इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी योगी सरकार लखनऊ शहर के चौराहों पर लगे दंगाई अपराधियों के पोस्टर हटाने को तैयार नहीं हैं, वहीं दूसरी ओर योगी सरकार हाईकोर्ट के इस आदेश को चुनौती देने की तैयारी में जुट गई है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने कानून के अधिकारियों को हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका तैयार करने को कहा है। याचिका इस सप्ताह के अंत तक दायर की जाएगी।
हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे लेकिन पोस्टर नहीं हटाएंगे : योगी जी
— 𝐏𝐮𝐬𝐡𝐩𝐞𝐧𝐝𝐫𝐚 𝐊𝐮𝐥𝐬𝐡𝐫𝐞𝐬𝐭𝐡𝐚 (@The_PushPendraa) March 10, 2020
योगी सरकार इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी, राज्य सरकार होली के बाद अपील दायर करेगी।
दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा था कि सड़क के किनारे होर्डिंग्स पर आरोपितों की तस्वीरें और उस पर छपे व्यक्तिगत विवरण गोपनीयता में सरकार का अनुचित हस्तक्षेप है। हाईकोर्ट ने सरकार को चौराहों पर लगे आरोपितों के पोस्टर हटाने के साथ ही इस पर 16 मार्च तक रजिस्ट्रार जनरल को एक अनुपालन रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी का कहना है कि हम इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश की जाँच कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे कानून के जानकार यह भी जाँच कर रहे हैं कि पोस्टर हटाने के लिए किस आधार पर यह आदेश जारी किया गया है। हालाँकि, सरकार तय करेगी कि कौन सा विकल्प अपनाना होगा। त्रिपाठी ने एक बार सरकार भी मंशा फिर साफ की और कहा कि सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुँचाने वाले लोगों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
दरअसल, पिछले साल 19 दिसंबर को लखनऊ के कई स्थानों पर उपद्रवियों ने सीएए विरोध के नाम पर हिंसा की थी, जिसमें करोड़ों की सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचाया गया था। हिंसा में शामिल 57 लोगों के नाम और पते के साथ लखनऊ शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर कुल 100 होर्डिंग्स लगाए गए थे। प्रशासन ने इससे पहले आरोपितों पर 1.55 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाते हुए नोटिस जारी किया है, जिसके तहत 8 अप्रैल तक जुर्माने की रकम को जमा कराना होगा।
जिसके पीछे सरकार की दलील थी कि सरकार इन उपद्रवियों के चेहरों को बेनकाब करना चाहती है, जिन्होंने सीएए विरोध के नाम पर हिंसा की और सरकार की करोड़ों रुपयों की संपत्ति को नुकसान पहुँचाया।
लखनऊ में 19 दिसंबर को हुई हिंसा के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डीजीपी ओपी सिंह ने कहा था कि वे हिंसा में किसी भी निर्दोष को हाथ नहीं लगाएँगे, लेकिन जिन्होंने हिंसा की है, उन्हें किसी कीमत पर नहीं छोड़ा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा था कि प्रदेश में सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुँचाया गया है, उसकी भरपाई उपद्रवियों की संपत्ति से ही की जाएगी।