उत्तराखंड सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड-यूसीसी) लाने की तैयारी अंतिम चरण में है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सरकारी आवास पर हुई कैबिनेट की बैठक में यूसीसी कमेटी की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया। इसे 6 फरवरी को विधानसभा के पटल पर रखा जा सकता है।
यूसीसी मसौदा रिपोर्ट को कैबिनेट की मंजूरी के साथ सरकार 6 फरवरी को उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दौरान यूसीसी विधेयक पेश करने के लिए पूरी तरह तैयार है। उत्तराखंड विधानसभा का चार दिवसीय विशेष सत्र पहले ही 5-8 फरवरी तक बुलाया जा चुका है। इसके लागू होते ही उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी अपनाने वाला पहला भारतीय राज्य बन जाएगा। यह पुर्तगाली शासन के दिनों से ही गोवा में चालू है।
इसके लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री आवास पर कैबिनेट की बैठक बुलाई गई थी, जिसमें उत्तराखंड कैबिनेट ने यूसीसी रिपोर्ट को मंजूरी दे दी।
The Uttarakhand Cabinet approved the UCC report in the cabinet meeting being held at the Chief Minister's residence under the chairmanship of Chief Minister Pushkar Singh Dhami. pic.twitter.com/Zf1xysFMgq
— ANI (@ANI) February 4, 2024
सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अगुवाई वाली यूसीसी मसौदा समिति ने शुक्रवार (2 फरवरी 2024) को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को मसौदा सौंपा। धामी ने पहले बताया था कि यूसीसी ड्राफ्ट पर 2,33,000 लोगों ने सुझाव दिए हैं। उन्होंने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था, “मसौदा रिपोर्ट लगभग 740 पेज लंबी है और 4 खंडों में है…।”
यूसीसी राज्य में जाति और धर्म के बावजूद सभी समुदायों के लिए समान नागरिक कानून का प्रस्ताव करता है। यह सभी नागरिकों के लिए समान विवाह, तलाक, भूमि, संपत्ति और विरासत कानूनों के लिए एक कानूनी ढाँचा प्रदान करेगा। उत्तराखंड में यूसीसी विधेयक का पारित होना 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान राज्य के लोगों से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा किए गए एक प्रमुख वादे को पूरा करने का प्रतीक होगा।
यूसीसी के विरोध में तीखी प्रतिक्रिया
बता दें कि देहरादून के शहर काजी ने धमकी देते हुए इस पर आपत्ति जताई थी। देहरादून के शहर काजी मोहम्मद अहमद कासमी ने यूसीसी लागू किए जाने पर नुकसान की चेतावनी हेते हुए कहा है कि सरकार जो चाहे वह फैसला ले सकती है। उनके हाथ में प्रदेश की बागडोर है। लेकिन, इस फैसले को लागू किए जाने के बाद आगे जो भी नुकसान होगा, उसकी भी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
कॉन्ग्रेस ने भी किया विरोध
इस्लामी तुष्टिकरण की अपनी लाइन पर चलते हुए कॉन्ग्रेस भी इस फैसले पर सवाल उठा रही है। राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए पार्टी ने कहा है कि इस तरह की नीति से उत्तराखंड को कोई फायदा नहीं होने वाला। भाजपा सिर्फ लोकसभा चुनाव में फायदा उठाने की कोशिश के लिए ऐसे काम कर रही है।
कॉन्ग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना ने बीजेपी पर ध्रुवीकरण के आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने यूसीसी पर किन लोगों की राय ली है, वो बताए। सिविल लॉ के किन प्रावधानों को बदले जाने की जरूरत महसूस हुई, सरकार वो भी सामने रखे। धस्माना ने कहा कि हमें यूसीसी से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इससे उत्तराखंड में किसी भी तबके को कोई लाभ नहीं होने वाला है।