कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत से ही चीन का विरोध कर रहे अमेरिका ने अब भारत से चीनी कंपनियों को 5G ट्रायल से बाहर रखने के लिए कहा है। चीन के चालबाजियों और धोखेधड़ी को देखते हुए ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन ने भारत में होने वाले 5G ट्रायल और अन्य सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) नेटवर्क से चाइनीज स्मार्टफोन मेकर हुवावे (HUAWEI) और ZTE को हटाने की माँग की है। हालाँकि, भारत ने सीमा पर विवाद के चलते पहले ही चीन की कंपनियों को 5G ट्रायल से बाहर रखने की योजना बना ली थी।
ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन के अधिकारी ग्रेग कैलबेग ने एक ऑनलाइन इवेंट में इन नीतियों पर बात करते हुए कहा कि वो भारत के 5G नेटवर्क और व्यापक आईसीटी इंफ्रास्ट्रक्चर से हुवावे, जेडटीई और अन्य अविश्वसनीय कंपनियों से उपकरणों को हटाने और बाहर करने के लिए भारत सरकार को प्रोत्साहित करेंगे। इसके अलावा अमेरिका की तरफ से कम्युनिकेशन नेटवर्क के जोखिमों की समीक्षा करने के लिए भी कहा जाएगा। बता दें अमेरिका और भारत इसी सेक्टर में कमर्शियल सुधार की योजना पर काम कर रहे हैं।
वहीं, इस इवेंट में भारत की ओर से भारतीय दूरसंचार विभाग के डिप्टी डायरेक्टर जनरल किशोर बाबू, COAI के अधिकारी और अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। जिस दौरान कैलबेग ने कहा कि चीन की कंपनियों पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। क्योंकि वे अपनी सरकार के इशारों पर काम करती हैं। बता दें, इसी योजना तहत अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर अगले हफ्ते भारत आने वाले हैं।
गौरतलब है कि इस सप्ताह अमेरिकी टेक्नोलॉजी फर्म क्वालकॉम के साथ मिलकर मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली भारतीय टेलिकॉम कंपनी रिलायंस जियो ने अमेरिका में अपनी 5G टेक्नोलॉजी का सफल परीक्षण किया था। इस सफल परीक्षण की जानकारी अमेरिका के सैन डिएगो में एक वर्चुअल इवेंट के दौरान घोषणा की दी गई थी।
रिलायंस जियो के प्रेसिडेंट मैथ्यू ओमान ने क्वालकॉम इवेंट में कहा कि क्वालकॉम और रिलायंस की सब्सिडियरी कंपनी रेडिसिस के साथ मिलकर हम 5G टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं, ताकि भारत में इसे जल्द लॉन्च किया जा सके।
उल्लेखनीय है कि चीन से कोरोना महामारी की वजह से बहुत से देशों ने चाइनीज स्मार्टफोन मेकर हुवावे पर प्रतिबंध लगाया दिया था। ऐसे में घरेलू संसाधनों से विकसित रिलायंस जियो की 5जी तकनीक के सफलतापूर्वक परीक्षण के बाद चीनी कंपनी हुवावे के लिए यह बड़ा झटका माना जा रहा। उम्मीद है कि हुवावे पर प्रतिबंध के चलते बड़ी संख्या में विदेशी कंपनियां और सरकारें 5जी टेक्नोलॉजी के लिए जियो को अपना सकती हैं।
बता दें इससे पहले यूरोपीय देशों की तर्ज पर स्वीडन ने भी चीन की दूरसंचार कंपनियों हुआवे और ज़ेटीई (Huawei, ZTE) की 5-जी योजना पर प्रतिबंध लगा दिया था। स्वीडन की सुरक्षा सेवा के मुखिया क्लास फ्रिबेर्ग ने कहा था कि, “चीन हमारे देश के लिए सबसे बड़ा ख़तरा है। चीन हमारे देश से खुफ़िया जानकारी और तकनीक चुरा कर, अनुसंधान और जासूसी करके अपनी सेना की क्षमता बढ़ा रहा था और अर्थव्यवस्था को बेहतर कर रहा था। हमें भविष्य में 5-जी नेटवर्क पर काम करते हुए इन बातों का ख़ास तौर पर ध्यान रखना होगा। हम स्वीडन की सुरक्षा से किसी भी तरह का समझौता नहीं कर सकते हैं।”