Saturday, April 27, 2024
Homeराजनीतिमंदिरों से ₹10 करोड़ वसूलने का फरमान: विरोध के बाद तमिलनाडु सरकार ने वापस...

मंदिरों से ₹10 करोड़ वसूलने का फरमान: विरोध के बाद तमिलनाडु सरकार ने वापस लिया फैसला, VHP ने दी थी चेतावनी

"तमिलनाडु व आंध्र प्रदेश सरकारों के हिन्दू द्रोही चेहरे जग जाहिर हैं। दोनों ही सरकारों द्वारा मंदिरों की पवित्रता व भगवान के धन पर कुदृष्टि के साथ हिंदुओं के धर्मांतरण को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। भविष्य में सरकारें इस प्रकार के हिन्दू द्रोही कदमों से बाज आएँ।"

तनिलनाडु सरकार ने अपने उस आदेश को वापस ले लिया है, जिसके तहत हिन्दू मंदिरों से 10 करोड़ रुपए की रकम मुख्यमंत्री कोविड-19 रिलीफ फण्ड में ट्रांसफर करने की बात कही गई थी। ‘द तमिलनाडु हिन्दू रिलीजियस एंड चैरिटेबल एंडोमेंट्स’ ने ऐसा आदेश दिया था, जिसे अब हिन्दू संगठनों और लोगों के विरोध के बाद वापस ले लिया गया है। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा है कि ये क़ानूनी रूप से तर्कसंगत नहीं है। अब इस फ़ैसले पर रोक लग गई है।

मद्रास हाईकोर्ट की एक पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL) बेंच ने अप्रैल 22, 2020 को आए इस आदेश को अमान्य करार दिया। इस बेंच में जस्टिस विनोद कोठरी और पुष्प सत्यनारायण शामिल थीं। ‘हिन्दू टेम्पल वॉरशिपर्स सोसाइटी’ के अध्यक्ष टीआर रमेश ने इस आदेश पर रोक लगाने की माँग की थी। तमिल अख़बार दिनमालारी के डिटोर आरआर गोपालजी ने भी याचिका दायर की थी। इसके बाद विभाग ने एक नया सर्कुलर जारी कर के इस आदेश को वापस ले लिया

याचिका में कहा गया था कि कमिश्नर के पास ऐसा कोई आदेश जारी करने का कोई अधिकार नहीं है, वो भी तब जब सरकार के आदेश के कारण सारे मंदिर पिछले दो महीने से बंद हैं। उन्होंने दलील दी कि रेवेन्यू न होने के कारण मंदिरों के पास कोई सरप्लस नहीं है और ऐसे में रुपए लेना सही नहीं है। विहिप के प्रवक्ता विनोद बंसल ने इस फ़ैसले का स्वागत किया और हिंदूवादी संगठनों को बधाई दी। विश्व हिन्दू परिषद ने इस आदेश के बाद कहा:

तमिलनाडु व आंध्र प्रदेश सरकारों के हिन्दू द्रोही चेहरे जग जाहिर हैं। दोनों ही सरकारों द्वारा मंदिरों की पवित्रता व भगवान के धन पर कुदृष्टि के साथ हिंदुओं के धर्मांतरण को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। ये असंवैधानिक, निंदनीय व हिन्दू समाज पर गहरी चोट है। हिन्दू समाज के तुरंत कानूनी व अन्य दबावों के चलते तमिलनाडु सरकार ने सिर्फ हिन्दू मंदिरों से जबरन 10 करोड़ रुपए वसूलने के अपने तुगलकी फ़रमान को वापस लिया। भविष्य में भी सरकारें इस प्रकार के हिन्दू द्रोही कदमों से बाज आएँ।

विनोद बंसल ने पूछा कि हिन्दू श्रद्धालुओं के दान व मंदिरों की सम्पत्ति को मंदिरों, हिन्दू धर्म कार्यों या हिंदू समाज के कल्याण में लगाने के बजाए ईसाइयों व दूसरे मजहब वालों द्वारा हिंदुओं के धर्मांतरण में खर्च करना कौन सा सेक्यूलरिज्म है? उन्होंने सरकारों को सलाह दी कि वो हिन्दू द्रोह से बाहर निकलें।

बता दें कि तमिलनाडु सरकार ने 47 मंदिरों को CM राहत कोष में ₹10 करोड़ रुपए देने का आदेश दिया था। इसके विपरीत राज्य सरकार ने 16 अप्रैल को रमजान के महीने में प्रदेश की 2,895 मस्जिदों को 5,450 टन मुफ्त चावल वितर‌ित करने आदेश दिया था, ताकि रोजेदारों को परेशानी ना हो। वास्तव में मदिरों को ऐसा आदेश देने के पीछे तमिलनाडु सरकार की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति जिम्मेदार है।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

लोकसभा चुनाव 2024: बंगाल में हिंसा के बीच देश भर में दूसरे चरण का मतदान संपन्न, 61%+ वोटिंग, नॉर्थ ईस्ट में सर्वाधिक डाले गए...

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग के 102 गाँवों में पहली बार लोकसभा के लिए मतदान हुआ।

‘इस्लाम में दूसरे का अंग लेना जायज, लेकिन अंगदान हराम’: पाकिस्तानी लड़की के भारत में दिल प्रत्यारोपण पर उठ रहे सवाल, ‘काफिर किडनी’ पर...

पाकिस्तानी लड़की को इतनी जल्दी प्रत्यारोपित करने के लिए दिल मिल जाने पर सोशल मीडिया यूजर ने हैरानी जताते हुए सवाल उठाया है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe