Friday, November 15, 2024
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2 साल तक के बच्चों का यौन शोषण, बच्चियों के खरीदे अश्लील वीडियो: सब कुछ जानकर भी चुप रही CIA, ‘गोपनीयता’ बनी बहाना

एक सीआईए कॉन्ट्रैक्टर ने बाल दुर्व्यवहार की तस्वीरों के प्रति अपने जुनून को स्वीकार किया था। उसने सीक्रेट एजेंसी के आईपी ऐड्रेस का उपयोग करके एक चैट रूम में प्रवेश किया था। जब महानिरीक्षक को कंप्यूटर की सामग्री की तलाशी के लिए वारंट मिला तो पता चला कि कंप्यूटर के हार्ड ड्राइव को हटा दिया गया था।

अमेरिका की सीक्रेट सर्विस संस्था सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) को पिछले 14 सालों में अपने कम-से-कम 10 कर्मचारियों द्वारा बच्चों के यौन शोषण से संबंधित मामलों की जानकारी मिली है। इनमें से सिर्फ एक व्यक्ति के खिलाफ अपराध का मुकदमा दर्ज किया किया, जबकि अन्य मामलों को आंतरिक जाँच के लिए सीईए को ही सौंप दिया गया। सीआईए ने अपने स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई करने से इसलिए बचती रही कि उसे लगा कि संस्था की सीक्रेट बाहर आ जाएँगे। बजफीड के अनुसार, यौन शोषण के शिकार लोगों में 2 साल के शिशु से लेकर 6 साल के बच्चे तक शामिल हैं। वहीं, एक मामले में सीआईए अधिकारी ने छोटी बच्चियों के तीन अश्लील वीडियो को खरीदा था, जिसे बच्चियों की माँ ने ही बनाया था।

बजफीड ने सूचना की स्वतंत्रता अधिनियम के तहत दायर 3 मुकदमों और 13 सार्वजनिक रिकॉर्ड तक पहुँच के आग्रह के माध्यम से यह जानकारी हासिल की। प्राप्त जानकारी से यह बात सामने आई कि सीआईए ने इन संवेदनशील मामलों को ‘आंतरिक रूप से’ सँभालने की माँग की थी, ताकि ये अपराधी नौकरी से बर्खास्तगी और सिक्योरिटी क्लियरेंस से बच सकें। एक मामले में एक कर्मचारी को 2 साल के बच्चे और 6 साल के बच्चे के साथ यौन संबंध का दोषी पाया गया था, जबकि एक अन्य मामले में सीआईए के एक अधिकारी ने युवा लड़कियों के 3 अश्लील वीडियो खरीदे थे, जिन्हें उनकी माँओं ने बनाया था। वहीं, एक कर्मचारी द्वारा नौकरी के दौरान 1400 से अधिक बाल यौन शोषण से जुड़ी तस्वीरों को देखने का पता चला।

बजफीड की न्यूज रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट

बज़फीड न्यूज के अनुसार, जनवरी 2010 में सीआईए के कॉन्ट्रैक्टर ने एफबीआई के एक अंडरकवर से यौन संबंध की कोशिश की थी। इस कॉन्ट्रैक्टर ने बाल दुर्व्यवहार की तस्वीरों के प्रति अपने जुनून को स्वीकार किया था। उसने सीक्रेट एजेंसी के आईपी ऐड्रेस का उपयोग करके एक चैट रूम में प्रवेश किया था। जब महानिरीक्षक को कंप्यूटर की सामग्री की तलाशी के लिए वारंट मिला तो पता चला कि कंप्यूटर के हार्ड ड्राइव को हटा दिया गया था।

यौन दुराचार का आरोप लगाने वाली सीआईए की रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट (साभार: बज़फीड न्यूज)

इसके अलावा, सीआईए के एक अन्य अधिकारी ने सरकारी लैपटॉप पर 10 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों की अश्लील तस्वीरें और वीडियो देखने की बात स्वीकार की। उसने पहली बार कॉलेज में बाल यौन शोषण की तस्वीरें देखने की बात कबूल की और अपने सीआईए में नौकरी के दौरान भी वह ऐसा करता रहा। अपने बचाव में कर्मचारी ने कहा था, “जब तक एजेंसी इन्फॉरमेशन सिक्योरिटी कोर्स नहीं किया, तब तक मुझे नहीं पता था कि चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी देखना एजेंसी की नीति का उल्लंघन है।”

अगस्त 2009 में सीआईए के एक कर्मचारी ने 2 और 6 साल की उम्र के दो बच्चों के साथ यौन संपर्क करने की बात कबूल की। उसने एजेंसी में अपने कार्यकाल के दौरान सेक्सुअल फोटो को डाउनलोड करने की बात स्वीकार की। जब सीआईए महानिरीक्षक ने जाँच शुरू की तो पता चला कि उसके पास बाल यौन शोषण से संबंधित 63 वीडियो थे। आरोपित अधिकारी ने सामग्री को डाउनलोड करने और वितरित करने के लिए सरकारी वाईफाई का इस्तेमाल किया।

बजफीड न्यूज द्वारा प्रकाशित सीआईए की रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट

बज़फीड न्यूज ने पाया कि इन अपराधों में संलिप्तता के बावजूद सीआईए के केवल एक कर्मचारी को यौन अपराधों के लिए आरोपित किया गया। उक्त अधिकारी पर पहले से ही गोपनीय सूचनाओं के गलत संचालन के लिए जाँच की जा रही थी। उनमें से 5 दागी अधिकारियों/ठेकेदारों ने इस्तीफा दे दिया था या उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था, जबकि चार अन्य आरोपियों को गोपनीय सूचनाओं की जाँच के लिए जिम्मेवार सुरक्षा कार्यालय में भेजा दिया गया था।

इस मामले से संबंधित अब तक लगभग 3,000 पेज जारी किए गए हैं। इनमें 2004 से 2019 तक की घटनाओं को शामिल किया गया है। बजफीड ने पाया कि यौन अपराधों के साक्ष्य मिलने के बाद भी संघीय अभियोजकों द्वारा इन पर कोई आरोप दायर नहीं किए गए। इसके साथ ही सीआईए ने अपनी रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर संशोधन करते हुए आरोपी अधिकारियों और कॉन्ट्रैक्टरों के नाम और उनके रोजगार के विवरण छिपा दिए थे। केंद्रीय जांच एजेंसी ने इसके बारे में जानकारी देने से बचने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा, गोपनीयता एवं संघीय कानूनों का हवाला दिया था। बज़फीड न्यूज की रिपोर्ट में यूएस अटॉर्नी की भूमिका पर भी सवाल उठाया है, जिन्होंने सबूतों के बावजूद आरोप नहीं लगाया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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