गुजरात के भरूच स्थित काकरिया गाँव में 37 हिंदू परिवारों और 100 हिंदुओं का धर्मांतरण कराकर इस्लाम कबूल करवाने के मामले में गुजरात हाई कोर्ट ने सोमवार (4 अप्रैल, 2022) को वरयावा अब्दुल वहाब महमूद नाम के एक इस्लामी मौलवी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।
‘लॉ बीट’ की रिपोर्ट के अनुसार, महमूद को उसके धर्मांतरण के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए 5 अन्य आरोपितों शब्बीरभाई, समदभाई, अब्दुल अजीज, यूसुफ और अय्यूब ने मदद की थी। आरोपित महमूद ने गुजरात के भरूच शहर के आमोद पुलिस स्टेशन में पिछले साल 15 नवंबर 2021 में दर्ज एफआईआर के मामले में एंटीसिपेटरी बेल माँगी थी।
हाई कोर्ट के जस्टिस बीएन करिया ने सुनवाई की। उन्होंने अपने फैसले में कहा, “अभियोजन द्वारा पेश किए गए रिकॉर्ड से प्रथम दृष्टया, ऐसा प्रतीत होता है कि याचिककर्ता ने किसी व्यक्ति को एक धर्म से दूसरे धर्म में बल प्रयोग या प्रलोभन या किसी कपटपूर्ण तरीके से या किसी भी व्यक्ति को सीधे या अन्यथा परिवर्तित करने का प्रयास किया है। धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया है।”
जस्टिस बीएन करिया मे कहा, “अदालत के समक्ष रिकॉर्ड में रखे गए दस्तावेजों पर विचार करते हुए अदालत अपीलकर्ता को अग्रिम जमानत पर रिहा करने की प्रार्थना को स्वीकार करने के लिए इच्छुक नहीं है। इसलिए, यह अपील खारिज करने योग्य है और इसे इसे खारिज किया जाता है।”
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि पिछले साल आमोद के काकरिया गाँव के रहने वाले प्रवीणभाई वसंतभाई वसावा (धर्मांतरण के बाद सलमान पटेल) नाम के एक व्यक्ति ने 15 नवंबर, 2021 को भरूच शहर में आमोद पुलिस में शब्बीरभाई बेकरीवाला और समदभाई बेकरीवाला नाम के दो लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। उसने दोनों आरोपितों पर उसका धर्मांतरण कराने के बाद जबरन उसका आधार कार्ड में भी नाम बदलवाने का आऱोप लगाया।
प्रवीणभाई के मुताबिक, इन्हीं दोनों आरोपितों ने 15 साल पहले अजीतभाई वसावा नाम के एक हिंदू व्यक्ति को आर्थिक लालच देकर इस्लाम कबूल करवाया था। धर्मान्तरण के बाद उनका नाम ‘अब्दुल अजीज पटेल’ हो गया था। इसके बाद पैसे की लालच में तीनों ने दो अन्य लोगों महेंद्र वसावा (धर्मांतरण के बाद यूसुफ) और रमन वसावा (जो अय्यूब बन गए) का भी धर्मान्तरण कराया। इन सभी के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी, 153 (बी) (1) (सी), 506 (2) और गुजरात धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2003 की धारा 4 के तहत केस दर्ज किया गया था।
एफआईआर के मुताबिक, आरोपितों ने 37 हिंदू परिवारों (100 हिंदुओं) का धर्मांतरण कराया था और एक सरकारी फंडिग से तैयार घर को इबादतगाह बना दिया था। बाद में जब प्रवीण वसावा ने हिंदू धर्म में घर वापसी की बात की तो उसे 26 अक्टूबर 2021 को परिणाम भुगतने की चेतावनी दी गई। इसके बाद उन्होंने इस्लामिक कट्टरपंथियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
जब प्रवीणभाई ने फिर से हिंदू धर्म अपनाने की इच्छा व्यक्त की, तो उन्हें पिछले साल 26 अक्टूबर को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई थी। परिस्थितियों और खतरे की तत्काल भावना से मजबूर होकर, उसने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
अदालत के फैसले में कहा गया है, “बाद में जाँच अधिकारी ने आईपीसी की धारा 466, 467, 468 और 471 और अत्याचार अधिनियम की धारा 3 (2) (5-ए) को जोड़ने की माँग करते हुए एक रिपोर्ट दर्ज की। बाद में 16 दिसंबर 2021 को इस मामले में धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम के 4A और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2002 के 84C को प्राथमिकी में जोड़ा गया।”
बाद में इस मामले में जाँच अधिकारी ने 24 दिसंबर 2021 को एक एफिडेविट दायर कर दावा किया कि अपील कर्ता ने धर्मांतरित लोगों को वित्तीय सहायता दी और हिंदू धर्म को नीचा दिखाने वाली मजहबी तकरीरें की थीं।” इसके साथ ही आरोपित यूसुफ, अय्यूब और अन्य एक व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया, जहाँ उन्होंने वीडियो, भाषण और चैट के जरिए हिंदू समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक कंटेंट पोस्ट किए।
इस मामले में गवाहों ने गवाही दी कि इस्लामिक तकरीरें करने वाले वरयावा अब्दुल वहाब महमूद ने लोगों को कपड़े, दवाइयाँ, एयर कूलर, वाटर कूलर, लॉरी, चाटाई (कालीन) उपहार में देकर इस्लाम कबूल करवाने का लालच दिया था।
पिछले साल 28 दिसंबर को एक विशेष अदालत ने महमूद की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने राहत की माँग करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था। हालाँकि, उनकी याचिका को उच्च न्यायालय ने मामले के प्रथम दृष्टया विवरण के आधार पर खारिज कर दिया था।