जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में आतंकवाद के नए रूप टारगेट किलिंग (Target Killings) के जरिए हिंदुओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। अभी तक की हत्याओं में कई ऐसे लोगों की इस्लामी आतंकियों ने हत्या की जो स्थानीय नहीं थे। आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, टारगेट किलिंग में अब 16 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। इनमें पुलिसकर्मी से लेकर सरपंच और मजदूर तक शामिल हैं।
घाटी में लगातार हमले झेल रहा हिंदू समुदाय अब वहाँ रहने के अपने फैसले पर फिर से विचार कर रहा है। हालाँकि, सरकार आतंकियों के सफाए के अभियान को लगातार जारी रखी है, लेकिन इस समुदाय में लगातार हो रही हत्याओं से डर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इस्लामी आतंकियों ने हिंदुओं पर हमलों को चेतावनी पहले ही दे रखी है।
खुफिया एजेंसियों द्वारा किए गए सुरक्षा आकलन में आने वाले दिनों में टारगेट किलिंग में वृद्धि की आशंका जताई गई है। वर्तमान समय 1990 की दशक की याद दिला रहा है, जब कश्मीरी हिंदुओं पर हमले कर उन्हें घाटी छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया गया था। उस दौरान लाखों हिंदू घाटी से पलायन कर गए थे।
हालाँकि, घाटी की वर्तमान स्थिति ने कुछ राजनीतिक दलों के नया अवसर पैदा कर दिया है। ये लोग कश्मीर में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे हमलों को अपने राजनीतिक एजेंडा के लिए कर रहे हैं और आतंकियों को दोष देने के बजाए राजनीतिक रोटी सेंकने में लगे हैं।
वामपंथी प्रोपगेंडा शुरू
प्रोपगेंडा वेब पोर्टल ‘द वायर’ की पत्रकार और घोर वामपंथी आरफा खानुम शेरवानी ने हिंदुओं के पलायन पर हाल ही में पोस्ट किया। इस पोस्ट में उन्होंने पलायन के लिए सभी को जिम्मेवार ठहरा दिया, लेकिन इस्लामी चरमपंथियों को लेकर एक शब्द भी नहीं कहा। इस पलायन के लिए आरफा ने ‘कश्मीर फाइल्स’ फिल्म और इसके निर्माताओं को दोषी ठहराया।
आरफा की सहयोगी वामपंथी पत्रकार रोहिणी सिंह ने इस पलायन का मजाक उड़ाया।
विवादास्पद पत्रकार और चंदा-धोखाधड़ी के आरोपी राना अय्यूब भी मुस्लिम बहुल कश्मीर में अल्पसंख्यक हिंदुओं की मौजूदा दुर्दशा के लिए इस्लामी आतंकवाद को जिम्मेदार नहीं ठहराया। कश्मीर में टारगेट किलिंग के लिए उन्होंने पूरे देश को जिम्मेदार ठहरा दिया।
तीन दशकों से इस्लामी आतंकवाद की मार झेल रहे कश्मीरी हिंदू की समस्याओं के लिए इन वामपंथियों ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ को चालाकी के साथ दोषी ठहरा दिया। इसका दोष प्रशासन पर डाल दिया और आतंकवाद को पूरी तरह से खारिज कर दिया। यह इस्लामी आतंकवाद के कुकर्मों का ढँकने के प्रयास के अलावा और कुछ नहीं है।
इस्लामी सर्वोच्चता के नशे में धुत आतंकवादियों और जिहादियों द्वारा हिंदुओं को घाटी छोड़ने की धमकी पर इन लोगों ने कभी कुछ खुलकर नहीं कहा। ये एक तरह से इस्लामी आतंकियों को वैचारिक कवच देने का काम करते हैं। उनके इस तरह के बयान यही कवच देने का काम करता है।