Tuesday, November 26, 2024
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क्या है दिल्ली का शराब घोटाला? मनीष सिसोदिया क्यों गए जेल? – 15 पॉइंट्स में सिंपल तरीके से समझें सब कुछ

कोरोना काल में शराब कंपनियों को हुए नुकसान की भरपाई करने के नाम पर केजरीवाल सरकार ने लाइसेंस फीस में बड़ी छूट दी। वास्तव में सरकार ने कंपनियों की 144.36 करोड़ रुपए की लाइसेंस फीस माफ कर दी थी।

दिल्ली के शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार आरोपित मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया। जहाँ सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उन्हें 5 दिन की रिमांड में भेज दिया है। इसका मतलब साफ है कि अब सीबीआई सिसोदिया से और कड़ी पूछताछ करेगी।

दिल्ली के शराब नीति को लेकर केजरीवाल सरकार ने दावा किया था कि इससे राजस्व में 3500 करोड़ रुपए का फायदा होगा। हालाँकि इस पूरे मामले की जाँच करते हुए ईडी ने पाया है कि इस शराब घोटाले से राजस्व में 2873 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

15 पॉइंट्स में समझिए क्या है शराब घोटाला

1.) नवंबर 2021 में लागू की गई दिल्ली सरकार की नई शराब नीति के तहत राज्य में कुल 849 दुकानें खोली गईं। इस शराब नीति से पहले 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40% प्राइवेट होती थीं। वहीं, घोटाले के लिए तैयार की गई शराब नीति में सभी दुकानें प्राइवेट कर दी गईं। इससे सरकार को सीधी तरह नुकसान हुआ।

2.) दिल्ली सरकार ने शराब बेचने के लिए मिलने वाले लाइसेंस की फीस कई गुना बढ़ा दी। L-1 लाइसेंस पहले ठेकेदारों को 25 लाख रुपए में मिल जाता था। हालाँकि नई शराब नीति लागू होने के बाद इसके लिए ठेकेदारों को 5 करोड़ रुपए देने पड़े। इसी तरह अन्य लाइसेंस के लिए भी फीस कई गुना तक बढ़ा दी गई। इससे छोटे ठेकेदार लाइसेंस नहीं ले सके। इसका सीधा फायदा बड़े व्यपारियों को मिला।

3.) उप मुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया के कहने पर आबकारी विभाग द्वारा L-1 बिडर को 30 करोड़ रुपए वापस कर दिए। दिल्ली एक्साइज पॉलिसी में किसी भी बिडर का पैसा करने का नियम नहीं है। लेकिन सिसोदिया के कहने पर भी यह भी हुआ।

4.) कोरोना काल में शराब कंपनियों को हुए नुकसान की भरपाई करने के नाम पर केजरीवाल सरकार ने लाइसेंस फीस में बड़ी छूट दी। वास्तव में सरकार ने कंपनियों की 144.36 करोड़ रुपए की लाइसेंस फीस माफ कर दी थी।

5.) विदेशी शराब और बियर के पर मनमाने ढंग से 50 रुपए प्रति केस की छूट दी गई। यह छूट कंपनियों को फायदा देने के लिए दी गई थी।

6.) दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति के तहत राज्य को 32 जोन में बाँटा था। इसमें से 2 जोन के ठेके एक ऐसी कंपनी को दिए गए जो ब्लैक लिस्टेड थी।

7.) शराब बेचने वाली कंपनियों के बीच कार्टेल पर प्रतिबंध होने के बाद भी केजरीवाल सरकार ने शराब विक्रेता कंपनियों के कार्टेल को लाइसेंस दिए थे। इसके तहत शराब कंपनियों को शराब पर डिस्काउंट देने और एमआरपी पर बेचने के बजाय खुद कीमत तय करने की छूट मिल गई। इसका फायदा भी शराब बेचने वालों को हुआ।

8.) नई शराब नीति को लेकर कैबिनेट की बैठकों में मनमाने ढंग से फैसले लिए गए। यही नहीं, नियमों को ताक पर रखते हुए कैबिनेट नोट सर्कुलेशन के बिना ही प्रस्ताव पास करा दिए गए।

9.) शराब विक्रेताओं को फायदा पहुँचाने के उद्देश्य से ड्राई डे की संख्या घटा दी गई। यह संख्या पहले 21 थी, वहीं नई शराब नीति के तहत दिल्ली में ड्राई डे महज 3 दिन ही था।

10.) शराब ठेकेदारों को पहले 2.5 प्रतिशत कमीशन मिलता था। वहीं नई शराब नीति के तहत इसे बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया। इससे शराब ठेकेदारों को फायदा हुआ। वहीं सरकारी खजाने को नुकसान झेलना पड़ा।

11.) केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के 2 जोन में शराब निर्माता कंपनी को रिटेल में शराब बेचने की अनुमति दी। वहीं, नियम यह है कि शराब निर्माता और रिटेल विक्रेता अलग-अलग होगा।

12.) उपराज्यपाल से अनुमति लिए बिना ही दो बार आबकारी नीति को आगे बढ़ाया गया। साथ ही मनमाने ढंग से छूट दी गई। इसका शराब कंपनियों ने फायदा उठाया। कैबिनेट की बैठक बुलाकर ही सारे फैसले ले लिए गए।

13.) दिल्ली सरकार ने बिना किसी ठोस आधार के टेंडर में नई शर्त जोड़ते हुए कहा था कि हर वार्ड में कम से कम दो दुकानें खोलनी पड़ेंगीं। इसके लिए दिल्ली के आबकारी विभाग ने भी केंद्र सरकार से अनुमति लिए बिना ही अतिरिक्त दुकानें खोलने की अनुमति दे दी। इसका शराब निर्माता कंपनियों ने फायदा उठाया।

14.) सोशल मीडिया, बैनर्स और होर्डिंग्स के जरिए शराब को बढ़ावा देने वालों पर दिल्ली सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। यह दिल्ली एक्साइज नियम 2010 के 26 और 27 नियम का उल्लंघन है।

15.) नई आबकारी नीति लागू करने के लिए केजरीवाल सरकार ने जीएनसीटी एक्ट-1991, ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 का सीधे तौर पर उल्लंघन किया।

दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री और शराब नीति बनाने वाले आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर आम आदमी पार्टी हँगामा कर रही है। कहा जा रहा है कि चार्जशीट में नाम न होने के बाद भी उन्हें गिरफ्तार क्यों किया गया। दरअसल, सिसोदिया की गिरफ्तारी में दिनेश अरोड़ा का नाम सबसे अहम माना जा रहा है। अरोड़ा सिसोदिया का करीबी था। अब वह सरकारी गवाह बन गया है। अरोड़ा ने ही सिसोदिया समेत कई अन्य आरोपितों के नाम लिए हैं।

इसके अलावा, कहा जा रहा है कि सीबीआई मनीष सिसोदिया से अन्य आरोपितों व डिजिटल सबूतों को लेकर भी पूछताछ कर रही है। दरअसल, शराब घोटाले के आरोपितों ने 170 फोन बदले थे। इसमें से सिसोदिया ने 14 फोन बदले थे। जाँच एजेंसियों का मानना है कि इन फोन में ही अहम सबूत थे। इसलिए सिसोदिया समेत अन्य आरोपितों ने या इन्हें तो बदल दिया या तोड़ दिया। अब सीबीआई तमाम सबूतों को इकट्ठा करने के बाद सिसोदिया से पूछताछ कर रही है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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