पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले लिबरल और मीडिया गिरोह का एक वर्ग असदुद्दीन ओवैसी को लेकर घनघोर आशावादी था। बिहार चुनाव को आधार बना कर इस बात की अटकलें लगाई जा रही हैं कि एआईएमआईएम का प्रदर्शन कैसा हो सकता है। इस तरह के तमाम कयासों के बीच बंगाल में ओवैसी की पार्टी AIMIM को बड़ा झटका लगा है। एआईएमआईएम नेता अनवर पाशा तृणमूल कॉन्ग्रेस में शामिल हो गए हैं। इसके अलावा उन्होंने एआईएमआईएम के राजनीतिक एजेंडों को भी कठघरे में खड़ा किया है।
अनवर पाशा ने कहा कि एआईएमआईएम ने बिहार विधानसभा चुनाव में ध्रुवीकरण की राजनीति का सहारा लेकर भाजपा को जिताने में मदद की है। यह बेहद ख़तरनाक है और पश्चिम बंगाल में ऐसा नहीं होने दिया जा सकता। अगर पश्चिम बंगाल में ‘बिहार मॉडल’ लागू किया जाता है तो सिर्फ खून-खराबा होगा। पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यकों की आबादी सिर्फ 30 फ़ीसदी है ऐसे में एआईएमआईएम जैसी सांप्रदायिक शक्तियों को रोकना बेहद ज़रूरी है।
अनवर पाशा का कहना था, “इन सांप्रदायिक ताकतों को पश्चिम बंगाल में दाखिल होने से रोकना बेहद ज़रूरी है। सालों से अलग-अलग समुदाय के लोग सद्भावना के साथ रह रहे हैं। लेकिन अब उन्हें बाँटने और उनके बीच घृणा पैदा करने का प्रयास हो रहा है।” इसके बाद पूर्व एआईएमआईएम नेता ने ममता बनर्जी की शान में भी कसीदे पढ़े।
पाशा ने कहा कि ममता बनर्जी इकलौती मुख्यमंत्री थीं जिन्होंने सीएए और एनआरसी के विरोध में आवाज़ बुलंद की। लोग पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाते हैं, जबकि सच यह है कि अगर वह इमामों का आर्थिक सहयोग करती हैं तो पुजारियों का भी करती हैं। वह अपना सिर ढक कर आमीन कहती हैं तो पूजा करने के लिए मंदिर भी जाती हैं। इतना ‘सेकुलर नेता’ अपने जीवन में नहीं देखा।
पाशा ने कहा, “मेरा पश्चिम बंगाल के मुस्लिमों से अनुरोध है कि वह भगवा को प्रदेश से दूर रखने के लिए ममता बनर्जी की मदद करें।” इसके बाद ओवैसी के विरुद्ध खरी-खरी बोलते हुए अनवर पाशा ने कहा, “मेरा उनके (ओवैसी) लिए एक पैगाम है। चुनाव लड़ने के लिए बंगाल आने की कोई ज़रूरत नहीं है। बंगाल को आपकी कोई ज़रूरत भी नहीं है। अगर फिर भी आप आते हैं तो हम डट कर आपसे लड़ेंगे। हम पश्चिम बंगाल में आपको ध्रुवीकरण की राजनीति नहीं करने देंगे और न ही भाजपा को जिताने में मदद करने देंगे।”
बिहार विधानसभा चुनावों में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने सीमांचल क्षेत्र में 5 सीटें हासिल की थीं। जिसके बाद पश्चिम बंगाल के आगामी चुनावों को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।