उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की सत्ता में दोबारा वापसी करने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM yogi Adityanath) की सरकार अब प्रदेश में समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) लागू करने की तैयारी कर रही है। इस संबंध में प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) ने शनिवार (23 अप्रैल 2022) को लखनऊ में समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, “यूपी और देश की जनता के लिए यह जरूरी है कि पूरे देश में एक कानून लागू किया जाए। पहले की सरकारों ने तुष्टिकरण की राजनीति के कारण इस पर ध्यान नहीं दिया।” उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) की माँग करनी चाहिए और उसका स्वागत करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार इस दिशा में विचार कर रही है। यह भाजपा के प्रमुख वादों में भी एक है।
Everyone should demand and welcome Uniform Civil Code. Uttar Pradesh govt is also thinking in this direction. We’re in favour of it and it is necessary for UP and the people of the country. This is also one of the main promises of BJP: UP Deputy CM Keshav Prasad Maurya in Lucknow pic.twitter.com/ry7SR2QzWR
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) April 23, 2022
पाँच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों से पहले भी यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुद्दा खूब गरमाया था। भाजपा के मूल एजेंडे में यह मुद्दा शुरू से रहा है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने जब यूनिफॉर्म सिविल कोड पर कमेटी बनाने की घोषणा की थी तो यह मुद्दा और भी चर्चित हो गया था। अब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने कह दी है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने शुक्रवार (22 अप्रैल 2022) को कहा था, “CAA, अनुच्छेद 370, राम मंदिर और तीन तलाक के बाद अब समान नागरिक संहिता की बारी है। भाजपा शासित राज्यों में समान नागरिक संहिता कानून लागू किया जाएगा।”
अमित शाह ने यह भी कहा कि उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami) के नेतृत्व में UCC को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू करने के लिए ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है।
क्या है समान नागरिक संहिता
समान नागरिक संहिता को सरल शब्दों में समझा जाए तो यह एक ऐसा कानून है, जो देश के हर समुदाय पर लागू होता है। व्यक्ति चाहे किसी भी धर्म का हो, जाति का हो या समुदाय का हो, उसके लिए एक ही कानून होगा। अंग्रेजों ने आपराधिक और राजस्व से जुड़े कानूनों को भारतीय दंड संहिता 1860 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872, भारतीय अनुबंध अधिनियम 1872, विशिष्ट राहत अधिनियम 1877 आदि के माध्यम से सब पर लागू किया, लेकिन विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, संपत्ति आदि से जुड़े मसलों को सभी धार्मिक समूहों के लिए उनकी धार्मिक एवं सामाजिक मान्यताओं के आधार पर छोड़ दिया, जो आज भी जारी है।