Sunday, October 1, 2023
HomeराजनीतिUP में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने पर विचार कर रही योगी सरकार, डिप्टी...

UP में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने पर विचार कर रही योगी सरकार, डिप्टी सीएम मौर्य ने कहा- पूरे देश में एक कानून लागू करना जरूरी

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 22 अप्रैल 2022 को कहा था, "CAA, अनुच्छेद 370, राम मंदिर और तीन तलाक के बाद अब समान नागरिक संहिता की बारी है। भाजपा शासित राज्यों में समान नागरिक संहिता कानून लागू किया जाएगा।"

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की सत्ता में दोबारा वापसी करने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM yogi Adityanath) की सरकार अब प्रदेश में समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) लागू करने की तैयारी कर रही है। इस संबंध में प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) ने शनिवार (23 अप्रैल 2022) को लखनऊ में समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, “यूपी और देश की जनता के लिए यह जरूरी है कि पूरे देश में एक कानून लागू किया जाए। पहले की सरकारों ने तुष्टिकरण की राजनीति के कारण इस पर ध्यान नहीं दिया।” उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) की माँग करनी चाहिए और उसका स्वागत करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार इस दिशा में विचार कर रही है। यह भाजपा के प्रमुख वादों में भी एक है।

पाँच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों से पहले भी यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुद्दा खूब गरमाया था। भाजपा के मूल एजेंडे में यह मुद्दा शुरू से रहा है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने जब यूनिफॉर्म सिविल कोड पर कमेटी बनाने की घोषणा की थी तो यह मुद्दा और भी चर्चित हो गया था। अब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने कह दी है।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने शुक्रवार (22 अप्रैल 2022) को कहा था, “CAA, अनुच्छेद 370, राम मंदिर और तीन तलाक के बाद अब समान नागरिक संहिता की बारी है। भाजपा शासित राज्यों में समान नागरिक संहिता कानून लागू किया जाएगा।”

अमित शाह ने यह भी कहा कि उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami) के नेतृत्व में UCC को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू करने के लिए ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है।

क्या है समान नागरिक संहिता

समान नागरिक संहिता को सरल शब्दों में समझा जाए तो यह एक ऐसा कानून है, जो देश के हर समुदाय पर लागू होता है। व्यक्ति चाहे किसी भी धर्म का हो, जाति का हो या समुदाय का हो, उसके लिए एक ही कानून होगा। अंग्रेजों ने आपराधिक और राजस्व से जुड़े कानूनों को भारतीय दंड संहिता 1860 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872, भारतीय अनुबंध अधिनियम 1872, विशिष्ट राहत अधिनियम 1877 आदि के माध्यम से सब पर लागू किया, लेकिन विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, संपत्ति आदि से जुड़े मसलों को सभी धार्मिक समूहों के लिए उनकी धार्मिक एवं सामाजिक मान्यताओं के आधार पर छोड़ दिया, जो आज भी जारी है।

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘नमाज पढ़ना है तो मस्जिद जाओ’: एयरपोर्ट पर अलग कमरा बनाने की माँग पर हाईकोर्ट ने फटकारा, पूछा – संविधान में कहाँ लिखा है?

"भारत धर्मनिरपेक्ष देश है। किसी एक समुदाय की माँग पर ऐसी व्यवस्था नहीं जा सकती। नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद है। जिसको पढ़ना है वह वहाँ जाए।"

‘घरों तक नहीं पहुँचने देंगे TOI’: हिन्दू विरोधी कार्टून के बाद भड़के लोगों ने जलाई अख़बार की प्रतियाँ, उज्जैन रेप केस के नाम पर...

पीड़िता की मदद करने वाला कोई अन्य नहीं बल्कि एक गुरुकुल के आचार्य राहुल शर्मा थे। लेकिन, कार्टूनिस्ट ने अपने कार्टून में उन्हें नहीं दिखाया।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
277,066FollowersFollow
419,000SubscribersSubscribe