Sunday, September 1, 2024
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बॉम्बे HC ने ज्योति जगताप की जमानत याचिका खारिज की, भीमा-कोरेगाँव हिंसा से पहले दिया था भड़काऊ भाषण: कोर्ट ने कहा – सरकार को उखाड़ फेंकने की थी साजिश

ज्योति जगताप को एलगार परिषद के पुणे सम्मेलन में भड़काऊ नारे लगाने के आरोप में सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था। वह तब से मुंबई की भायखला महिला जेल में बंद है।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने आदेश में भीमा कोरेगाँव हिंसा मामले के आरोपियों में से एक ज्योति जगताप को जमानत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि दिसंबर 2017 की एल्गार परिषद घटना प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के वृहत एजेंडे के भीतर एक छोटी साजिश थी।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस एएस गडकरी और मिलिंद जाधव की पीठ ने सबूतों के आधार पर कहा कि जगताप 2018 के केस में सीपीआई (माओवादी) के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए अन्य सभी सह-आरोपितों के साथ सक्रिय संपर्क में थी। इसी आधार पर पीठ ने ज्‍योति जगताप (34) की जमानत अर्जी खारिज कर दी।

हाईकोर्ट ने कहा, ”हमारी राय में एनआईए का केस प्रथम दृष्ट्या सही लगता है। इसलिए यह अपील खारिज की जाती है।” इससे पहले फरवरी 2022 में जगताप की जमानत अर्जी को एनआईए की विशेष अदालत ने खारिज कर दी थी, जिसके बाद उसने हाईकोर्ट का रूख किया था। जगपात के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था।

अमर उजाला’ की रिपोर्ट के अनुसार, जगताप को एलगार परिषद के पुणे सम्मेलन में भड़काऊ नारे लगाने के आरोप में सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था। वह तब से मुंबई की भायखला महिला जेल में बंद है। एनआईए के जाँचकर्ताओं के अनुसार 31 दिसंबर, 2017 को एलगार परिषद के सम्मेलन में भड़काऊ भाषण दिए गए थे। इसके बाद 1 दिसंबर 2018 को भीमा-कोरागांव हिंसा हुई थी। बकौल दैनिक भास्कर, जगताप पर आरोप है कि उसने एल्‍गार परिषद के लिए दलित समुदाय के लोगों को एकत्रित करने की कोशिश की थी, ताकि सरकार के खिलाफ नफरत फैलाई जा सके।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ”भाकपा (माओवादी) ने हमारे देश की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को उखाड़ फेंकने के अपने उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए एक विस्तृत रणनीति तैयार की और जगताप और अन्य सह-आरोपी प्रथम दृष्टया सक्रिय रूप से इसकी रणनीति बना रहे थे। एनआईए द्वारा हमारे सामने पेश किए गए सबूत से पता चलता है कि एल्गार परिषद के आयोजन का इस्तेमाल प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन भाकपा (माओवादी) के साथ उसके कार्यकर्ता के माध्यम से भूमिगत संपर्क स्थापित करने के लिए किया गया था, जिसमें अपीलकर्ता (जगताप) भी शामिल है। यह देखा गया है कि उक्त कार्यक्रम के अनुसरण में, बड़े पैमाने पर हिंसा हुई जिसके परिणामस्वरूप अशांति हुई और एक व्यक्ति की मौत हो गई।”

पीठ ने कहा  ”कबीर कला मँच के शब्दों/प्रदर्शन में कई ऐसे संकेत हैं जो सीधे लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार के खिलाफ हैं, सरकार को उखाड़ फेंकने की कोशिश करने के लिए, सरकार का उपहास करने के लिए हैं। केकेएम ने एल्गार परिषद के आयोजन में उपरोक्त एजेंडे पर प्रदर्शन करके घृणा को उकसाया। इस प्रकार निश्चित रूप से केकेएम और सीपीआई (माओवादी) द्वारा एल्गार परिषद की साजिश के भीतर एक बड़ी साजिश है।”

पीठ ने कहा कि एनआईए द्वारा पेश किए गए सबूतों से पता चलता है कि जगताप की शुरुआत से ही एल्‍गार परिषद के आयोजन में उनकी सक्रिया भूमिका थी। जगताप कबीर कला मँच से जुड़ी हुईं थीं । एनआईए के मुताबिक कबीर कला मँच प्रतिबंधित आतंकी संगठन भाकपा (माओवादी) का अग्रणी समूह है। जबकि जगताप ने दलील दी थी कि मँच एक सांस्कृतिक समूह था, जिसने संगीत और कविता के माध्यम से सांप्रदायिक सद्भाव और धर्मनिरपेक्षता के प्रसार का प्रयास किया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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