पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक उथल पुथल तेज हो गई है। सत्ताधारी तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के असंतुष्ट विधायक मिहिर गोस्वामी बीजेपी में शामिल हो गए हैं। ममता बनर्जी कैबिनेट से इस्तीफा देने वाले शुभेंदु अधिकारी के भी शनिवार को बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही है।
दिल्ली में बीजेपी महासचिव और बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय की मौजूदगी में गोस्वामी पार्टी में शामिल हुए। दक्षिण कूचबिहार से विधायक गोस्वामी जब शुक्रवार को बीजेपी सांसद निशिथ प्रमाणिक के साथ दिल्ली के लिए रवाना हुए थे, तभी से इसकी अटकलें लग रही थी।
Delhi: Mihir Goswami joins Bharatiya Janata Party after resigning from Trinamool Congress, in the presence of BJP National General Secretary Kailash Vijayvargiya.#WestBengal pic.twitter.com/pnY06v0jR4
— ANI (@ANI) November 27, 2020
इससे पहले टीएमसी ने उनकी नाराजगी दूर करने की कोशिश की थी। लेकिन गुरुवार को एक फेसबुक पोस्ट में गोस्वामी ने कहा था कि उनका अब टीएमसी के साथ जुड़े रहना मुश्किल है।
वहीं परिवहन मंत्री के पद से इस्तीफा देने वाले शुभेंदु अधिकारी के भी बीजेपी में शामिल होने को लेकर अटकलें लग रही हैं। हालाँकि टीएमसी सांसद सौगत राय ने इसे खारिज किया है। राय का कहना है, “शुभेंदु ने पार्टी से या विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया है। मैं आपको आश्वस्त करता हूँ कि ये बिलकुल झूठ है कि शुभेंदु, दिल्ली में मोहन भागवत से मिलने जा रहे हैं।”
शुभेंदु अधिकारी टीएमसी के बड़े नेताओं में से एक हैं। नंदीग्राम आंदोलन का प्रमुख चेहरा शुभेंदु अधिकारी पार्टी से 2 बार सांसद रह चुके हैं। उन्होंने अपने कौशल से मिदनापुर इलाके को टीएमसी का गढ़ बनाया। मेदिनीपुर, झारग्राम, पुरुलिया, बांकुरा और बीरभूम जैसे जिलों में टीएमसी के प्रभाव के पीछे उनका ही हाथ माना जाता है।
सिंगूर के विधायक रबीन्द्रनाथ भट्टाचार्जी भी टीएमसी से नाराज चल रहे हैं। उन्होंने भी पार्टी छोड़ने की धमकी दे रखी है। वे पार्टी के ब्लॉक अध्यक्ष पद से अपने करीबी को हटाए जाने से नाराज बताए जाते हैं।
गौरतलब है कि टीएमसी को सत्ता में पहुॅंचाने में सिंगूर और नंदीग्राम में करीब एक दशक पहले हुए आंदोलन की मुख्य भूमिका मानी जाती है। शुभेंदु और रबीन्द्रनाथ इन आंदोलनों के प्रमुख चेहरे थे। ऐसे में इनके बागी तेवरों से लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटने का ममता बनर्जी का सपना मुश्किल हो गया है।