Friday, April 19, 2024
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चीन की धमकी पर सख्त हुआ ऑस्ट्रेलिया, PM स्कॉट मॉरिसन ने कहा – ‘हमारा देश, हमारे नियम-कानून’

पीएम स्कॉट मॉरिसन ने कहा कि ये उनके देश के राष्ट्रीय हितों का मसला है और इस बारे में उनका देश ही यह तय करेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि चीन को खुद पर शर्म आनी चाहिए।

जहाँ एक तरफ भारत के साथ चीन सीमा विवाद बढ़ाने में लगा हुआ है, वहीं दूसरी तरफ ऑस्ट्रेलिया के साथ उसके सम्बन्ध दिन पर दिन बदतर होते जा रहे हैं। दिक्कत ये है कि ऑस्ट्रेलिया काफी हद तक चीन पर आर्थिक रूप से निर्भर हो गया था, जिसके एवज में चीन अब उसे ब्लैकमेल कर रहा है। ऑस्ट्रेलिया आज की तारीख़ में चीनी एक्सपोर्ट्स पर निर्भर है और इसीलिए उसकी सैन्य गतिविधियों को भी चीन अपने हिसाब से चलाना चाहता है।

भारत के साथ एक अच्छी बात ये है कि उसने कभी खुद को चीन पर पूरी तरह से निर्भर नहीं होने दिया। हाँ, चीन के साथ हमारा व्यापार घाटा ज्यादा है, लेकिन हमारे अमेरिका व अन्य देशों के साथ भी बड़ा व्यापार होता है और ये लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इसी तरह भारत अफ़्रीकी देशों और अन्य एशियाई देशों के साथ भी अपना व्यापार बढ़ा रहा है। इसीलिए, हम चीनी माल का बहिष्कार भी करते हैं तो हमें कोई फर्क नहीं पड़ता।

अब ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है और कहा है कि चीन को खुद पर शर्म आनी चाहिए। पीएम स्कॉट मॉरिसन ने कहा कि ये उनके देश के राष्ट्रीय हितों का मसला है और इस बारे में उनका देश ही तय करेगा। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया अब चीन के दबाव के आगे नहीं झुकेगा। असल में चीन ने ऑस्ट्रेलिया को अपने दूतावास के माध्यम से दस्तावेजों का पिटारा सौंपा है, जिसमें 14 शिकायतों की सूची है।

इन्हीं शिकायतों में दावा किया गया है कि ऑस्ट्रेलिया विदेश के मामलों में कुछ ज्यादा ही हस्तक्षेप करता है। उदाहरण के रूप में चीनी निवेश को सुरक्षा हितों का हवाला देकर रोकने और हुवाई को 5G नेटवर्क में हिस्सेदारी से प्रतिबंधित करने को गिनाया गया है। चीन ने यहाँ तक धमकाया है कि अगर आप चीन को दुश्मन बनाओगे, तो चीन दुश्मन बन कर दिखाएगा। पीएम मॉरिसन ने कहा कि ये एक अनाधिकारिक दस्तावेज है, जो ऑस्ट्रेलिया की भूमि पर ऑस्ट्रेलिया के नियम-कानून चलने से नहीं रोक सकता।

ऑस्ट्रेलिया ने कोरोना वायरस के संक्रमण के शुरू होने को लेकर जाँच शुरू कर दी है और चीन की बेचैनी का कारण भी यही है। बीजिंग का आरोप है कि ऑस्ट्रेलिया ने इस मामले में ‘अमेरिका का प्रोपेगंडा’ फैलाना शुरू कर दिया है। अब अमेरिका ने ऑस्ट्रेलिया की पीठ थपथपाते हुए कहा कि उसने चीन की जासूसी पर रोक लगा दी है और अपनी सम्प्रभुता को बचाने के लिए कदम उठाए हैं, इसीलिए चीन बेचैन हो गया है।

चीन की दादागिरी इतनी बढ़ गई है कि अब उसके मंत्री अपने ऑस्ट्रेलियन समकक्षों के फोन भी नहीं उठाते। अब ऑस्ट्रेलिया ने जापान के साथ अपने रक्षा समझौतों को प्रगाढ़ करना शुरू कर दिया है, जिससे चीन अपने पड़ोसियों से भी घिर रहा है। भारत और ऑस्ट्रेलिया की सेना भी आपस में मिल कर करार कर रही है, जिससे चीन की पेशानी पर बल पड़ने लगे हैं। ऑस्ट्रेलिया में चीनी भी भारी संख्या में बस गए हैं, जो उसके लिए चिंता का विषय है।

ऑस्ट्रेलिया सख्त रुख ज़रूर अपना रहा है, लेकिन उसके उत्पादों पर चीन जो टैरिफ लगा रहा है, उससे उसे खासा नुकसान हो रहा है। ऑस्ट्रेलिया की शराब पर उसने 200% तक का टैक्स लगा दिया है, जिससे ये इंडस्ट्री ही हाहाकार कर बैठी है। इंडस्ट्री शॉक के लिए तैयार थी लेकिन इतने बड़े टैरिफ ने उसकी कमर तोड़ दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि छोटी शराब कम्पनियाँ जो ऑस्ट्रेलिया में निर्यात पर निर्भर थी, उनकी हालत बदतर हो गई है।

भारत में ऐसी स्थिति नहीं है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी कह चुके हैं कि भारत को तो चीन से आयात की ज़रूरत ही नहीं है। वाहन और कृषि जैसे कई अन्य सेक्टर में भी हम हर जगह पहले ही समाधान प्राप्त कर चुके हैं, इसीलिए यहाँ चीन से आयात को लेकर बात करने की ज़रूरत ही नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत अब दुनिया की ज़रूरतें पूरा करने में लगा हुआ है। साथ ही चीन से आयात घटाया गया है और निर्यात बढ़ रहा है।

हाल ही में भारत सरकार ने चीन की 43 मोबाइल ऐप्स पर पाबंदी लगा दी। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69ए के तहत सरकार ने 43 मोबाइल ऐप पर बैन लगाया। इन ऐप्स को भारत की संप्रभुता, अखंडता, रक्षा, सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा बताया गया था। पहली बार सरकार ने 29 जून को यही कारण बताते हुए 59 चीनी ऐप्स बैन कर दिए थे। इसके बाद 27 जुलाई को भी 47 ऐप बैन किए गए थे। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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