Friday, November 15, 2024
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पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने ममता पर अल्पसंख्यक समुदाय के ‘खुल्लम खुल्ला तुष्टीकरण’ का लगाया आरोप

"अल्पसंख्यक समुदाय का आपका तुष्टीकरण निजामुद्दीन मरकज घटना पर बेहद खुल्लम-खुल्ला और अनुपयुक्त था। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और इसका समर्थन नहीं किया जा सकता।" राज्यपाल उस कार्यक्रम का जिक्र कर रहे थे, जहाँ ममता को दिल्ली में तबलीगी जमात के धार्मिक आयोजन पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया था।

पश्चिम बंगाल सरकार और राज्यपाल के बीच तनातनी शुक्रवार (अप्रैल 24, 2020) को तब और भी बढ़ गई जब राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर अल्पसंख्यक समुदाय का ‘‘खुल्लम खुल्ला तुष्टीकरण” करने का आरोप लगाया। धनखड़ ने ममता बनर्जी के गुरुवार को उन्हें लिखे पत्र का जिक्र किया, जिसमें मुख्यमंत्री ने राज्यपाल पर सरकार के कामकाज में ‘‘लगातार दखल” देने का आरोप लगाया था।

धनखड़ ने कहा कि 11 पन्नों के लिखे पत्र में कहा कि मुख्यमंत्री का गुस्सा राज्य में कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से निपटने में ‘‘बड़ी विफलताओं” पर पर्दा डालने की एक रणनीति है। टीएमसी सुप्रीमो से ‘‘राजनीति और टकराव का रुख खत्म” करने का अनुरोध करते हुए धनखड़ ने कहा कि उनका व्यवहार राज्य के लोगों की परेशानियों को केवल बढ़ा रहा है।

राज्यपाल ने बनर्जी के गुरुवार को लिखे पत्र के बाद उन्हें लिखे पत्र में कहा, ‘‘आपका पत्र इस चुनौतीपूर्ण समय में भयंकर गलतियाँ करने से जो भारी विफलता सामने आई है , उस पर बहानेबाजी की रणनीति के जरिए परदा डालने के लिए किए जा रहे प्रयासों का हिस्सा है।”

राज्यपाल ने ममता पर लगाया अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण का आरोप

उन्होंने कहा, “अल्पसंख्यक समुदाय का आपका तुष्टीकरण निजामुद्दीन मरकज घटना पर बेहद खुल्लम-खुल्ला और अनुपयुक्त था। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और इसका समर्थन नहीं किया जा सकता।” राज्यपाल उस कार्यक्रम का जिक्र कर रहे थे, जहाँ ममता को दिल्ली में तबलीगी जमात के धार्मिक आयोजन पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया था।

गौरतलब है कि इससे पहले ममता बनर्जी ने गुरुवार को राज्यपाल जगदीप धनखड़ पर आरोप लगाया था कि राज्य प्रशासन के कामकाज में वह लगातार हस्तक्षेप कर रहे हैं। ममता ने राज्यपाल से कहा कि वह फैसला करें कि किसने संवैधानिक धर्म और मर्यादा की सीमा को लाँघा है।

दरअसल, कोरोना वायरस से मुकाबला करने में राज्य सरकार के तरीकों पर राज्यपाल के उठाए सवालों पर ममता बनर्जी ने उन्हें लेटर लिखा था। राज्यपाल को पाँच पन्ने के कड़े शब्दों में लिखे गए पत्र में ममता ने कहा कि धनखड़ भूल गए हैं कि वह (ममता) एक गौरवशाली भारतीय राज्य की निर्वाचित मुख्यमंत्री हैं, जबकि वह नामित राज्यपाल हैं।

उन्होंने लिखा, “आपको खुद पर फैसला करना है कि क्या आपने सीधे मुझ पर, मेरे मंत्रियों पर, अधिकारियों पर हमले किए हैं। आपकी भाषा और तेवर को क्या संसदीय कहा जा सकता है? आप जिस राज्य के राज्यपाल हैं वहाँ की सरकार के खिलाफ संवाददाता सम्मेलन करना, मेरे मंत्रियों के कामकाज में आपके लगातार हस्तक्षेप से स्पष्ट है कि किसने संवैधानिक धर्म का उल्लंघन किया है।”

इससे पहले धनखड़ ने ममता बनर्जी पर आरोप लगाया था कि सरकार ऐसे संकट की घड़ी में राजनीतिक रोटियाँ सेंक रही है। उन्होंने कहा था कि यह समय राजनीति का नहीं है लेकिन वह राजनीति कर रही हैं। राज्य में लॉकडाउन का पालन नहीं हो रहा है। धार्मिक आयोजन किए जा रहे हैं। बता दें कि पिछले दिनों बंगाल के मुर्शिदाबाद में सैकड़ों की संख्या में लोग मस्जिद में एकजुट हुए और नमाज अदा की। इस दौरान लोगों ने न मास्क पहन रखा था और न ही हाथ में ग्लव्स पहना था। 

पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार की कार्यशैली पर लॉकडाउन के बीच राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने सवाल उठाते हुए कहा था कि निशुल्क राशन गरीबों के लिए हैं, तिजोरियों में बंद करने के लिए नहीं है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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