Friday, April 26, 2024
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केंद्र सरकार ने किसानों की वार्ता से योगेन्द्र यादव को किया बाहर, कहा- राजनेता नहीं, सिर्फ किसान आएँ

सरकार ने इसका तर्क रखते हुए कहा था कि वह ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वह नहीं चाहते कि कोई राजनीतिक व्यक्ति इसमें शामिल हो। इस वजह से केंद्र सरकार ने योगेन्द्र यादव को शामिल करने से इनकार किया है।

केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली के विज्ञान भवन में सरकार और किसान संगठनों के बीच चली बैठक मंगलवार (दिसंबर 1, 2020) शाम को खत्म हो गई। हालाँकि, बैठक में कोई भी नतीजा नहीं निकल सका है और फिर से तीन दिसंबर को बातचीत होगी। 

केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठन पूरे देश में प्रदर्शन कर रहे हैं। जिसके बाद केंद्र सरकार ने किसान नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया था। इस बातचीत में शामिल प्रतिनिधिमंडल में स्वराज पार्टी (Swaraj Party) के नेता योगेंद्र यादव (Yogendra yadav) का भी नाम था। मगर बाद में केंद्र सरकार के कहने के पर उनका नाम हटा दिया गया।

सरकार ने इसका तर्क रखते हुए कहा था कि वह ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वह नहीं चाहते कि कोई राजनीतिक व्यक्ति इसमें शामिल हो। इस वजह से केंद्र सरकार ने योगेन्द्र यादव को शामिल करने से इनकार किया है।

बता दें कि शुरुआत में किसानों के संघ ने केवल पंजाब के प्रतिनिधियों को दिए जा रहे निमंत्रण पर सरकार के समक्ष चिंता जताई थी। उन्होंने देश भर से प्रतिनिधित्व प्राप्त करने के लिए पंजाब के 32 प्रतिनिधियों के अलावा प्रतिनिधिमंडल में 4 नामों का प्रस्ताव रखा।

इस चार प्रतिनिधि में शामिल थे- बीकेयू हरियाणा से गुरनाम सिंह चादुनी, मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय किसान मज़दूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार कक्का, अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह और स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव।

अमित शाह ने बैठक में मेरी उपस्थिति पर आपत्ति जताई: योगेंद्र यादव

हालाँकि, भारत सरकार ने योगेंद्र यादव का नाम सूची में शामिल करने पर आपत्ति जताई। यादव ने मीडिया से बात करते हुए दावा किया है कि यह गृह मंत्री अमित शाह ने उनकी उपस्थिति पर ‘व्यक्तिगत रूप से आपत्ति जताई थी।’ शाह ने कथित तौर पर किसानों से कहा था कि यादव एक राजनीतिक नेता हैं। अमित शाह का कहना था कि वो केवल वास्तविक हितधारकों अर्थात किसानों के साथ बातचीत करने में रुचि रखते हैं, राजनेताओं के साथ नहीं।

योगेंद्र यादव ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “हालाँकि किसान यूनियन ने फैसला किया कि बैठक का निमंत्रण तभी स्वीकार किया जाएगा जब चार प्रतिनिधि भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल किए जाएँगे। मुझे सूचित किया गया कि मेरे इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होने पर अमित शाह ने व्यक्तिगत रूप से आपत्ति जताई थी। सरकार ने कहा कि मैं राजनीतिक व्यक्ति था। किसान संघ बैठक का बहिष्कार करने के लिए तैयार थे, लेकिन वे मेरी जिद पर बाकी प्रतिनिधियों के साथ बैठक में जाने के लिए राजी हुए।”

वहीं ‘द हिन्दू’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि आंदोलन से जुड़े कुछ किसान इस समूह और नेता योगेंद्र यादव से नाराज़ हैं। कुछ नेताओं का कहना है कि शुरुआत में यादव ने प्रदर्शनकारियों से बॉर्डर से बुराड़ी मैदान में शिफ़्ट होने का आग्रह किया था। जिसके बाद कुछ लोग नाराज़ हो गए थे। इसके अलावा कुछ लोग इसलिए नाराज़ हैं कि उनके और कुछ राष्ट्रीय नेताओं के आसपास मीडिया की मौजूदगी ज़्यादा थी। जबकि उन्होंने मुट्ठी भर प्रदर्शनकारियों को ही लामबंद किया था।

बता दें किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए केंद्र सरकार ने उन्हें बिना शर्त बातचीत के लिए आमंत्रण भेजा था, बैठक के लिए मंगलवार दोपहर 3 बजे किसान नेता विज्ञान भवन पहुँचे थे। सरकार की ओर से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और योजना आय़ोग के पूर्व अध्यक्ष सोम प्रकाश बैठक में शामिल हुए। हालाँकि, इस बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल सका।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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