वाल स्ट्रीट जर्नल द्वारा फेसबुक पर आरोप लगाया गया है कि वह भाजपा का समर्थन करता है और हेट स्पीच के मामले में उचित कार्रवाई करने से बचता है। अमेरिकी अखबार ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ की इस रिपोर्ट के बाद यह बहस बड़े स्तर पर विवाद का विषय बन चुकी है।
‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ की इस रिपोर्ट के फ़ौरन बाद कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने भी बीजेपी तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर फेसबुक तथा मोबाइल मैसेंजर ऐप वॉट्सऐप का इस्तेमाल करते हुए मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए फर्जी खबरें फैलाने का आरोप लगाया।
इस पूरे विवाद के बीच ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ अपनी इस रिपोर्ट का पेड प्रोमोशन करते हुए देखा जा रहा है, जिससे यह सवाल पैदा हो रहे हैं कि वाल स्ट्रीट जर्नल के इस कारनामे से अंततः किसे फायदा पहुँचने वाला है।
Why is @WSJ Promoting this article ?? pic.twitter.com/HwaY7Tbd95
— Jignesh Mawali (Divider) (@jigneshmawaalee) August 17, 2020
ज्ञात हो कि रुपए देकर किसी ट्वीट या पोस्ट के प्रोमोशन करने से उस पोस्ट को बड़ी ऑडियंस तक पहुँचाया जाता है। अक्सर ब्रांड्स अपनी मार्केटिंग के लिए सोशल मीडिया पर इस प्रकार के प्रोमोशन का इस्तेमाल करते हैं।
सोशल मीडिया पर भी वाल स्ट्रीट जर्नल का यह विवादित आर्टिकल बहस का विषय बन चुका है क्योंकि कई भाजपा समर्थक पेजों ने कहा है कि वाल स्ट्रीट जर्नल का यह आरोप वास्तविकता से एकदम उलट है।
भाजपा समर्थक फेसबुक पेजों का कहना है कि फेसबुक अपनी गाइडलाइन्स को लेकर हमेशा से ही अस्पष्ट और दक्षिणपंथी विचारधारा के प्रति पूर्वग्रह से ग्रसित रहा है। 2019 के आम चुनावों से ठीक पहले भी फेसबुक द्वारा कई ऐसे पेजों को निष्क्रिय कर दिया गया था, जो कथित रूप से कॉन्ग्रेस का समर्थन करते थे।
हालाँकि, इसके बाद ऐसे पेजों को भी बंद कर दिया गया जो भाजपा समर्थक थे। लेकिन, इन पेज एडमिन्स का कहना है कि भाजपा समर्थक पेजों का दायरा और ऑडियंस कॉन्ग्रेस समर्थक पेजों की तुलना में बहुत बड़े और फेमस थे।
ऐसे में वाल स्ट्रीट जर्नल द्वारा रुपए देकर इस रिपोर्ट को प्रोमोट करना लोगों के मन में और संदेह पैदा कर रहा है कि वास्तव में इस तरह का नैरेटिव विकसित कर के वाल स्ट्रीट जर्नल किस राजनीतिक पार्टी को लाभ पहुँचाने का प्रयास कर रहा है।