितंबर से ही राज्यपाल के पास प्रस्ताव लंबित

तमिलनाडु के कैबिनेट ने पिछले सितंबर में ही इस मामले में जेल में बंद सात आतंकियों मुरुगन, संतन, पेरारिवालन, जयकुमार, रविचंद्रन, रॉबर्ट पायस और नलिनी को रिहा करने के लिए प्रस्ताव पारित कर दिया था। पत्रकारों से बात करते हुए पलानिस्वामी ने यह कहा कि वह प्रस्ताव आम जनता की भावनाओं के अनुरूप ही था। उन्होंने आगे का निर्णय राज्यपाल के द्वारा लिए जाने की भी बात कही। राजीव गाँधी की हत्या की बरसी कल 21 मई को ही है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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