केंद्र की मोदी सरकार का कार्यकाल पूरा हो रहा है और इस बार वित्त मंत्री अरुण जेटली की जगह केंद्रीय मंत्री व कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल संसद में बजट 2019-20 पेश किए। मोदी सरकार का यह अंतरिम बजट है। इसमें आने वाले अगले तीन-चार महीने के खर्चे का ध्यान रखा गया। आइए आपको हम मोदी सरकार के पिछले पाँच सालों में बजट घोषणाओं की मुख्य बातों से अवगत कराते हैं।
केंद्रीय बजट 2014-15
सरकार ने इस बजट में करदाताओं को लाभ दिया था। संसद में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने व्यक्तिगत कर छूट की सीमा को बढ़ाकर ₹2 लाख से ₹2.5 लाख कर दिया था। इसके साथ ही वरिष्ठ नागरिकों के लिए टैक्स छूट की सीमा भी बढ़ाकर ₹3 लाख किया गयाा था।
इसके साथ ही निवेश की सीमा को 80C के तहत ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹1.5 लाख, जबकि आवास ऋण ब्याज दर कटौती की सीमा को बढ़ाकर ₹2 लाख की गई थी। इसके साथ ही जमाकर्ताओं को और राहत देते हुए (पब्लिक प्रोविडेंट फंड) जमा सीलिंग को ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹1.5 लाख प्रतिवर्ष करने का ऐलान किया गया था।
केंद्रीय बजट 2015-16
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2015-16 के इस बजट में मिडिल क्लास को राहत देते हुए व्यक्तिगत इनकम टैक्स में कोई बदलाव नहीं किया था। सरकार ने स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कटौती की सीमा ₹15,000 से बढ़ाकर ₹20,000 कर दिया था। इसके अलावा परिवहन भत्ता छूट में बढ़तरी करते हुए उसे दोगुना करते हुए ₹1,600 कर दिया गया था।
एनडीए सरकार के पहले पूर्ण बजट में, जेटली ने अगले चार वर्षों में कॉर्पोरेट टैक्स में 5% के कमी की घोषणा की थी। इसके अलावा ₹1 करोड़ से अधिक के राजस्व वाले ‘सुपर-रिच’ व्यक्तियों पर कुल अधिभार में 2% की वृद्धि करते हुए 12% दिया गया था।
केंद्रीय बजट 2016-17
इस बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कम आय वाले करदाताओं को राहत देते हुए प्रति वर्ष ₹5 लाख से अधिक की आय के वालों के लिए कर छूट की सीमा ₹2000 से बढ़ाकर ₹3000 करने का प्रस्ताव रखा था। साथ ही जिन लोगों के पास खुद का घर नहीं था और उन्हें मकान का किराया भत्ता नहीं मिल पाता था, उन्हें ₹24,000 के मुकाबले ₹60,000 प्रति वर्ष की कटौती की भी वित्त मंत्री ने घोषणा की थी।
इसके अलावा पहली बार होम बायर्स को भी ₹35 लाख तक के ऋण के लिए प्रति वर्ष
₹50,000 की कटौती मिली थी। लेकिन शर्त ये थी कि घर का मूल्य ₹50 लाख से अधिक न हो।
केंद्रीय बजट 2017-18
वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश किए गए इस बजट में कर की दर में बदलाव करते हुए 5 प्रतिशत घटाकर ₹5 लाख करने का प्रस्ताव रखा गया था। लेकिन जिनकी कमाई ₹50 लाख और ₹1 करोड़ के बीच है, उनपर 10% का अधिभार प्रस्तावित किया गया था।
इसके अलावा 93 सालों में यह पहली बार हुआ था कि रेल बजट आम बजट का हिस्सा बनाकर पेश किया गया था। हालाँकि इस बार बजट में रेल यात्रियों को किराए में छूट और बढ़ोतरी जैसे कोई ऐलान नहीं किए गए थे।
केंद्रीय बजट 2018-19
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इनकम टैक्स के स्लैब तथा दरों में कोई बदलाव नहीं किया। लेकिन ₹40,000 का नया स्टैंडर्ड डिडक्शन का प्रस्ताव रखा गया था। जिसने मौजूदा ट्रांसपोर्ट एलाउंस ₹19,200 तथा मेडिकल री-इम्बर्समेंट ₹15,000 का स्थान लिया। इसमें पेंशन भोगियों को ट्रांसपोर्ट एलाउंस तथा मेडिकल री-इम्बर्समेंट के फायदे को ध्यान में रखा गया था।
कुल मिलाकर इस बजट का केंद्र बिंदु ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना’ के माध्यम से सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की सरकार की योजना थी। यह ₹10 करोड़ गरीब और कमजोर परिवारों को सेकेंडरी और टर्सियरी (Secondary & Tertiary) लेवल के अस्पताल में भर्ती के लिए प्रति परिवार प्रति वर्ष ₹5 लाख तक की कवरेज प्रदान करता है।