उत्तराखंड सरकार के एक आदेश पर विवाद पैदा हो गया है। टिहरी गढ़वाल के जिला समाज कल्याण पदाधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित एक आदेश में कहा गया है कि राष्ट्रीय एकता की भावना को जीवित रखने और सामाजिक एकता को बनाए रखने के लिए अंतरजातीय तथा अंतरधार्मिक विवाह काफी सहायक सिद्ध हो सकते हैं। इससे भिन्न-भिन्न परिवारों में एकता की भावना सुदृढ़ होने की बात भी कही गई है। लोगों ने इसे ‘लव जिहाद’ को बढ़ावा देना करार दिया है।
समाज कल्याण विभाग ने ऐलान किया कि इस प्रकार के विवाह को बढ़ावा देने के लिए सरकार की तरफ से उत्तराखंड के अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाहित दम्पति को प्रोत्साहन स्वरूप 50,000 रुपए प्रदान किए जाते हैं। अंतरधार्मिक विवाह के बारे में बताया गया है कि ये संघ या ब्यूरो द्वारा मान्यता प्राप्त मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर या अन्य देवस्थान में संपन्न हुआ हो। इसके लिए आवेदन-पत्र भी निःशुल्क मिलता है।
ऐसे विवाह के रजिस्ट्रेशन के बाद अगले एक वर्ष तक आवेदन किया जा सकता है। इस पर ‘सुदर्शन न्यूज़ टीवी’ के मुख्य संपादक सुरेश चव्हाणके ने पूछा कि ‘लव जिहाद’ करने वाले को सजा की जगह 50,000 का सरकारी इनाम दिया जा रहा है? उन्होंने पूछा कि देवभूमि उत्तराखंड में ये उल्टी गंगा क्यों बह रही है? उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से पूछा कि जब सारे राज्य ‘लव जिहाद’ के विरुद्ध कानून बना रहे तो उत्तराखंड में इसे बढ़ावा क्यों?
उन्होंने आशंका जताई कि कोई ‘UPSC जिहाद’ वाला अधिकारी ही ऐसा करा रहा है। बता दें कि उनके शो ‘UPSC जिहाद’ को लेकर काफी विवाद हुआ और अभी भी यह मामला कोर्ट से लेकर सरकारी दफ्तर तक लटका पड़ा है। इस आदेश के बाद एक व्यक्ति ने उत्तराखंड सरकार के विभिन्न हैंडलों को ट्विटर पर टैग कर के पूछा कि क्या ये सच है? साथ ही ऐसा आदेश जारी करने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की भी माँग की।
ग़ज़ब- #लव_जिहादी को सजा नही 50 हज़ार सरकारी इनाम?
— Suresh Chavhanke “Sudarshan News” (@SureshChavhanke) November 20, 2020
देवभूमि उत्तराखंड में उल्टी गंगा क्यू बह रही है?
जब सारे राज्य #LoveJihad के विरुद्ध क़ानून बना रहे हैं तो ये बढ़ावा क्या CM @tsrawatbjp जी आपको पता भी है?
#UPSC_Jihad वाला अधिकारी तो नहीं करा रहाँ?@ukcmo @GovtofUK @BJP4UK pic.twitter.com/WnePAIG00B
इस पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार आलोक भट्ट ने बताया कि सम्बंधित विभाग के डायरेक्टर का कहना है कि ये आदेश 1976 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार के एक नोटिफिकेशन के आधार पर जारी किया गया है। बता दें कि तब उत्तराखंड भी उत्तर प्रदेश का ही भाग था और अलग राज्य नहीं बना था। भट्ट ने बताया कि इस मामले में अधिकारियों को सूचित कर दिया गया है और सही कार्रवाई की जा रही है।
This press note has been doing the rounds since yesterday morning. It was issued by Zila Samajkalyan Adhikari. Apparently this concerned officer issued this press note in continuation with one scheme in force under one 1976 scheme of UP Govt as made applicable to Ukd pic.twitter.com/oKhR2mSYiP
— Alok Bhatt (@alok_bhatt) November 21, 2020
वहीं, एक खबर के अनुसार, अंतर्जातीय विवाह करने वाले उत्तराखंड सरकार को इस विषय में जानकारी ही नहीं देते हैं। मई 2019 की खबर में बताया गया था कि तब तक मात्र 83 लोगों ने ही इस योजना का लाभ उठाया था। इस मामले में दम्पति का सत्यापन विधायक या सांसद भी कर सकता है। बताया गया था कि विभाग को आवेदन भी कम ही मिल रहे हैं। इस योजना के तहत दम्पति को ढाई लाख रुपए मिलते हैं, जिनमें से 50 हजार राज्य सरकार देती है। जबकि लोगों का कहना है कि उत्तराखंड के प्रशासन का ये आदेश ‘लव जिहाद’ को बढ़ावा देता है।
Director of the concerned Deptt said that it was issued by an officer of the Deptt using 1976 notification of UP Govt in that regard. Relevant authorities have already been informed of this and necessary corrective action is being taken. https://t.co/KbgSPgdq0a
— Alok Bhatt (@alok_bhatt) November 20, 2020
इधर उत्तर प्रदेश में लव जिहाद के मामलों से निपटने के लिए जल्द ही सख्त कानून आ सकता है। वैसे भी इस तरह के मामलों को लेकर प्रदेश की योगी सरकार का रूख हमेश से कड़ा रहा है। अब सख्त कानून बनाने के लिए उप्र के गृह विभाग ने न्याय व विधि विभाग को प्रस्ताव भेजा है। विधि विभाग प्रस्ताव की समीक्षा कर रहा है। इसमें 7 साल तक की सजा का प्रावधान हो सकता है। इस बात की जाँच की जाएगी कि शादी धोखे से तो नहीं हुई है।