भारतीय मूल के इकोनॉमिस्ट अभिजीत बनर्जी को अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिला है। उनकी पत्नी एस्थर डुप्लो को भी अर्थशास्त्र का नोबेल मिला। दोनों पति-पत्नी को नोबेल मिलने के साथ ही अभिजीत बनर्जी के बयान सुर्खियाँ बनने लगे। वर्तमान आर्थिक मंदी से जुड़े बयानों को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा जाने लगा। यहाँ तक कि उनकी माँ के बयानों को लेकर भी केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया गया। कॉन्ग्रेस खेमे में एक ख़ुशी की लहर दौड़ी। पार्टी नेता कॉन्ग्रेस और बनर्जी के संबंधों को हाइलाइट करते हुए फूले नहीं समा रहे।
इसी बीच अभिजीत बनर्जी का इतिहास भी खंगाला जाने लगा और कुछ ऐसी बातें भी पता चलीं, जिसे कॉन्ग्रेस के लोग सुनना पसंद नहीं करेंगे। अभिजीत बनर्जी जेएनयू में पढ़ाई कर चुके हैं और यहाँ पढ़ते हुए वह तिहाड़ जेल भी जा चुके हैं। किस्सा कुछ यूँ है कि 1982-83 में जेएनयू में एक बड़ा फेरबदल हुआ। वामपंथ का गढ़ माने जाने वाले इस विश्वविद्यालय में पहली बार ऐसा हुआ कि चुनाव में वामपंथी समूह को बड़ी हार मिली। इससे जेएनयू प्रशासन भी ख़ुश नहीं था। वामपंथ के किले में हुई हार को कैम्पस में कई प्रभावशाली लोग पचा नहीं पा रहे थे।
उस समय एनआर मोहंती जेएनयू छात्र संगठन के अध्यक्ष चुने गए थे। मोहंती बाद में पत्रकारिता की दुनिया से जुड़े और ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के साथ एक दशक तक जुड़े रहे। क़रीब 5 वर्ष उन्होंने ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ में अपनी सेवा दी। अभिजीत बनर्जी मोहंती के बड़े समर्थक थे। जब वामपंथी उनका विरोध कर रहे थे, तब अभिजीत बनर्जी ने मोहंती का समर्थन किया था। एनआर मोहंती को कैम्पस से निष्कासित भी कर दिया गया था। ये विवाद एक छात्र को हॉस्टल से निकाले जाने के बाद शुरू हुआ था। जेएनयू प्रशासन ने उक्त छात्र पर दुर्व्यवहार का आरोप लगा कर निकाल दिया था, जबकि छात्रों की माँग थी कि पहले जाँच की जाए।
जेएनयू प्रशासन ने उक्त छात्र के कमरे में डबल लॉक लगवा दी थी। स्टूडेंट्स ने लॉक तोड़ कर उक्त छात्र की एंट्री कराई, जिसके बाद बवाल मच गया। इसलिए मोहंती को कैम्पस से निष्कासित किया गया था। इसके विरोध में छात्रों ने कुलपति का घेराव किया। अंत में दिल्ली पुलिस को दखल देना पड़ा और क़रीब 700 छात्रों को गिरफ़्तार कर के ले जाया गया। इन छात्रों में 250 लड़कियाँ थीं। अभिनीत बनर्जी को भी इसी प्रकरण में जेल में डाला गया था। उस समय इंदिरा गाँधी के नेतृत्व में केंद्र में कॉन्ग्रेस की सरकार चल रही थी।
* Abhijit Banerjee was in Tihar Jail!
— Shemin (@shemin_joy) October 15, 2019
* He protested against VC along with other students in JNU in 1983
* He recalls the incident in an article 3 years ago
https://t.co/qn96ImNddI
अभिजीत बनर्जी को 10 दिनों तक जेल में रहना पड़ा था। उन पर ‘हत्या की कोशिश’ के आरोप लगाए गए थे। कई छात्रों सहित उनकी पिटाई भी की गई थी। शायद कॉन्ग्रेस इस प्रकरण को याद नहीं करना चाहे, क्योंकि ‘न्याय योजना’ पर बनर्जी के मार्गदर्शन पर छाती चौड़ी कर रही पार्टी अपने सरकार के दौरान हुई इस घटना से कन्नी ही काटना चाहेगी।