अफगानिस्तान में तालिबान का शासन स्थापित होने के बाद से हालात अस्थिर हो चुके हैं। काबुल एयरपोर्ट पर देश छोड़ने के लिए आतुर लोगों की भीड़ लगी है। इस बीच औरतों खासकर कम उम्र की लड़कियों में एक अलग तरह का डर देखने को मिल रहा है। मीडिया से कई ऐसी खबरें सामने आ रही हैं जिनसे पता चलता है कि तालिबानी शासन में औरतों पर नए तरह का खतरा मंडरा रहा है।
अफगानिस्तान में कई जगहों पर ब्यूटी पार्लर और शोरूम्स में लगे महिलाओं के पोस्टर को हटाया जा रहा है। साथ ही महिलाओं की तस्वीरों को हटाने के लिए उन पर सफेद रंग चढ़ाया जा रहा है।
Taliban erasing women. Women won’t be seen anywhere. They would stay at home as sex slaves and child bearing machines. Islam is a religion of misogyny. pic.twitter.com/vZpvkE0UYw
— taslima nasreen (@taslimanasreen) August 17, 2021
अफगानिस्तान की पहली महिला मेयर जरीफा गफारी, जो कि सबसे युवा मेयर भी हैं, कहती हैं कि वो उनके (तालिबान) आने की प्रतीक्षा कर रही हैं। गफारी ने कहा कि उनकी और उनके परिवार की सहायता करने के लिए कोई नहीं है, वो अपने परिवार के साथ हैं और उन्हें पता है कि तालिबानी आएँगे और उन्हें मार देंगे। गफारी ने एक अंतरराष्ट्रीय अख़बार को इंटरव्यू देते हुए कुछ हफ़्तों पहले यह संभावना जताई थी कि उनके देश का भविष्य सुनहरा है। लेकिन रविवार (15 अगस्त 2021) को उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया।
गफारी की तरह ही अफगानिस्तान की राष्ट्रीय महिला फुटबॉल टीम की पूर्व कप्तान खालिदा पोपल ने द एसोसिएटेड प्रेस को टेलीफोनिक इंटरव्यू में बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से वे अपनी फोटो हटा रही हैं। उन्होंने बताया कि टीम की बाकी सदस्यों को भी अब जान का खतरा हो चुका है। उन्होंने टीम की सदस्यों से कहा है कि वे अपने घर छोड़कर भाग जाएँ और अपने इतिहास को मिटाने की कोशिश करें। पोपल ने बताया कि उन्होंने कभी तालिबान का विरोध ही औरतों के लिए किया था। लेकिन अब इस्लामिक एमिरेट ऑफ अफगानिस्तान की स्थापना के बाद अपनी जान बचानी पड़ रही है और इसका एक ही रास्ता है, घर से भागना और अपनी पहचान को छिपा लेना।
हालाँकि पोपल और उनकी महिला टीम की बाकी सदस्य फिलहाल अपनी सुरक्षा की कोशिशें कर पा रही हैं। लेकिन सैकड़ों ऐसी महिलाएँ हैं जो रातों-रात गायब हो चुकी हैं। दिल्ली में रह रहे एक अफगानी नागरिक ने मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि अफगानी सेनाओं और तालिबान के बीच संघर्ष के चलते सैकड़ों महिलाओं ने राजधानी काबुल के शहर-ए-नाव पार्क में शरण ली थी। लेकिन अब ये औरतें गायब हैं और उनके परिवार उनकी तलाश कर रहे हैं। उस अफगानी नागरिक ने कहा कि वह पूरी जिम्मेदारी के साथ यह जानकारी दे रहा है और यही हालात पूरे अफगानिस्तान में है।
चंडीगढ़ में पिछले 4 सालों से रह रही परवाना हुसैनी अफगानिस्तान के बामियान शहर की रहने वाली हैं। उन्होंने बताया कि पिछले 4-5 सालों से महिलाओं को बाहर निकलने की आजादी मिली थी। लेकिन तालिबान के शासन और शरिया कानून लागू होने के बाद उनके जैसी लड़कियाँ अब घर के बाहर भी नहीं निकल पाएँगी। परवाना ने बताया कि तालिबान अब महिलाओं का उनके घर से अपहरण कर रहा है। पंजाब यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले एक अन्य अफगानी ने बताया कि महिलाओं का अपहरण करना उनके (तालिबान) लिए सामान्य है और अब अफगानिस्तान उसके अपने लोगों के लिए एक खतरनाक जगह बन चुका है।
इससे पहले द सन की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि तालिबान घर-घर जाकर लड़कियों को उठा रहा है ताकि उन्हें ‘सेक्स गुलाम (स्लेव)’ बनाया जा सके। जुलाई महीने में ही एक खबर आई थी कि तालिबान के सांस्कृतिक आयोग के नाम पर ग्रामीणों को चिट्ठी लिखी गई थी जिसमें कहा गया था कि वो अपनी बेटियों और बेवा (विधवा) का निकाह तालिबानियों के साथ करें। पत्र में कहा गया था कि उनके कब्जे वाले सभी क्षेत्रों के इमामों और मौलवियों को आदेशित किया जाता है कि वे 15 साल से अधिक उम्र की लड़कियों और 45 वर्ष से कम उम्र की बेवा महिलाओं की सूची जारी करें, जिनका निकाह तालिबानियों के साथ किया जा सके।