Saturday, September 21, 2024
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‘हम हाईकोर्ट जाएँगे’: जफरयाब जिलानी, साक्षी महाराज ने कहा- ‘आपलोग बाबर-बाबरी करते पागल हो जाओगे’

जब अधिकवक्ता जफरयाब जिलानी से पूछा गया कि हाईकोर्ट में पेटिशन कौन फ़ाइल करेगा, तो उन्होंने कहा कि ये सारे पहलू बाद में तय किए जाएँगे। हालाँकि, जब उनसे पूछा गया कि इस मामले में सभी आरोपित बरी कैसे हो गए, तो उन्होंने इसके जवाब में कुछ भी नहीं कहा।

अयोध्या बाबरी विध्वंस मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने सभी 32 आरोपितों को रिहा कर दिया है, जिनमें 8 भाजपा नेता भी शामिल थे। कोर्ट ने माना कि ये साजिशन नहीं हुआ, पूर्व-नियोजित नहीं था – अचानक हुआ। इस मामले में मुस्लिम पक्ष की तरफ से पैरवी करने वाले अधिवक्ता जफरयाब जिलानी ने कहा है कि वो इसके खिलाफ हाईकोर्ट जाएँगे। उन्होंने कहा कि सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।

जफरयाब जिलानी ने कहा कि उनलोगों ने मुस्लिम पक्ष की तरफ से अदालत में एप्लीकेशन डाली थी। साथ ही अयोध्या में कुछ गवाहों की तरफ से भी एप्लीकेशन डाली गई थी। जफरयाब जिलानी का दावा है कि ये ऐसे लोग थे, जिनके मकानों को उस समय जला डाला गया था। हालाँकि, इन एप्लिकेशनों को अदालत द्वारा रिजेक्ट कर दिया गया था। जफरयाब जिलानी ने कहा, “हम अपने-आप को इस मामले में विक्टिम समझते हैं।

उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय इस मामले में विक्टिम है, इसीलिए वो हाईकोर्ट जाएँगे। ‘न्यूज़ 18’ की खबर के अनुसार, जब अधिकवक्ता जफरयाब जिलानी से पूछा गया कि हाईकोर्ट में पेटिशन कौन फ़ाइल करेगा, तो उन्होंने कहा कि ये सारे पहलू बाद में तय किए जाएँगे। हालाँकि, जब उनसे पूछा गया कि इस मामले में सभी आरोपित बरी कैसे हो गए, तो उन्होंने इसके जवाब में कुछ भी नहीं कहा।

उधर भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि ये स्थिति ‘खोदा पहाड़, निकली मरी हुई चुहिया’ वाली हो गई लेकिन यहाँ तो चुहिया तक नहीं निकली। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस ने भी झूठी एफआईआर करा के भाजपा और विहिप के नेताओं को फँसाया। जब उनसे पूछा गया कि बाबरी मस्जिद किस साजिश के तहत गिराया गया तो उन्होंने कहा, “कहाँ ढाँचा गिरा था? आपलोग बाबरी-बाबरी करते पागल हो जाओगे। वहाँ बाबरी मस्जिद नहीं, प्रभु श्रीराम का मंदिर था।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले में भी बाबरी पक्ष के मालिकाना हक़ के लिए जफरयाब जिलानी ही अधिवक्ता थे। राम मंदिर पर ऐतिहासिक फैसले के बाद उन्होंने शरीयत क़ानून का जिक्र करते हुए कहा था कि मस्जिद किसी को नहीं दिया जा सकता है। जिलानी ने तब कहा था कि मस्जिद की कोई क़ीमत नहीं होती और मस्जिद की मिलकियत अल्लाहताला के पास होती है। उन्होंने कहा था कि इसे न तो बेचा जा सकता है और न ही अदला-बदली की जा सकती है, इसके लिए 5 करोड़ या 500 करोड़ रुपए ही क्यों न मिले।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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